Read this article in Hindi language to learn about the anger management of individuals.
क्रोध एक भावनात्मक क्रिया है । यह सही है या गलत उस समय व्यक्ति विचार नहीं कर पाता । क्रोध में व्यक्ति का व्यवहार बदल जाता है । उसके सोचने-समझने की शक्ति क्षीण हो जाती है तथा उसे गलत व सही की पहचान नहीं रह जाती ।
अत्यधिक क्रोध का व्यक्ति के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है । इसका प्रभाव व्यक्ति के पारिवारिक एवं सामाजिक सन्तुलन पर भी पड़ता है । अत: क्रोध की स्थिति में व्यक्ति के लिए अपनी उत्तेजना को नियन्त्रित करना अत्यन्त कठिन होता है फिर भी उसे अपने क्रोध पर उचित प्रकार से नियन्त्रण करना चाहिये ।
क्रोध की प्रतिक्रिया (Reaction of Anger):
क्रोधित मनुष्य में दो प्रकार की प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलती हैं:
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(1) शारीरिक प्रतिक्रिया,
(2) मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया ।
(1) शारीरिक प्रतिक्रिया (Physical Reaction):
i. माँसपेशियों में तनाव (Muscle tension),
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ii. धड़कन (palpitation); साँस की गति में कमी (Shortness of Breath),
iii. उच्च रक्त चाप (High Blood Pressure)
iv. अधिक पसीना आना (Sweating) आदि ।
(2) मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया (Psychological Reaction):
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i. अपनी संवेदना पर नियंत्रण नहीं रहता
ii. घबराहट होती है ।
iii. न्याय करने की शक्ति क्षीण हो जाती है ।
iv. पक्षपातपूर्ण व्यवहार ।
v. गलतफहमी अत्यधिक हो जाती है ।
vi. ठेस पहुँचती है जिससे लड़ाई-झगड़ा करने की इच्छा तीव्र होती है ।
क्रोध का प्रभाव (Effect of Anger):
क्रोध का मनुष्य पर निम्न प्रभाव पड़ता है:
(1) शारीरिक स्वास्थ्य (Physical Health):
क्रोध के समय व्यक्ति का रक्त चाप बढ़ने से हृदय रोग होने की सम्भावना रहती है । कोलेस्ट्रॉल अधिक हो जाता है । क्रोधित व्यक्ति की नींद कम हो जाती है, व दर्द की संवेदना अधिक होती है । इस अवस्था को नियंत्रित करने के लिये व्यक्ति मदिरापान, धूम्रपान तथा खानपान की आदतों में परिवर्तन करने लगता है जिस कारण उसका स्वास्थ्य खराब हो जाता है तथा जीवन स्पंद कम हो जाता है ।
(2) मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health):
किसी व्यक्ति का क्रोध यदि कम समय में नियन्त्रित हो जाता है तो अच्छा होता है, अन्यथा क्रोध बढ़ने के साथ-साथ भविष्य में जल्दी-जल्दी क्रोध के दौरे पड़ने लगते हैं । दीर्घकालीन क्रोध का भावनाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है तथा व्यक्ति में शर्म, अकेलापन, दुख, भय, बदले की भावना आ जाती है । अधिक समय तक क्रोध शांत न होने पर व्यक्ति निराशा-कुंठा का शिकार हो जाता है ।
(3) सामाजिक सम्बन्ध (Social Relation):
ऐसा देखा गया है कि जिन व्यक्तियों को अधिक क्रोध आता है उनके अपने जीवन साथी, बच्चों व दोस्तों से मधुर सम्बन्ध नहीं रह पाते । अत: वे सामाजिक रूप से अकेले हो जाते हैं । क्रोध में आकर कभी-कभी व्यक्ति अपराध करने से भी नहीं चूकता । वह दूसरों को मारने-पीटने तथा जान से मारने के अपराध को करने से भी नहीं चूकता ।
(4) क्रोध को नियन्त्रित करने की सलाह (Suggestion to Control Anger):
क्रोध को नियन्त्रित करने के लिए सोचना बंद करना चाहिये, गहरी-गहरी साँस लेनी चाहिये तथा शांत होकर बैठना चाहिये । अच्छा हो यदि कोध शांत करने के लिये ”शांत रहना है” शब्द मन ही मन में कई बार बोलना चाहिये जब तक क्रोध शांत न हो जाये । उस स्थान से थोड़ी देर के लिये हट जाना चाहिये ताकि दिमाग को शांति मिल सके ।
(i) क्रोध के कारण को जानना (Know the Reason of Anger):
क्रोध का कारण व्यक्ति के आस-पास की घटना और स्थान पर निर्भर करता है । कभी-कभी व्यक्ति को क्रोध उसे बेइज्जत करने वाले, उसके साथ बुरा व्यवहार करने वाले या उसकी आलोचना करने वाले पर अधिक आता है । अत: इन कारणों की उचित प्रकार से जानकारी तथा उन समस्याओं का समाधान करने पर ही क्रोध शांत हो सकता है ।
(ii) विचारों पर नियन्त्रण (Control on Thoughts):
क्रोध आने से पहले ही व्यक्ति को अपने विचारों पर नियन्त्रण करना आना चाहिये । हर समस्या का समाधान होता है तथा उसके विकल्प भी होते हैं । अत: विकल्पों को समझ कर ही क्रोध शान्त किया जा सकता है ।
(iii) मूड को नियन्त्रित करना (Control Mood):
अच्छी तथा गहरी नींद लेनी चाहिये । अच्छी नींद के साथ-साथ नियमित व्यायाम करना चाहिए, अवकाश का उपयोग करना चाहिये, आरामदायक अभ्यास करना चाहिये, अपनी भावनाओं को दोस्तों से बाँटना चाहिये, संतुलित तथा स्वस्थ जीवन शैली अपनानी चाहिये । हमेशा सकारात्मक सोचना चाहिये, जहाँ तक सम्भव हो हंसते रहना चाहिये ।
उपरोक्त सभी विधियाँ क्रोध कम कर सकती हैं परन्तु यदि फिर भी क्रोध पर नियन्त्रण न हो सके तो चिकित्सक, सामाजिक कार्यकर्ता या मनोवैज्ञानिक चिकित्सालय जाना चाहिये ।
(5) वृद्धों का क्रोध कम करने में परिवार का सहयोग (Family Assistance to Control Anger):
अधिकांशतया वृद्धावस्था में सेवानिवृत्त होकर व्यक्ति अपने पुत्र-पुत्री के पास रहने आ सकता है । उस स्थिति में वृद्ध व्यक्ति को अपने बच्चों के अनुसार समायोजन करना पड़ता है जो कि अत्यंत कठिन होता है क्योंकि जीवन पर्यन्त उन्होंने मेहनत की अब आराम करना चाहते हैं परंतु ऐसा तभी सम्भव है जबकि उन्हें हर प्रकार की सुख-सुविधा प्राप्त हो जिनकी उन्हें आवश्यकता होती है ।
आयु के बढ़ने तथा बीमारियों के कारण वृद्ध व्यक्ति चिड़चिड़ा हो जाता है व छोटी-छोटी बात पर उसे गुस्सा आ जाता है; जैसे: बच्चों का शोर, जोर से टेलीविजन चलाना, चीखना चिल्लाना, उनकी वस्तुओं का जगह पर न होना, उनको महत्व न मिलना, उनकी बातों पर ध्यान न देना आदि उनके गुस्से का कारण हो सकता है ।
क्रोध शांत करने के उपाय (Solution to Control Anger):
i. क्रोध का मुख्य कारण ज्ञात करना,
ii. घर परिवार के बच्चों को समझाना कि उनके दादा-दादी का ध्यान उन्हें रखना है,
iii. रात का डिनर पूरे परिवार को एक साथ करने की आदत डालना जहाँ पर उनकी समस्या की जानकारी लेना,
iv. समय-समय पर चिकित्सक से जाँच कराना,
v. व्यायाम के लिये उत्साहित करना,
vi. मनोरंजन की व्यवस्था करना ।
vii. यदि इन सभी बातों से भी क्रोध शांत न हो तो वृद्ध को चिकित्सक, सामाजिक कार्यकर्ता या मनोवैज्ञानिक सलाहकार के पास ले जाना चाहिये ।