संयुक्त राष्ट्र ढाँचे के अंतर्गत निरस्त्रीकरण तथा शस्त्र नियंत्रण से जुड़े मुसलों से निपटने वाली संस्थाएँ कौन-कौन सी हैं ? “Agencies Dealing with the Disarmament and Arm Control under the Framework of United Nations” in Hindi Language!
संयुक्त राष्ट्र ढाँचे के अंतर्गत निरस्त्रीकरण तथा शस्त्र, नियंत्रण-निरस्त्रीकरण का उद्देश्य हथियारों को सीमित और नियंत्रित करना तथा उनमें कमी लाना है जबकि शस्त्र नियंत्रण का उद्देश्य है हथियारों के प्रकार और संख्या उनके प्रयोग या विशेष प्रकार के हथियारों के इस्तेमाल पर नियंत्रण करना है ।
शस्त्र नियंत्रण के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की संस्थाएँ हैं, जो अपने कार्यो का सम्पादन करती हैं:
(1) तदर्थ समितियाँ:
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संयुक्त राष्ट्र संघ की तदर्थ समिति निरस्त्रीकरण से संबंधित सभा सम्मेलन आदि बुलाने का परामर्श देती है और उसका आयोजन भी करवा सकती है ।
(2) निरस्त्रीकरण आयोग:
निरस्त्रीकरण आयोग निरस्त्रीकरण से संबंधित विभिन्न प्रकार के सुझावों को सदस्य राष्ट्रों को प्रदान करता है और निरस्त्रीकरण को बढ़ावा देता है ।
(3) निरस्त्रीकरण सभा सम्मेलन:
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यह निरस्त्रीकरण के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए विभिन्न प्रकार की सभाओं सम्मेलनों गोष्ठियों और सेमिनारों का आयोजन करके आम राय बनाने और उसे ला ! करने में तत्परता दिखाता है, ताकि निरस्त्रीकरण को बढ़ावा मिले और विश्व शांति की स्थापना हो ।
(4) महासभा:
इसका काम है निरस्त्रीकरण के संबंध में विमिन्न प्रकार के प्रस्तावों को पारित करना और उसे लागू करने के लिए सदस्य राष्ट्रों ‘पर दबाव डालना ।
(5) प्रवर समिति:
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यह समिति महासभा के समस्त सदस्यों की समिति है । यह समिति निरस्त्रीकरण से संबंधित प्रस्तावों को पारित कर सदस्या राष्ट्रों को भेजती है ।
परमाणु शस्त्र नियंत्रण हेतु उठाए गए कदम:
परमायु शस्त्र के नियंत्रण के लिए विभिन्न प्रकार के कदम उठाए गए हैं, जो निन्नलिखित हैं:
(1) व्यापक परमाणु परीक्षण निषेध संधि (सी.टी.बी.टी.):
यह संधि 1996 में तैयार की गई और इसके निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
(क) परमाणु अस्त्रों के विकास तथा विस्तार पर प्रतिबंध लगाना ।
(ख) नई प्रणाली के द्वारा इन अस्त्रों का विकास नहीं करना ।
(ग) अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में निरस्त्रीकरण को प्रोत्साहन देना ।
(घ) अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में शांति एवं सुरक्षा की व्यवस्था को प्रोत्साहित करके विश्व परिवेश में शांति लाना ।
(2) शांतिपूर्ण कार्यो के लिए परमाणु विस्फोट संधि:
यह संधि 1976 में अमेरिका और सोवियत रूस के बीच की गई । इस संधि में ऐसे विस्फोटों को नियंत्रित करने का प्रावधान है, जो परमाणु हथियारों के परीक्षण के स्थलों से बाहर के स्थान पर किए जा सकते हैं अत: इन्हें शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए माना जा सकता है ।
(3) परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि:
1963 में परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा पारित प्रस्ताव से प्रारंभ हुई । इस संधि का मुख्य उद्देश्य जल, थल, नभ को परमाणु रेडियोधर्मिता से मुक्त रखना है ।
(4) एन.पी.टी. :
यह परमाणु संधि 1968 में परमाणु अस्त्र-शस्त्रों के प्रसार को रोकने के लिए की गई । इसका मुख्य उद्देश्य विश्व में शांति की स्थापना करना है ।
(5) परमाणु परीक्षण प्रतिषेध संधि:
यह संधि 1974 में की गई । इस संधि का उद्देश्य है, अमेरिका और सोवियत संघ को 150 किलो टन से अधिक परमाणु बम का विस्फोट करने से रोकना ।