मानव समाज की शुरुआत के साथ ही सामाजिक जीवन और कार्यकलापों को व्यवस्थित और विनियमित करने के लिए एक आदेशात्मक सत्ता की आवश्यकता को पहचान लिया गया है । एक आदेशात्मक सत्ता की उपस्थिति में ही मानवीय व्यवहार और कार्यों को सामाजिक हितों की पूर्ति और परिपोषण के उद्देश्य से नियंत्रित किया जा सकता था […]