Read this article in Hindi to learn about the details of the water (prevention and control of pollution) act.
उद्योगों, कृषि और घरों का गंदा पानी हमारे जल स्रोतों को प्रदूषित करता है । इसे रोकने के लिए भारत सरकार ने 1974 में यह अधिनियम पारित किया था । प्रदूषकों की भारी मात्रा वाला जो गंदा पानी दलदलों, नदियों, झीलों और सागरों में जाता है, वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है । विभिन्न प्रदूषकों के स्तरों की निगरानी करके उनके स्रोतों पर ही उनका नियंत्रण करना और प्रदूषकों को दंड देना आदि प्रदूषण के रोकथाम के उपाय हैं ।
जल प्रदूषण में कमी के लिए हर व्यक्ति की अपनी भूमिका है, जैसे घरों में जैव-क्षरणीय रसायनों का उपयोग करना, बागों में कीटनाशकों के उपयोग में कमी लाना, तथा तेल, दूसरे पेट्रोलियम पदार्थों और भारी धातुओं का उपयोग करने वाले कार्यस्थलों और औद्योगिक इकाइयों में प्रदूषण के स्रोतों की पहचान करना ।
अत्यधिक जैविक पदार्थ, अवसाद या अस्पतालों के कचरों में मौजूद संक्रामक कीटाणु भी जल को प्रदूषित कर सकते हैं । विभिन्न प्रकार के जल प्रदूषण के खिलाफ उचित कार्रवाई के लिए अधिकारियों को सूचना देने के बारे में नागरिकों को एक निगरानी दस्ता तैयार करना होगा । लेकिन प्रदूषण से पैदा समस्याओं का हल निकालने या दोषियों को दंड देने से बेहतर तो प्रदूषण की रोकथाम करना ही है ।
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जल प्रदूषण का निरोध, नियंत्रण और हतोत्साहन तथा जल की स्वच्छता की सुरक्षा या बहाली इस अधिनियम के मुख्य उद्देश्य हैं । प्रदूषण के स्तरों का आकलन करना और प्रदूषकों को दंड देना इसका ध्येय है । जल प्रदूषण की निगरानी के लिए केंद्रीय व राज्य सरकारों ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बनाए हैं ।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के कार्य (Functions of Pollution Control Board):
देश में जल प्रदूषण की समस्याओं से निबटने के लिए सरकार ने इन बोर्डों को आवश्यक शक्तियाँ दे रखी हैं । सरकार ने अधिनियम के प्रावधानों के हनन पर दंड भी सुझाए हैं । जल की जाँच की केंद्रीय और राज्य स्तरीय प्रयोगशालाएँ स्थापित की गई हैं ताकि बोर्ड जल प्रदूषण की सीमा का आकलन कर सकें, और दोष-निर्धारण के लिए मानदंड भी तय किए गए हैं ।
केंद्र और राज्य के बोर्डों को कुछ अधिकार और कार्य सौंपे गए हैं जो इस प्रकार हैं:
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केंद्रीय बोर्ड:
इसे जल प्रदूषण के निरोध और नियंत्रण से संबंधित किसी भी विषय पर केंद्र सरकार को सलाह देने का अधिकार है । बोर्ड राज्य बोर्डों के कार्यों का समन्वय और विवादों का निबटारा भी करता है । जल प्रदूषण से संबंधित छानबीन और अनुसंधान के बारे में केंद्रीय बोर्ड राज्य बोर्डों को तकनीकी सहायता और मार्गदर्शन भी दे सकता है और इस प्रक्रिया में संलग्न व्यक्तियों के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था करता है ।
यह बोर्ड जनसंचार के द्वारा व्यापक जागरूकता कार्यक्रम चलाता है तथा जल प्रदूषण से संबंधित आँकड़े भी प्रकाशित करता है । केंद्रीय बोर्ड का मुख्य कार्य देश की नदियों, झीलों, नालों और कुँओं की स्वच्छता को बढ़ावा देना है ।
राज्य बोर्ड:
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इन्हें जल प्रदूषण के किसी भी विषय पर राज्य सरकारों को सलाह देने का अधिकार है । ये जल प्रदूषण की रोकथाम के लिए व्यापक कार्यक्रम बनाते हैं । ये जल प्रदूषण संबंधी सूचनाओं का संग्रह और प्रसारण करते हैं तथा केंद्रीय बोर्ड के साथ अनुसंधान के कार्यक्रमों में या इस प्रक्रिया में लगे व्यक्तियों के प्रशिक्षण में भाग लेते हैं । एक राज्य बोर्ड गंदे नालों और औद्योगिक उत्सर्जन का, शोधन के संयंत्रों, शुद्धीकरण के संयंत्रों और निबटारे की व्यवस्थाओं का निरीक्षण करता है तथा गंदे पानी और दूसरी गंदगियों के शोधन के लिए सस्ती और भरोसेमंद विधियों का विकास भी करता है ।
यह कृषि-कार्य में गंदे पानी के उपयोग की योजनाएँ बनाता है । यह सुनिश्चित करता है कि अगर उत्सर्जित पदार्थों को भूमि पर ही छोड़ना आवश्यक ही हो तो अपशिष्ट पदार्थों को कम से कम हानिकारक बना दिया जाए । यह उद्योगों के स्थान निर्धारण के बारे में राज्य सरकार को सलाह देता है । बोर्ड के काम के लिए प्रयोगशालाएँ बनाई गई हैं ।
राज्य बोर्ड को पानी के बहाव, परिमाण और विशेषताओं के सर्वेक्षण और दस्तावेजों के लिए नियुक्त अधिकारियों से सूचनाएँ पाने का अधिकार है । उनको उत्सर्जित पदार्थों के नमूने जमा करने के बारे में कार्यपद्धतियाँ सुझाने की शक्ति दी गई है । उनसे संबंधित बोर्ड के विश्लेषक से भेजे गए नमूने की जाँच करने की और संबंधित बोर्ड को परिणाम की रिपोर्ट भेजने की आशा की जाती है ।
बोर्ड को उस रिपोर्ट की एक प्रति संबंधित उद्योग को भेजनी पड़ती है । बोर्ड को दस्तावेजों, पंजिकाओं और किसी भी भौतिक वस्तु का निरीक्षण करने का अधिकार है और अगर वह समझता है कि अधिनियम के अंतर्गत कोई अपराध किया जा रहा है तो उसे किसी भी जगह तलाशी लेने का अधिकार है ।
प्रदूषण पैदा करने वाले गतिविधियों के लिए दंड का प्रावधान है । इसमें बोर्ड द्वारा माँगी गई सूचना न देना और किसी दुर्घटना या अप्रत्याशित कार्य के होने पर सूचना देने में असफल रहना भी शामिल है । कानून द्वारा दिए गए निर्देशों के पालन में असफल किसी व्यक्ति या संगठन को तीन माह तक की कैद या 10,000 रुपये का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है और अगर उल्लंघन जारी रहा तो प्रतिदिन 5000 रुपये का अतिरिक्त जुर्माना किया जा सकता है ।
किसी अपराध के लिए दंडित किए जा चुके व्यक्ति को अगर उसी अपराध के लिए फिर से दोषी पाया जाता है तो दूसरे और तीसरे दंड के बाद उसे कम से कम दो साल कैद की सजा दी जा सकती है और फिर उसे बढ़ाकर जुर्माने के साथ सात साल किया जा सकता है ।
जल प्रदूषण रोकने के लिए हम क्या कर सकते हैं?
i. बोर्ड को जल प्रदूषित करने वाले व्यक्ति के बारे में सूचना दें और यह सुनिश्चित करें कि उचित कार्यवाई हो । आप प्रेस में भी इस बारे में लिख सकते हैं ।
ii. घर की नाली या उद्योग की नाली में ऐसा कोई कचरा न डालें जो नदी-नाले, तालाब, झील या समुद्रे जैसे किसी जलस्रोत में सीधे जा सकता हो ।
iii. बेकार की चीजें बहाने के लिए फ्लश का उपयोग न करें । ये आपके घर से चली जाएगी पर किसी और स्थान पर सामने आएगी और जल को प्रदूषित करेगी ।
iv. बागों में रासायनिक खादों के स्थान पर कंपोस्ट का इस्तेमाल करें ।
v. घर में डी डी टी, मैलोथियान, एल्ड्रिन जैसे कीटनाशकों का प्रयोग न करके तिलचट्टे या कोड़े मारने के लिए दूसरी वैकल्पिक विधियों का प्रयोग करें, जैसे चने के सत्तू के साथ बोरिक अम्ल के लेप का । कीड़ों को दूर भगाने के लिए नीम के सूखे पत्तों का प्रयोग करें ।