शीत ऋतु में रेलगाड़ी का सफर । Article on Traveling in Hindi Language!
रेलगाड़ी द्वारा यात्रा करना एक सुखद अनुभव है । 2002 की सर्दियों में मुझे अपने मित्र के विवाह में सम्मिलित होना था । मेरा मित्र अमृतसर में रहता है । मैंने एक सुपर फास्ट ट्रेन में प्रथमश्रेणी के डिब्बे में अपनी सीट आरक्षित करवा ली । जब रेलगाड़ी प्लेट फार्म से चली उसने शीघ्र ही गति पकड़ ली ।
कुछ समय बाद यह पानीपत पहुँची । मैं अपने साथ कुछ उपन्यास खाने-पीने का सामान एवं पत्रिकायें व समाचार पत्र लाया हुआ था । कुछ देर तक मैंने पढ़ा किन्तु मेरा मन पढ़ने में नहीं लगा । मैं बाहर देखने लगा । खिड़की के बाहर के दृश्य ने मेरा मन मोह लिया । बाहर हरे-भरे खेत वृक्ष एवं जंगल के दृश्य को भागती गाडी की खिड़की से देखा ।
मैंने देखा कि किसान अपने खेत में हल चला रहे हैं । तब मेरी गाड़ी सांय चार बजकर कर पचास मिनट पर अम्बाला पहुँची । वहां काफी भीड़ थी । ठेले वाले एवं फेरी वाले खाने-पीने का सामान बेच रहे थे । शीघ्र ही गाड़ी ने सीटी दे दी । मैं अपने डिब्बे में चला गया । गाड़ी भी प्लेटफार्म से खिसकने लगी ।
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अम्बाला से डिब्बे में एक पति-पत्नी चढ़े जो विदेश से आये थे । वह दोनों बहुत नम्र स्वभाव के थे । मैंने उनसे उनके देश के विषय में पूछा । पुरुष ने बताया कि वह नार्वे से आये हैं । पति-पत्नी दोनों ही बाद में नार्वे के बारे में बताने लगे । उन्होंने भारत के विषय में भी बहुत सी बातें पूछी ।
उनकी पत्नी ने भारतीय महिलाओं की प्रशंसा की । उसने कहा कि यहा की महिलायें सुन्दर एवं विनम्र हैं । उसने भारत की संस्कृति एवं सभ्यता की भी प्रशंसा की । यहा के ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व के स्थान भी उन्हें बहुत पसन्द आये । वह पंजाब के वैभव से बहुत प्रभावित हुये ।
उन्हें पंजाब के लोक-गीत, संगीत, नृत्य एवं त्यौहार बहुत अच्छे लगे । विदेशी जोड़े के साथ यह वार्तालाप बहुत रुचिकर था । रात का समय था । बाहर सब तरफ अंधेरा घिर आया था । बड़ी हवा बह रही थी । हमारी गाड़ी तेजी से मज्जिल की ओर बढ़ रही थी । जलंधर पहुँचकर गाड़ी रुक गयी । वहां पर इंजन भी बदला गया ।
पुन: गाड़ी ने सीटी मारी और गति पकड़ ली । सर्द हवा खिड़कियों के झरोखों से छन कर अन्दर आ रही थी । रात्रि 9 बजे गाड़ी अमृतसर पहुँच गयी । अमृतसर स्टेशन का प्लेटफार्म तेज प्रकाश से जगमगा रहा था । मेरा मित्र प्लेटफार्म पर मेरी प्रतीक्षा में खड़ा हुआ था । मैं सामान लेकर उसके पास पहुँच गया । हम दोनों ने उसके घर के लिये आटो किया । अमृतसर तक की यह यात्रा सुखद थी । मैंने गाड़ी एवं शीत ऋतु दोनों का आन्नद उठाया । इससे मेरे अनुभव एवं ज्ञान में भी वृद्धि हुई ।