Read this article to learn about the use of ammeter and volt meter power in Hindi language.
विद्द्युत शक्ति:
विधुत ऊर्जा की खपत की दर को विश्वत शक्ति कहा जाता है । यदि विभवांतर x वोल्ट हो तथा वियुतधारा 1 एम्पियर, t सेकंड के लिए प्रवाहित हो तो कुछ विद्द्युत ऊर्जा खपत W = VIt जूल विद्द्युत शक्ति P = W/t = VI वाट विद्द्युत शक्ति के बढ़े मात्रक किलोवाट (1000 वाट) तथा मेगावाट (106 वाट) हैं ।
विद्द्युत ऊर्जा:
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जब किसी परिपथ में I धारा, V विभवांतर पर t सेकंड के लिए प्रवाहित होती है तो कुल ऊर्जा खपत = VIt = Pt विद्द्युत ऊर्जा का मात्रांक जूल (वाट-सेकंड) है जो काफी छोटा मात्रांक है । इसका व्यवहारिक मात्रांक किलोवाट/घंटा है । 1 किलोवाट/घंटा = 1000 वाट x 3600 सेकंड = 3.6 x 106 जूल
घरों में होनेवाली बिकुल की खपत के लिए 1 किलोवाट/घंटा को 1 यूनिट भी कहा जाता है । किसी परिपथ में प्रतिरोध को शामिल करने के लिए प्रतिरोध बाक्स का प्रयोग होता है । विद्युत तथा इलेक्ट्रानिक परिपथों में अलग-अलग परिमाणों के प्रतिरोध प्रयोग किये जाते हैं । “धारा नियंत्रक” का उपयोग विद्युत परिपथों में परिवर्ती प्रतिरोध शामिल करने के लिए तथा विभव विभाजक के रूप में होता है ।
वोल्ट मीटर:
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वोल्टमीटर का उपयोग चालक के किन्हीं दो बिंदुओं अथवा परिपथ के किसी भाग में विभवांतर मापने के लिए किया जाता है । इसकी संरचना एमीटर के समान ही होती है परंतु एक आदर्श वोल्टमीटर अनंत प्रतिरोध का होना चाहिए । इसे हमेशा चालक या विअवाहक बल के स्रोत के पार्श्व संबंधन में लगाया जाता है । इसका धनात्मक टर्मिनल सेल के धनात्मक टर्मिनल की ओर लगाया जाता है । (चित्र 4.10)
चलकुंडली गैल्वेनोमीटर मध्यम प्रतिरोध का सुग्राहय गैल्वैनोमीटर होता है । इसमे एक पैमाना होता है जिसके मध्य में शून्य बिंदु तथा दोनो ओर समान अंतराल की विभाजक रेखाएं होती इऐं । गैल्वैनोमीटर का उपयोग प्राय: “शून्य विधि” से विद्द्युत धारा संसूचन के लिए किया जाता है । इसमें एक तीक्ष्ण बिंदु पर स्थित तार की कुंडली होती है जिसे एक तीव्र चुंबक के ध्रुवों के बीच रखा जाता हैं । एक हल्का सूचक कुंडली पर लगा होता है जो स्प्रिंग की सहायता से पैमानें के ऊपर घूमता है ।
एमीटर:
एमीटर वास्तव में एक गैल्वेनोमीटर है जिसके पार्श्व संबंधन में एक कम परिमाण का प्रतिरोध लगा होता है जिसे शंट कहते हैं । इसका प्रयोग परिपथ में विद्द्युतधारा के मापन के लिए होता है और यह एम्पियर या उसके छोटे हिस्सों में चिन्हित होता है ।
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एमीटर हमेशा परिपथ के श्रेणी में लगता है । चूंकि एमीटर का प्रतिरोध बहुत कम होता है अत: इसे हमेशा परिपथ में लगाने पर उसमें बहने वाली विद्युतधारा में कोई परिवर्तन नहीं होता (चित्र 4.11) । विद्युत चुंबकीय प्रेरण-स्वत: तथा अन्योन्य, प्रत्यावर्ती धारा जनित्र, ट्रांसफार्मर, चुम्बकीय बल रेखाएं, चुम्बकीय फ्लक्स, चुम्बकीय धनत्व ।