Read this article to learn about electromagnetic induction and its law in Hindi language.
एक तांबे की तार की कुंडली के दोनों सिरे एक गैल्वैनोमीटर से जोड़ दीजिये । अब यदि एक शक्तिशाली छड़ चुम्बक को तेजी से कुंडली के अंदर चलाया जाये तो गैल्वेनोमीटर की सुई घूमती है । इससे पता चलता है कि कुंडली में एक प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न होती है । चुंबक को तेजी से बाहर निकालने पर विपरीत दिशा में विद्युत धारा उत्पन्न होती है ।
इसी प्रकार जब दो कुंडलियां पास-पास रखी जायें तो एक कुंडली के परिपथ में संपर्क और विच्छेद होने पर दूसरी कुंडली में वियुत धारा उत्पन्न होती है । धारा नियंत्रक के उपयोग से विद्युत धारा को परिवर्तित करने पर भी प्रेरित धारा उत्पन्न होती है । प्रयोगों से पता चलता है कि प्रेरित वियुत वाहक बल तभी उत्पन्न होता है जब कुंडली के पास के चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है ।
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इसे विद्द्युत चुम्बकीय प्रेरण कहा जाता है ओर इससे संबंधित फैराडे के नियम इस प्रकार हैं:
1. प्रथम नियम:
जब किसी बंद परिपथ से संबद्ध चुम्बकीय फ्लकस में परिवर्तन होता है तब कुंडली में प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है और परिपथ में प्रेरित विद्युत धारा बहती है । यह विद्युतधारा उतनी देर बहती है जितनी देर यह परिवर्तन चलता है । इस नियम के अनुसार फ्लक्स में वृद्धि के समय प्रेरित विद्युत धारा की दिशा उलटी तथा कमी के समय सीधी होती है ।
2. द्वितीय नियम:
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प्रेरित विद्युत वाहक बल का परिणाम संबद्ध चुम्बकीय फ्लकस में परिवर्तन की दर के समानुपाती होता है । यदि किसी क्षण “t” पर कुंडली से संबद्ध फ्लक्स हो तो लेंज के नियम के अनुसार E ऋणात्मक होता है ।
लेंज का विद्यूत चुम्बकीय प्रेरण नियम:
लेंज के नियम के अनुसार प्रेरित विद्युत वाहक बल की दिशा इस प्रकार की होती हे कि यह इसे उत्पन्न करने वाले परिवर्तन का विरोध करता है । जब प्राथमिक कुंडली में धारा बढ़ती है तो द्वितीयक कुंडली में प्रेरित धारा उल्टी दिशा में उत्पन्न होती है जो परिपथ से संबद्ध चुम्बकीय फ्लक्स को कम करने का प्रयास करती है ।
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जब एक चुंबक सोलोनाइड की तरफ चलाया जाता है तो प्रेरित विद्युत धारा की दिशा उसका विरोध करती है । उदाहरण के लिए यदि चुंबक का उत्तरी पुव कुंडली की तरफ लाया जाये तो चुम्बकीय फ्लक्स बढ़ता है और प्रेरित विद्युतधारा वामावर्त होती है । दोनों उत्तरी को में प्रतिकर्षण होता है ।
यह सिद्धांत भी ऊर्जा संरक्षण सिद्धांत का ही एक रूप है क्योंकि प्रतिकर्षण बल के कारण दोनों उत्तरी सुवों को समीप लाने में कुछ ऊर्जा व्यय करनी पड़ती है । यह ऊर्जा कुंडली में विद्यूत ऊर्जा के रूप में परिवर्तित हो जाती है ।
जब चुंबक का उत्तरी ध्रुव कुंडली से वापिस दूर हटाया जाता है तो चुंबक के उत्तरी पुर्व और कुंडली में उत्पन्न दक्षिणी ध्रुव के बीच आकर्षण होता है । इससे संबंधित ऊर्जा प्रेरित विद्द्युत धारा के रूप में परिवर्तित होती है जो गैल्वेनोमीटर में विक्षेप उत्पन्न करती हैं ।
लेंज का नियम इस प्रयोग से समझा जा सकता है । लोहे की लंबी छड़ की कोर वाली कई फेरों की एक कुंडली लीजिये । लोहे की छड़ और कुंडली के ऊपर एक एल्यूमिनियम का रिंग लगाइये । जब कुंडली में प्रत्यावर्ती धारा प्रवाहित की जाती है तो एल्यूमिनियम का रिंग उछलता है । रिंग में प्रेरित विद्द्युत धारा कुंडली के चुम्बकीय क्षेत्र का विरोध करती है और प्रतिकर्षण के कारण रिंग उछलता है ।
फ्लेमिंग का दायें हाथ का नियम:
दायें हाथ के अंगूठे, तर्जनी और मध्यमा को एक दूसरे के लंबवत रखिये । यदि तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में हो तथा अंगूठा, विद्युत धारा की दिशा में हो तो मध्यमा प्रेरित वियुतवाहक बल की दिशा बतायेगी ।
भंवर-धाराएं:
जब धातु का ठोस पिंड चुंबकीय क्षेत्र में गतिशील होता है अथवा स्थिर स्थिति में उससे संबद्ध चुम्बकीय फलक्स में परिवर्तन होता है तो उसमे प्रेरित धाराएं उत्पन्न होती हैं । ये धारा भवर-धाराएं कहलाती हैं तथा इनकी दिशा लेंज के नियम से निर्धारित होती है ।
भंवर धाराओं के कारण ऊर्जा हानि:
ट्रांसफार्मर आदि विद्युत उपकरणों में भंवर धारा गर्मी उत्पन्न करती है तथा ऊर्जा की हानि होती है । इस गर्मी के कारण विद्युत रोधन खराद हो सकता है और कुंडली जल सकती है ।
यदि ट्रांसफार्मर की लोहे की कोर पतली पतली पर्तो से बनायी जाये और इन पर्तो के बीच में विद्द्युत रोधन का इंतजाम किया जाय तो ऐसी पटलित कोर में भवन-धारा हानि बहुत कम की जा सकती है । अधिकतर उपकरणों में इसी विधि का प्रयोग होता है ।
भंवर धाराओं के उपयोग:
1. इनका उपयोग चुंबकीय ब्रेक बनाने में होता है ।
2. इनके अवमंदन प्रभाव का व्यवसायिक उपयोग किया गया है ।
3. अधिक आवृत्ति को प्रत्यावर्ती धारा से उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र में से तेजी से गुजार कर धातु को गर्म किया जा सकता है ।
4. कोर को एक प्रतिरोधी फ्रेम पर लगाकर बैलिस्टिक गैलवेनोमीटर में अवमंदन बहुत कम किया जा सकता है ।
5. चल कुंडली गैल्वेनोमीटर की कुंडली को कुचालक फ्रेम लगाकर अवमंदन कम किया जा सकता है ।