Read this article to learn about ohm’s law of electrical circuits and its failure in Hindi language.
विद्युत परिपथों का ओहम का नियम:
किसी चालक में बहने वाली विद्युतधारा उसके सिरों के विभवांतर V के समानुपाती होती है । यदि तापमान स्थिर रहे । यह ओहम का नियम कहलाता है ।
V α I अथवा V = IR
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R चालक का प्रतिरोध कहलाता है । प्रतिरोध की वितोम राशि चालकत्व कहलाती है । R = 1/c: विद्युत चालकता, विद्युत प्रतिरोधकता की विलोम राशि है । ओहम का नियम प्रकृति का मूल नियम नहीं है । कई परिस्थितियों में वोल्टता तथा धारा के बीच का संबंध रैखिक नहीं होता ।
जो पदार्थ ओहम के नियम का पालन नहीं करते, वे अन-ओहमी पदार्थ कहलाते हैं । जब किसी चालक में प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा बढ़ाई जाती तो वह गर्म होने लगता है और उसका प्रतिरोध बढ़ जाता है, जिसे समीकरण से दर्शाया जाता है ।
R2 = R1 [1 + α (t2 – t1)]
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ओहम के नियम की विफलता (अर्ध चालकों के लिए):
P-n संधि बहने वाली धारा चित्र 4.5 में दिखाई गई है । ग्राफ के दायीं ओर का हिस्सा अग्रदिशिक बायस की स्थिति में तथा बांयी ओर का हिस्सा पश्चदिशिक बायस की स्थिति दर्शाता है । थायरिस्टर में P तथा n किस्म के अर्थ चालकों की तीन एकांतर परतें होती हैं ।
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चित्र 4.6 से स्पष्ट है कि AB क्षेत्र में V और I समानुपाती नहीं । यह अव्यवस्थित चालकों के लिए ओहम के नियम की विफलता दर्शाता है । अव्यवस्थित चालक व्यवस्था तापमान (लगभग 4 केल्विन या उससे कम पर) ओहम के नियम का पालन नहीं करते ।
ऐसे चालकों में एक ही अनुप्रस्थ परिच्छेद की दुगनी लंबाई के तार का प्रतिरोध, दुगने से भी अधिक होता है । ऐसा इलेक्ट्रानों की तरंगीय गुणों के कारण होता है जिससे व्यतिकरण प्रभाव उत्पन्न होता है ।
ओहम के नियम की विफलता (अति चालक के लिए):
अतिचालक वे पदार्थ है जो विद्युत धारा के प्रवाह में कोई प्रतिरोध नहीं दिखाते । जैसे-जैसे तापमान घटाया जाता है, प्रतिरोध कम होता है, चालकता बढ़ती है । एक विशिष्ट तापमान पर प्रतिरोध समाप्त हो जाता है । ऐसे पदार्थ अतिचालक कहलाते हैं । उदाहरण Y Ba2 cm3 o1 का प्रतिरोध 90 K के नीचे बिलकुल समाप्त हो जाता है ।
चालकता में इस प्रकार की वृद्धि का कारण आयनी कंपन नहीं है जो गतिशील इलेट्रानों को विक्षेपित करते हैं । अति चालक में इलेक्ट्रान स्वतंत्र नहीं होते बल्कि परस्पर संसक्त होते हैं । ऐसे संसक्त इलेक्ट्रानों का आयनी कंपनो द्वारा विक्षेपण नहीं होता ।
अत: अतिचालकों में क्रांतिक तापमान के नीचे प्रतिरोध नहीं होता । आजकल अधिक क्रांतिक तापमान के अतिचालक खोजे जा रहे हैं । यदि कमरे के तापमान पर अतिचालक पदार्थ की खोज हो गई तो इनके उपयोग से बिजली के संचरण में शक्तिहास समाप्त हो जायेगा ।