Here is my favourite moral story on ‘Effort’ written in Hindi language.
मानव जाति के विकास का पूरा इतिहास उसके प्रयत्नों का इतिहास है । संगीत, नृत्य, चित्र, वास्तु, शिल्प आदि कलाओं तथा ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में मनुष्य ने जो ऊंची उड़ानें भरी हैं, मनुष्य की लंबी साधना, अर्थात प्रयत्नों के प्रतिफलन हैं ।
आदिम युग से लेकर आधुनिक युग तक पहुँचने में मनुष्य के प्रयत्नों की ही भूमिका रही है । आज जिस स्थिति में हम जी रहे हैं, उससे बेहतर स्थिति में जीवन जीने की ललक वैसे बहुत सहज और स्वाभाविक है । आज मनुष्य जिस स्थिति में है, उससे ऊँचे स्तर पर जाने की उसकी इच्छा उसके प्रयत्नों से ही पूर्ण होती है ।
मानव-शरीर और मन प्रयत्नों से ही अपना आकार-प्रकार ग्रहण करते हैं । जन्म से बालक सबसे पहले प्रयत्न करता है, अपना पेट भरने का । जैसे-जैसे वह बड़ा होता जाता है वैसे-वैसे अनेक प्रयत्नों के फलस्वरूप कई शारीरिक कुशलताओं को वह आत्मसात करता है । वह रेंगना, बैठना, चलना, बोलना सीखता है । हरएक प्रक्रिया में पहले वह गलतियाँ ही करता है ।
लेकिन गलतियाँ होती हैं इसलिए वह रुकता नहीं; न हम उसे रुकने देते हैं । बार-बार के प्रयत्नों से वह उन कौशलों को आत्मसात कर लेता है । कुछ बड़ा होने पर वह पाठशाला जाता है । ज्ञानार्जन और अपने परिवेश से परिचित होने की उसकी प्रक्रिया यहाँ से शुरू होती है । यहीं पर बड़े पैमाने पर उसकी अंतरक्रियाएँ घटित होती हैं ।
इन सबमें टिके रहने के लिए प्रयत्नों की जरूरत होती है । मनुष्य के पास चाहे असीम कल्पनाशक्ति हो, चाहे वह कितना भी कुशाग्र हो फिर भी उसके विकास के लिए प्रयत्नों का योग आवश्यक है । प्रयत्न में कर्म और श्रम दोनों का समावेश है । चाहे बृद्धि और कल्पनाशक्ति साधारण हो, पर यदि उनके साथ अथक प्रयत्न-शक्ति हो तो व्यक्ति बहुत दूर की मंजिल तय कर लेता है । कठिन काम भी आसान हो जाता
है ।
ADVERTISEMENTS:
इसलिए कवि वृंद ने कहा है:
करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान ।
रसरी आवत जात ते सिल पर होत निसान ।।
प्रयत्न से कठिनतम काम भी संभव हो जाता है । जीवन में किए गए विभिन्न प्रयासों के कारण जीवन विकसित और समृद्ध होता है । निजी स्तर के सामूहिक प्रयत्नों से राष्ट्र विकसित होता है । किसी भी देश का विकास देशवासियों के प्रयत्नों का ही प्रतिफलन होता है ।
ADVERTISEMENTS:
कुछ देश अधिक विकसित होते है । इसका मतलब है कि वहाँ के लोग अधिक प्रयत्नशील हैं । मात्र प्रयत्नों के जरिए ही कठिनतम और असंभव कार्यों पर मनुष्य विजय पा सका है । इतिहास इसका साक्षी है । असीम कल्पनाशक्ति के साथ अथक प्रयत्नों के कारण ही मनुष्य अंतरिक्ष तक पहुँच सका है ।
मानव जाति की प्रगति के इतिहास से स्पष्ट है कि प्रयत्नों से क्या संभव नहीं ! मराठी में कहा गया है – ‘प्रयत्ने वाठ्ठुचे कण रगडिता तेलही गठ्ठे ।’ अर्थात प्रयत्न करने से रेत से भी तेल निकाला जा सकता है । प्रयत्न हमेशा सकारात्मक होने चाहिए ।
मानवीय इतिहास के विकास में नकारात्मक प्रयत्न मानवीय जीवन के लिए घातक साबित हुए है । हमारे प्रयत्नों की नींव में मानवीय मूल्य होने चाहिए । उन्हें सामाजिक हित के संदर्भ चाहिए । प्रयत्न व्यक्ति और समाज की जिंदादिली का लक्षण है ।
प्रयत्नों के कारण जीवन में चैतन्य का निर्माण होता है । जीवन आनंददायी, सफल, सार्थक और कल्याणकारी बनता है । प्रयत्नहीन जीवन न केवल नीरस, ऊबाऊ और शुष्क होता है अपितु उन्नति में वह बाधक होता है । इसीलिए मनुष्य को हमेशा प्रयत्नशील रहना चाहिए ।
जीवन में सफलता-असफलता की चिंता छोड़कर निरंतर बिना रुके, बिना उकताए, अपने उद्देश्यों की तरफ कदम बढ़ाते रहना चाहिए । इसमें जो आनंद और संतोष है, वह अतुलनीय तथा अवर्णनीय है । इसी से हमारे जीवन को अर्थ प्राप्त होता है ।