राजनीतिक एवं सुरक्षा संबंधी समस्याएं | “Politico-Security Issues” in Hindi Language!
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जब संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन हुआ तो इसका उद्देश्य था-विश्व में शांति की स्थापना करना । शांति की स्थापना के लिए निरस्त्रीकरण का होना आवश्यक है । निरस्त्रीकरण आधुनिक युग की माँग है । निरस्त्रीकरण तभी हो सकता है, जब शस्त्र पर नियंत्रण करके कम-से-कम शस्त्रों का उत्पादन हो तथा शस्त्र के क्षेत्र में अधिक धन न खर्च किया जाए ।
निरस्त्रीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अस्त्र-शस्त्रों को सीमित और नियंत्रित रूप से रखा जाए और अस्त्र-शस्त्र के उत्पादन में अधिक खर्च न किया जाए । निरस्त्रीकरण के चार स्तंभ हैं-शस्त्र नियंत्रण, घटनाओं की रोकथाम, विश्वनिर्माण तथा परमाणु शक्ति का प्रतिरोध ।
भारत ने 1998 में दूसरा परमाणु परीक्षण करके अपनी न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता को जागृत किया है । इसका उद्देश्य परमाणु शस्त्र का भय दिखाकर परमाणु रहित राष्ट्रों को दबाना नहीं है । वर्तमान में विश्व स्तर पर आतंकवाद ने विकट समस्या उत्पन्न कर दी है । वर्तमान समय आर्थिक सहयोग का युग है ।
ADVERTISEMENTS:
इसलिए सभी देशों को चाहिए कि वह आपसी सहयोग से आतंकवाद को समाप्त करें तथा राष्ट्र की उन्नति में सहयोग करें । प्रस्तुत अध्याय में काल-कातिर्क एवं सुरक्षा संबंधी समस्याएँ जैसे शस्त्र नियंत्रण निरस्त्रीकरण, परमाणु मसले और अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर चर्चा की गई है ।