Read this paragraph in Hindi to learn about cardiac cycle in humans.
सामान्य अवस्था में हृदय की पेशियां एक निश्चित लय के साथ प्रति मिनट 72 बार धड़कती है । यह क्रिया बार-बार दोहराई जाने वाली क्रिया के रूप में होती है । इसकी शरुआत साइनो आट्रियल नोड जो राइट आट्रियम में सुपियर वीनाकेवा के खुलने के स्थान पर स्थित होता है, से होती हे ।
चूंकि एस॰ए॰ नोड धड़कन की शुरुआत करता है अत: इसे पेसमेकर भी कहते हैं । हृदय की पेशियां सिन्सिटयल प्रकार की होती हैं जिसमें एक जगह शुरू हुई घड़कन पूरे हृदय में फैल जाती है । हृदय पेशी में कान्ट्रैक्शन तरंग के फैलने में किसी तन्त्रिका की आवश्यकता नहीं होती है ।
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अत: एस॰ए॰ नोड से शुरू हुई धड़कन ए॰ वी॰ या आट्रियो वेन्ट्रिकुलर नोड जो इन्टर आट्रियल सेप्टम में स्थित होता है, में पहुंचती है । तथा वहां से बन्डल आफ हिज या अट्रियोवेन्ट्रिकुलर बण्डल में होती हुई वेन्ट्रिकिलस व दोनों वेट्रिकिलों के बीच स्थित सेप्टम में फैल जाती है ।
एस॰ ए॰ नोड व ए॰ वी॰ नोड पैरासिम्पैथेटिक तन्त्र की वेगस तन्त्रिकाओं व सिम्पैथेटिक तंत्रिकाओं से सप्लाई किया जाता है । इस प्रकार हृदय का एक निश्चित क्रम में सिकुड़ना तथा पुन: सामान्य अवस्था में आने की क्रिया को कार्डियक साइकिल कहते हैं । वेन्ट्रिकुलर सिस्टोल के साथ ही वेन्ट्रिकल का दाब बढ़ना शुरू हो जाता है । जैसे ही यह उस तरफ के आट्रियम से ज्यादा होता है आट्रियोवेन्ट्रिकुलर वाल्व बन्द हो जाता है ।
इसी के साथ माइट्रल बाल्ब (बांये आट्रियम व वेन्ट्रिकिल के बीच) व ट्राइकस्पिड वाल्व दायें आट्रियम और वेन्ट्रिकिल के बीच बन्द होकर पहली हार्ट साउण्ड पैदा करते हैं जो सिस्टोल का प्रारंभ होता है । इसे सीने पर कान लगाकर सुना जा सकता है जो ‘लय’ की तरह सुनायी देती है ।
यह 0.15 सेकन्ड तक रहती है तथा इसकी तरंग दैर्ध्य 25-45 हर्ट्ज होती है । जैसे ही वेन्ट्रिकिल का दाब एवोरटा व पल्मोनरी धमनी के दाब (120 मिमी मरकरी) से अधिक होता है एवोरटिक व पल्मोनरी वाल्व खुल जाते हैं जिनके खुलने से कोई आवाज नहीं पैदा होती है ।
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बहुत थोड़े समय के लिए जब माइट्रल व ट्राइकस्पिड वाल्व बन्द होते हैं तथा एवोरटिक व पल्मोनरी वाल्व खुल रहे होते हैं तथा बायें व दायें वेन्ट्रिकिल बन्द कोष्ठ की तरह होते हैं, क्योंकि रक्त को दबाया नहीं जा सकता पर चूंकि वेन्ट्रिकुलर पेशियां सिकुड़ कर दाब बढ़ा रही होती हैं, यद्यपि उनके आयतन में कोई परिवर्तन नहीं हो रहा होता है इसे आइसोमेट्रिक कान्ट्रैक्सन फेस कहते हैं ।
इसके तुरंत बाद एबोरटिक व पल्मोनरी वाल्व खुल जाते हैं तथा रक्त वेन्ट्रिकिल से पहले तेजी से (रेपिड इंजेक्शन फेस) तत्पश्चात धीमे धीमे एवोरटा व पल्मोनरी धमनी में जाता है । वेन्ट्रिकुलर सिस्टोल के वाद वेन्ट्रिकिल में दाब कम हो जाता है और वेन्ट्रिकुलर तथा पल्मोनरी कपाट बन्द हो जाते हैं । तथा अब इन महाधमनियों में दाब वेन्ट्रिकिलो के दाब से बढ़ जाता है ।
अब पुन: बहुत थोड़े समय के लिए आइसोमेट्रिक रिलेक्सेसन फेस होता है जब वेन्ट्रिकिल बन्द कोष्ठ होते हैं, पर जैसे ही वेन्ट्रिकुलर दाब आट्रिया से कम हो जाता है माइट्रल व ट्राइकस्पिड वाल्व खुल जाते हैं और वेन्ट्रिकिल रक्त से भरने लगते हैं ।
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एवोरटिक व पल्मोनरी वाल्वों के बन्द होने से दूसरी हार्ट साउण्ड पैदा होती है । यह छोटे समय के लिए व पतली आवाज ‘डिप’ होती है । यह 0.1 सेकेण्ड के लिए रहती है तथा इसकी तरंग दैर्ध्य 50 हर्टज होती है । हृदय कोष्ठों में होने वाले आयतन व दाब के परिवर्तनों को चित्र 3.5 में दिखाया गया है ।