Read this article to learn about magnetic lines of force and its measurement in Hindi language.
यदि हम एक कांच की प्लेट पर लोहे का चूरा समान रूप से छितरा दें और एक चुम्बक प्लेट के नीचे रख कर प्लेट को ठकठकाएं तो हम देखेंगे कि छड्चुम्बक के आसपास लोहे का चूरा वक्र रेखाओं के रूप में व्यवस्थित हो जाता है ।
यह वक्र रेखाएं चुम्बकीय बल रेखाएं कहलाती हैं । इनकी परिभाषा निम्न दो प्रकार से की जा सकती है ।
1. चुम्बकीय बल रेखा चुम्बकीय क्षेत्र की वह काल्पनिक रेखा है जो चुम्बकीय बल की दिशा प्रदर्शित करती है ।
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2. चुम्बकीय बल रेखा चुम्बकीय क्षेत्र में वह सतत चक्र है जिसके किसी बिंदु पर खींची गई स्पर्श रेखा उस बिंदु पर परिणामी बल की दिशा दिखाती है ।
चुम्बकीय बल रेखाओं के गुण-धर्म:
1. बलरेखाएँ सदा उत्तरी ध्रुव से शुरू होकर दक्षिणी सुव पर खत्म होती हैं ।
2. यह एक दूसरे को काटती नहीं हैं ।
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3. यह बंद तथा सतत चक्र के रूप में होती है ।
4. इनका घनत्व ध्रुवों पर जहां चुम्बकीय क्षेत्र अधिक होता है, ज्यादा होता है । हल्के चुम्बकीय क्षेत्र में इनके बीच की दूरी अधिक होती है ।
(चित्र 4.12) में दिखाए दो उत्तरी ध्रुवों के बीच का बिंदु, उदासीन बिंदु कहलाता है । इस बिंदु पर दोनों चुम्बकों द्वारा लगने वाले बल विपरीत दिशा में होने के कारण एक दूसरे को निरस्त कर देते हैं । यदि इस स्थान पर चुम्बकीय सूई रखी जाये तो उस पर कोई बल नहीं लगता तथा किसी भी दिशा में स्थिर हो सकती है ।