Read this article in Hindi language to learn about the top five features of consumer protection act. The features are: 1. Application of the Law 2. Consumer Redressal Forum 3. Expeditions Disposal 4. Advisory Bodies 5. COPRA.
Feature # 1. कानून का उपायोजन (Application of the Law):
यह अधिनियम वस्तु व सेवाओं दोनों पर समान रूप से लागू होता है । वस्तु उसे कहते हैं जिसे उत्पादककर्ता उत्पादित अथवा निर्माण करता है तथा ये वस्तुयें उपभोक्ताओं को बेची जाती हैं । इन सेवाओं में: यातायात के साधन, संचार/टेलीफोन, बिजली, पानी, सड़क, सीवर लाइन्स आदि आते हैं । ये सुविधायें सार्वजनिक क्षेत्र के व्यवसायियों या सरकारी विभागों द्वारा उपलब्ध कराई जाती हैं, जबकि वस्तुओं का उत्पादन प्राइवेट क्षेत्र में होता है ।
Feature # 2. उपभोक्ता निवारण संघ या उपभोक्ता मंच (Consumer Redressal Forum):
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत् उपभोक्ताओं को वस्तुओं व सेवाओं के विरुद्ध शिकायत दर्ज करने के लिये न्यायपालिकाओं की स्थापना की गई है । देशभर में उपभोक्ता के हितों की रक्षा व संरक्षण करने के लिये तीन स्तरीय न्याय दिलाने वाली प्रणाली की भी स्थापना की गई है ।
इस तंत्र में विभिन्न स्तरों पर उपभोक्ता मंच स्थापित किये गये हैं । इस प्रणाली के तहत प्रत्येक जिले, राज्य तथा केन्द्र में उपभोक्ता मंच या आयोग का गठन किया गया है ।
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इन स्थानों पर उपभोक्ता अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं:
(i) जिला मंच (District Stage):
प्रत्येक जिले में उपभोक्ता की परिवेदना सुनने के लिये एक जिला मंच होता है । इस मंच का अध्यक्ष जज स्तर का अधिकारी होता है तथा उसकी सहायता के लिये दो अन्य सदस्य होते हैं । जिला मंच में केवल 20 लाख रु. तय की राशि के मुआवजे की अपील की जा सकती है ।
(ii) राज्य स्तर पर मंच (State Level Stage):
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प्रत्येक राज्य में उपभोक्ता परिवेदना निवारण के लिये राज्य आयोग स्थापित है । इस आयोग का अध्यक्ष उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के स्तर का अधिकारी होता है । अध्यक्ष को सहायता के लिये दो और अधिकारी दिये गये हैं । राज्य आयोग में 20 लाख रु. से 1 करोड़ रु. तक के मुआवजे की अपील की जाती है ।
(iii) राष्ट्रीय स्तर पर आयोग (National Level Commission):
राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता परिवेदना निवारण के लिये राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की गई है । इसका अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश होता है । इसकी सहायता के लिये चार अन्य अधिकारी होते हैं । यहाँ पर राज्य आयोग के निर्णय के विरोध में अपील की जाती है । राष्ट्रीय आयोग में 1 करोड़ रु. के मुआवजे की अपील होती है । अन्तिम सुनवाई उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) में होती है ।
Feature # 3. शीघ्र निवारण (Expeditions Disposal):
इस अधिनियम के तहत उपभोक्ताओं को न्याय शीघ्र मिल जाता है, इस अधिनियम में केवल 90 दिनों में शिकायत का निवारण करने का प्रावधान है । यह समय अवधि उन शिकायतों के लिये है जिनमें प्रयोगशाला की आवश्यकता नहीं होती है । यदि शिकायत वाली वस्तु की जाँच के लिये प्रयोगशाला की आवश्यकता होती है तो यह अवधि बढ़कर पाँच महीने तक हो जाती है ।
Feature # 4. सलाहकार समितियाँ (Advisory Bodies):
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उपभोक्ता परिवेदना निवारण सलाहकार समितियों में मुख्य दो परिषद् होती हैं:
i. उपभोक्ता संरक्षण परिषद्
ii. केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण परिषद्
इन दो परिषदों की राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर पर स्थापना की गई है । ये परिषदें उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों का उचित प्रयोग करने के लिये प्रेरित करती हैं । अहमदाबाद में उपभोक्ता प्रशिक्षण तथा अनुसंधान (CERC) केन्द्र है जो उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है ।
Feature # 5. कोपरा (COPRA):
इसके तहत की गई शिकायत दर्ज कराने पर न्यायालय की कोई फीस नहीं भरनी पड़ती है । इससे गरीब उपभोक्ता को लाभ मिलता है तथा वे बिना किसी अतिरिक्त खर्च के इसमें अपनी शिकायतों का निवारण करा सकते हैं ।