Read this article to learn about the surface anatomy of human body in Hindi language.
शरीर रचना सम्बन्धी स्थितियाँ:
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मानव शरीर रचना का अध्ययन करते समय यदि हम इसे खड़ी स्थिति में, जबकि ऊपरी भुजाएं साथ में इस तरह हों कि दोनों हथेलियाँ अग्र की ओर हों तो यह स्थिति एनोटोमिकल पोजीशन कहलाती है ।
चित्र 2.1 में दशायी गई स्थिति को ध्यान में रखते ही हम अग्र, पार्श्व, पश्च, मध्य, नीचे व ऊपर की शरीर की समस्त स्थितियों को समझ सकते हैं । चित्र 2.2 में हम मानव शरीर के धड़ की क्षितिज स्थिति में देख सकते हैं ।
सिर (The Head):
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कपाल गुहा में मस्तिष्क होता है जो कि झिल्लियों (Meninges) से ढका होता है । इन्ही झिल्लियों में खून की नालियां होती हैं । (Blood vessels) सिर से संबंधित मुख्य चित्र 2.3 में दिखाए गए हैं ।
आंख का बाहरी चक्षु कोण (outer canthus of Eye), कुचोपम प्रवर्धन (Mastoid Process), बाहरी ध्वनिक नालिका पथ (External Acoustic Meatus) को मिलाने वाली रेखा को (Orbitomeatal line) (Radiological Base line) कहते हैं । करोटि के नीचे के भाग से धड़ की गुहा के ऊपरी भाग के बीच में गर्दन होती है । (चित्र 2.4) चित्र 2.4 (अ) गर्दन के मुख अंग दर्शाए गए हैं:
मुख्य अंग (Structures) है फेरिंग्स, इसोफेगस, श्वास की मुख्य नली थाईरोयड ग्रन्थि आदि हैं । इन सभी को सरवाइकल वरट्रिबा, केरोटिड आरट्री, जुगलर वेन, सिम्पेथेटिक ट्रंक के साथ दर्शाया गया है । (चित्र 2.4 अ एवं 2.4 ब) |
धड़ (The Thorax):
मेन्यूब्रेयिम स्टरनाई (manubrium sterni) 2nd & 3rd थोरेसिक वरट्रिब्रा के तल पर होता है जबकि एंगल आफ लुईस (Angle of Louis) मेन्युब्रियम स्टरनाई व स्टरनम की बोडी को जोड़ता है । 4th थोरेसिक वट्रिब्रा की नीची सतह के साथ-साथ होता है । चित्र 2.5 तथा मिडियास्टिनम के सबडिवीजन को चित्र 2.6 में दिखाया गया है ।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि मिडियास्टिनम शरीर का महत्वपूर्ण भाग है, इसको चार भागों में विभक्त किया जा सकता है । जैसे ऊपर, अग्र, बीच तथा पश्च मिडियास्टिनम चित्र 2.7 अ, ब, 2.8 व 2.9 में इन सब भागों के अंगों को दिखाया गया है ।
फेफड़े और फ्लूरा की सरफेस मारकिंग के लिए फेफड़े के सबसे ऊपर का भाग (Apex) व उसको ढकने वाली फ्लूरा, ऊपर व पीछे तरफ से 3 से०मी० ऊपर क्लेविकल के मध्य तक आती है । तथा फेफड़े के ऊपरी भाग (Apex) पहली रिब के ऊपर तक कभी नहीं जाते ।
अग्र भाग से फ्लूरा नीचे की तरफ मध्य से स्टरनोक्लेविक्यूलर जोड़ के पीछे की तरफ जाते हुए (चित्र 2.10 व 2.11) दूसरे तरफ की फ्लूरा से मध्य में स्टरनल एंगल के तल पर मिलते हैं । बांया फेफड़ा मध्य लाइन तक नहीं होता है जबकि दांया फेफड़ा वहां तक (मध्य लाईन) होता है क्योंकि बायीं तरफ हृदय होता है (चित्र 2.12) ।
मानव उदर की मुख्य सरफेस मर्किंग हमें जिफिस्टरनम स्टरनम के जोड़ से शुरू करना चाहिए जो कि नवें थोरेसिक कोशुरिका के तल पर होता है (चित्र 2.13) । रिबकेज (ribcage) की निचली सतह तीसरी लम्बर केशुरिका के तल पर होती है । इस तल पर खींची होरीजोन्टल रेखा को सबकोस्टल प्लेन (Subcostal plane) कहते है ।
इलायक क्रेस्ट की ऊपरी सतह पांचवी लम्बर केशुरिका ऊपरी तल के बराबर होती है । अम्बलाईकस की पोजीशन काफी स्थिर होती है । इलायक क्रेस्ट अग्र में जाकर सुपीरियर एन्टीरियर इलायक स्पाईन पर खत्म होते हैं-और इनको त्वचा के द्वारा महसूस किया जा सकता है ।
दो होरीजोन्टल व दो वरटिकल प्लेन उदर को नौ भागो में विभक्त कर सकते हैं । (चित्र 2.14) उदर के विभिन्न अंग दिखाये गये हैं । अमाशय, डयोडिनम, छोटी आंत, बड़ी आंत, जिगर, पित्ताशय, पैनक्रियाज, स्प्लीन व गुर्दे जिनको चित्र 2.15 व 2.16 में दर्शाया गया है ।
पेरिटोनियम एक बड़े थैले की तरह होता है जो कि सीरस (serous) मेम्ब्रेन का बना होता है । यह उदर गुहा की लाइनिंग करता है तथा अंगों को ढकता है । आदमियों में यह थैला बंद होता है पर महिलाओं में यह आगे की तरफ से खुला होता है ।
पेलविक केविटी व इसकी सीमायें:
पेलविक केविटी की एन्टीरियर वाल प्यूबिक सिमफाईसिस से व प्यूबिक हड्डियों की बोडीज से बनती है । इसकी पोस्टीरियल बाल सेक्रम की एन्टीरियर सरफेस व कोकसिक्स से बनती है । लेट्रल वाल इश्चीयर बोन व इंटरनल ओबटयुरेटर मसल से बनती है । ऊपर की तरफ पेलविस, उदर गुहा के साथ होती है । पेलविक केविटी की फ्लोर, लीवेटर व कोक्सीजियस मसल से बनती है ।