Read this article in Hindi to learn about the details of the wildlife protection act.
1972 में पारित इस अधिनियम का संबंध राष्ट्रीय पार्कों और अभयारण्यों की घोषणा और अधिसूचना से है । यह राज्यों के वन्यजीवन प्रबंध के ढाँचे और वन्यजीवन प्रबंध के लिए पदों की व्यवस्था करता है । इसमें वन्यजीवन सलाहकार बोर्ड की स्थापना का प्रावधान भी है । इस अधिनियम की एक से चार अनुसूची में दर्ज सभी पशुओं के शिकार पर प्रतिबंध है । इन्हें विनाश के खतरे की गंभीरता के अनुसार अधिसूचित किया गया है । जिन पौधों का संरक्षण आवश्यक है, वे अनुसूची छह में दर्ज हैं ।
वन्यजीवन संरक्षण अधिनियम में 2002 का संशोधन और भी सख्त है और यह स्थानीय जनता द्वारा संसाधनों के व्यावसायिक उपयोग पर रोक लगाता है । इसने सामुदायिक रिजर्व क्षेत्र की स्थापना जैसी नई धारणाएँ सामने रखीं । इसने अनेक परिभाषाओं को बदला । मसलन अब पशुओं में मछलियाँ भी शामिल हैं । पारितंत्रों का संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए वनों के उत्पादों की पुनर्परिभाषा की गई है ।
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नए अधिनियम में जहाँ अनेक परिवर्तन किए गए हैं, वहीं उसके क्रियान्वन से जुड़े अनेक गंभीर मुद्दे अभी बाकी हैं । कानून तो वही अच्छे होते हैं जो लागू किए जा सकें । इस अधिनियम से आशा थी कि वह कानून तोड़ने वालों को हतोत्साहित करेगा । लेकिन गैरकानूनी शिकार संबंधी अनेक समस्याएँ उठी हैं । वन विभाग में कर्मचारी बढ़ाकर उन्हें हथियार, जीपें और रेडियो उपकरण आदि दिए बगैर इस अधिनियम से गैरकानूनी शिकार में कमी लाने की आशा नहीं की जा सकती ।
दंड (Penalties):
इस अधिनियम के अंर्तगत दिए गए लाइसेंस या परमिट की शर्तों को भंग करने वाला व्यक्ति एक अपराध का दोषी माना जाएगा । अपराध पर कैद की सजा का प्रावधान है जिसे बढ़ाकर तीन साल तक किया जा सकता है या फिर 25,000 रुपये का जुर्माना या दोनों की सजा दी जा सकती है ।
अनुसूची I में या अनुसूची II के भाग II में दर्ज किसी पशु के संबंध में कोई भी अपराध, जैसे ऐसे किसी पशु के मांस का उपयोग या पशुओं से प्राप्त खाल आदि का ट्राफी रूप में उपयोग, कम से कम एक साल कैद की सजा और 25,000 रुपये जुर्माने का कारण बन सकता है । कैद को बढ़ाकर छह साल किया जा सकता है ।
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इस उपभाग में दर्ज कोई अपराध दूसरी बार या उसके बाद भी किया जाए तो कैद की सजा छह साल हो सकती है और दो साल से कम नहीं होगी और साथ में 10,000 रुपये जुर्माने का प्रावधान भी है ।
व्यक्ति क्या कर सकता है?
i. आप अगर किसी पशु का गैरकानूनी शिकार होते या किसी मारे गए पशु को देखें तो वन विभाग के उच्चतम स्थानीय अधिकारी को सूचित करें । प्रेस के द्वारा भी इस घटना की सूचना दी जा सकती है । ध्यान रखें कि संबंधित अधिकारी द्वारा कार्रवाई की जाए । कोई कार्रवाई न होने पर राज्य के मुख्य वन्यजीवन वार्डन से संपर्क कीजिए ।
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ii. वन्यजीवन के उत्पादों के उपयोग को ‘नहीं’ कहें और दूसरों को भी समझाएँ कि उन्हें न खरीदें ।
iii. जहाँ भी संभव हो, लकड़ी या उससे बनी वस्तुओं का उपयोग कम करें ।
iv. कागज का दुरुपयोग रोकें क्योंकि यह बाँस और लकड़ी से बनता है तथा इससे वन्य प्राणियों का आवास नष्ट होता है । कागज और लिफाफों का पुनरुपयोग किया जा सकता है ।
v. एक दबाव समूह (pressure group) बनाएँ और सरकार से हमारे देश की जैव-विविधता की सुरक्षा के लिए उचित कार्रवाई की मांग करें ।
vi. पशुओं को हानि न पहुँचाएँ । दूसरों को भी पशुओं के साथ क्रूरता बरतने से रोकें ।
vii. पक्षियों के घोंसलों और बच्चों को प्रभावित न करें ।
viii. किसी चिड़ियाघर में जाएँ तो पशुओं पर पत्थर फेंककर उन्हें तंग न करें और न उन्हें कुछ खिलाएँ । दूसरों को भी ऐसा करने से रोकें ।
ix. कोई घायल पशु सामने पड़े तो उसकी सहायता के लिए जो कुछ कर सकते हों, करें ।
x. किसी पशु को इलाज और विशेषज्ञों की देखभाल की आवश्यकता हो तो अपने नगर में पशुओं पर क्रूरता की रोकथाम करनेवाली सोसायटी से या ब्लू क्रास से संपर्क करें ।
xi. अपने परिवार और मित्रों में अपने ढंग से जैव-विविधता के संरक्षण की चेतना पैदा करें ।
xii. जैव-विविधता के संरक्षण से संबंधित किसी संगठन के सदस्य बनें, जैसे वर्ल्डवाइड फंड फार नेचर-इंडिया (डब्ल्यू डब्ल्यू एफ-आई), बांबे नेचुरल हिस्टरी सोसायटी या कोई स्थानीय गैरसरकारी संगठन ।