महात्मा गाँधी पर अनुच्छेद । A Short Paragraph on Mahatma Gandhi in Hindi Language!
एशिया के चमत्कारी पुरुष महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात में हुआ । वह अहिंसा के समर्थक एवं सत्य के प्रचारक थे । उनका जन्म एक धनी मानी परिवार में हुआ । उन्होंने सत्रारह वर्ष की उम्र में अपनी प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण की । अपने विद्यालय के दिनों में वह बहुत शर्मीले स्वभाव के थे ।
वह कानून की पढ़ाई पढ़ने इंग्लैंड गये व ‘बैरिस्टर’ बन कर लौटे । भारत आकर उन्होंने बम्बई हाईकोर्ट में ‘प्रैक्टिस’ करनी प्रारम्भ की । किन्तु वह कानून के पेशे में संतुष्ट नहीं थे । अत: वह भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में कूद पड़े । वह दक्षिण अफ्रीका भी गये । वहाँ उन्होंने भारतीयों की दशा सुधारने के लिये भ्रसक प्रयत्न किये ।
वहां उन्हें बहुत सी मुसीबतों का सामना करना पड़ा किन्तु वह अपने उसूलों पर डटे रहे । दक्षिण अफ्रीका से लौटने के पश्चात् गाँधी जी ने राजनीति में प्रवेश किया । वह अंग्रेजों के राज्य में भारतीयों की दयनीय दशा को सहन नहीं कर पाये । भारत भूमि से अंग्रेजों को उखाड़ फेंकने के लिये उन्होंने सर्वस्व त्याग दिया ।
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उनका पूर्ण जीवन त्याग एवं तपस्या का आख्यान है । स्वतंत्रता गाँधी जी के जीवन का लक्ष्य था । सन् 1919 में उन्होंने अहिंसक एवं शान्ति पूर्ण आन्दोलन प्रारम्भ किया । हिन्दु मुस्लिम एकता अस्पृश्यता का अन्त एवं स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग जीवन पर्यन्त उनके जीवन लक्ष्य थे । महात्मा गाँधी दृढ़ व्यक्तित्व के व्यक्ति थे ।
असल में वह एक उत्तम आत्मा के स्वामी थे । वह साधारण कपड़े पहनते थे एवं सादा भोजन करते थे । वह केवल शब्दों पर नहीं बल्कि कार्य कूरने में विश्वास रखते थे । जिसका वह उपदेश देते थे उन बातों का अनुसरण भी करते थे । विभिन्न समस्याओं के संदर्भ में उनका अभिगम अंहिसक था ।
वह धर्मभीरू थे । वह सभी के आंखों के तारे थे । उन्हें हर प्रकार के जातिवाद से नफरत थी । वह सभी के मित्र थे एवं उनका कोई भी शत्रु नहीं था । सभी उन्हें पसन्द करते थे और प्यार करते थे । भारतीय राजनीति में उनका मार्गदर्शन सदैव स्मरण रहेगा । भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई के तुफानी दिनों में गाँधी जी ने बहुत कष्ट उठाये एवं कई बार जेल गये ।
किन्तु अपनी मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिये डटे रहे । उन्होंने कांग्रेस की राजनीति का पथ प्रदर्शन किया एवं ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ चलाया और बहुत बार जेल जाना पड़ा । उनका सम्पूर्ण जीवन सेवा त्याग निष्ठा एवं आस्था को समर्पित था । यह संत पुरुष, विचारक लेखक एवं सुवक्ता थे ।
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जो भारत को राजनीति के आकाश में अभी भी एक सितारे की तरह चमकते हैं । 30 जनवरी, 1948 को उनकी आकस्मिक हत्या से सारे भारतवासी हिल गये । नाथू राम गोडसे ने गोली मार कर उनकी हत्या की । शान्ति एवं प्रजातन्त्र के लिये उनकी मृत्यु एक जबरदस्त धक्का था । लार्ड माउंटबेटेन ने एक बार कहा था: ‘भारत, असल में विश्व ऐसे व्यक्ति को युगों तक नहीं देख पायेगा ।
उनकी मृत्यु से राष्ट्र में एक खालीपन आ गया । सम्पूर्ण विश्व आज भी बीसवीं सदी के इस अनुभवी सिपाही का सम्मान करता है जो वक्त की रेत पर अपने निशां छोड़ गया । भारत उन्हें राष्ट्रपिता बापू के नाम से जानता है ।