Read this article to learn about the various types of radiographic film used in radiology in Hindi language.
Type # 1. स्क्रीन फिल्म:
अधिकतर रेडियोग्राफी में इसी का प्रयोग होता है । इसके तीन गुण होते हैं: कन्ट्रास्ट, स्पीड एवं प्रकाश सोखने की क्षमता । धिकतर फिल्म निर्माता कीन फिल्में दो या अधिक कन्दास्ट लेबल वाली बनाते हैं । उच्च कन्दास्ट वाली फिल्में अधिक सफेद व काली इमेज बनाती हैं, जबकि निम्न कन्ट्रास्ट वाली अधिक ग्रे इमेज बनाती हैं ।
स्क्रीन फिल्में इमल्शन के प्रकार पर भिन्न स्पीड वाली होती हैं । सामान्यतय जितना मोटा इमल्शन होता है, फिल्म की स्पीड उतनी ही अधिक होती है क्योंकि यह प्रकाश के लिए उतनी ही अधिक सेन्सिटिव भी होती है, पर इसकी भी एक सीमा है क्योंकि इन्टेसीफाइंग स्क्रीन से निकला प्रकाश जल्द ही इमल्शन की ऊपरी परत द्वारा सोख लिया जाता है तथा उसके नीचे स्थित भाग अनएक्सपोज्ड ही रह जाता है ।
बड़े ग्रेन वाला इमल्शन छोटे की अपेक्षा अधिक सेन्सिटिव होता है । फिल्म के चुनाव में महत्वपूर्ण बात इसी स्पेक्ट्रल एबजार्पसन का गुण है । रेयर अर्थ स्कीन के प्रयोग के साथ ही उस फिल्म का ही चुनाव करना चाहिए जो कीन से निकलने वाले प्रकाश के रंग स्पेक्ट्रम से सेन्सिटिव हो ।
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कैल्सियम टंगस्टेट स्क्रीन नीला तथा नीला-बैंगनी प्रकाश निकालती है । अत: इससे स्टैन्डर्ड सिल्वर हैलाइड वाली फिल्म ही एक्सपोज करना चाहिए । रेयर अर्थ स्क्रीन नीले-बैंगनी, प्रकाश के अतिरिक्त हरे प्रकाश के लिए भी सेन्सिटिव होती है ।
अत: उचित चुनाव कर ही फिल्म प्रयोग की जानी चाहिए । ये फिल्में आर्थोक्रोमेटिक होती हैं तथा ग्रीन सेन्सिटिव फिल्में कहलाती हैं । यदि फिल्म व स्कीन का चुनाव अनुपयुक्त होगा, तो इमेज रिसेप्टर स्पीड बहुत कम हो जायेगी तथा रोगी को अधिक विकिरण मिलेगा ।
इन फिल्मों के साथ डार्क-रूम में थोड़ी सावधानी की आवश्यकता है । नीले प्रकाश को सेन्सिटिव फिल्म के साथ अम्बर फिल्टर का प्रयोग होता है तथा ग्रीन सेन्सिटिव फिल्म के लिए लाल फिल्टर का प्रयोग होता है ।
Type # 2. डायरेक्ट एक्सपोजर या स्क्रीन रहित फिल्म:
इस फिल्म का इमल्सन, सीन फिल्म की अपेक्षा मोटा होता है । प्रकाश आसानी से गुजर पाता है । अत: इसका एक्सपोजर सीधे एक्स-रे द्वारा होता हे और इसके साथ कीन का प्रयोग नहीं करना चाहिए ।
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नानस्क्रीन फिल्म गत्ते के होल्डर में रखकर एक्सपोज करने पर लगभग सामान्य की अपेक्षा चार गुना फास्ट होती है । अत: समान ब्लैकनिंग के लिए एक चौथाई एक्सपोजर की आवश्यकता होती है । मोटा इमल्शन होने के लिए स्कीन रहित फिल्मों को मैनुअली ही डेवलप करना चाहिए । इनका प्रयोंग प्राय: इन्दस्ट्रीज (कारखानों) में किया जाता हे ।
Type # 3. मैमोग्राफी फिल्म:
यइ फाइन ग्रेन, सिंगल इमल्सन फिल्म होती है, जिसे एक इन्टेन्सीफाइंग स्क्रीन के साथ एक्सपोज करते हैं ।
Type # 4. डुप्लीकेटिंग फिल्म:
यह सिंगल इमल्सन फिल्म होती है जिसे किसी फिल्म की कापी अल्ट्रावायलेट प्रकाश द्वारा की जाती है । डुप्लीकेटिंग फिल्म का आकार डुप्लीकेट की जाने वाली फिल्म के आकार पर निर्भर करता है ।
Type # 5. सब्सट्रैक्शन फिल्म:
इस फिल्म का प्रयोग कभी-कभी एन्जियोग्राफी में करते हैं । यह सिंगल इमल्सन वाली तथा दो प्रकार की होती है । इसमें से एक का प्रयोग सब्सट्रैक्सन मास्क बनाने में तथा दूसरी का प्रयोग ओरजिनल फिल्म की सुपरिमपोज्ड इमेज को रखने के लिए करते हैं । सब्सट्रैक्सन फिल्म का कन्द्रास्ट उच्च होता है ।
Type # 6. डेन्टल फिल्म:
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दो प्रकार की होती है:
एक इन्ट्राओरल या मुंह के अन्दर रखकर एक्सपोज करने हेतु तथा दूसरी पेनोरेमिक एक्सपोजर के लिए । स्टेन्डर्ड इन्ट्राऔरल फिल्में 1-1/4-1-5/8 इंच की होती है । ये डबल इमल्शन फिल्में होती हैं पर बिना सीन के ही एक्सपोज की जाती हैं ।
प्रत्येक फिल्म अलग से लेड क्वायल की बेकिंग में लिपटी होती हैं जिससे रोगी को विकिरण कम मिले । पैनोरेमिक फिल्में सिंगल इमल्सन स्क्रीन फिल्म होती हैं, जिसका आकर 5 x 12 इंच होता है ।
Type # 7. मेडिकल इमेजिंग फिल्म (चित्र 7..2):
इनका प्रयोग कम्प्यूटेड टोमोग्राफी, न्यूक्लियर मैग्नेटिक रिजोनेन्श, अल्ट्रासाउण्ड, डिजीटल रेडियोग्राफी, न्यूक्लियर मेडिसन तथा पाजीट्रान इमिशन टोमोग्राफी में इमेज रिकार्ड करने के लिए प्रयोग की जाती है ।
ये पांच परत वाली सिंगल कोटेड फिल्म होती हैं ।
i. बेस:
नीला टिन्ट युक्त पोलियस्टर बेस वाली तथा सभी गुणों जैसे ट्रान्सपेरेन्सी, कड़ापन, न मुड़ने वाली तथा लम्बे समय तक सुरक्षित रहने वाली होती हैं ।
ii. सबस्ट्रेटम:
बेस के दोनों ओर इमल्सन को बेस के साथ चिपकने के लिए होता हे ।
iii. इमल्शन:
यह आगे की तरफ होता है जिसमें सिल्वर हेलाइड के कण और जिलेटिन होता है जो फिल्म को प्रकाश प्रति सेन्सिटिव बनाती है । इसे कैथोडरे ट्यूब के फास्फर से निकलने वाली नीली हरे प्रकाश के लिए आर्थोक्रोमेटिकली सेन्सिटाइज करते हैं ।
iv. बाहरी परत:
बाहरी परत जिलेटिन तथा हार्डनर की होती है जो इमल्शन को खरोंचों से बचाती है ।
v. पीछे की परत एण्टी हैलो परत होती है जो इसे हैलेशन से बचाती है तथा माटल (धब्बा) रहित सार्प इमेज प्रदान करती है । इस परत के न होने पर रोशनी वस्तु से निकलकर इमल्शन परत पर आकर रिफलेक्ट होती है और उससे दुबारा एक्सपोजर हो सकता है और इमेज खराब हो सकती है ।