Read this article in Hindi to learn about the details of the air (prevention and control of pollution) act.
सरकार ने यह अधिनियम 1981 में प्रदूषण को नियंत्रित करके वायु को साफ रखने के लिए बनाया । इसमें कहा गया कि वायु प्रदूषण के स्रोतों जैसे उद्योगों, वाहनों, बिजलीघरों आदि को निर्धारित सीमा से अधिक कणपदार्थ, सीसा, कार्बन मोनोआक्साइड, सल्फर डाइआक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड, वाष्पशील कार्बन यौगिक या अन्य विषैले पदार्थ छोड़ने की अनुमति नहीं होगी । इसके लिए सरकार ने वायुमंडल में और कुछ स्रोतों पर प्रदूषण के स्तर मापने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बनाए हैं ।
इसे प्रति दस लाख या मिलीग्राम/माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर में मापा जाता है । उद्योगों, कारों, बसों और दोपहिया वाहनों द्वारा छोड़े जाने वाले कणपदार्थों और गैसों को वायु के नमूने की जाँच करनेवाले उपकरण से मापा जाता है । लेकिन सबसे अहम् पहलू यह है कि लोग स्वयं वायु प्रदूषण के खतरों को तथा प्रदूषक के रूप में अपनी भूमिका को कम करें । इसके लिए उन्हें सुनिश्चित करना होगा कि उनके अपने वाहन या वे जिन उद्योगों में काम करते हैं, वे उद्योग उत्सर्जन के स्तर को कम करें ।
यह अधिनियम पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए बनाया गया है । इसमें अन्य बातों के अलावा उम्दा वायु का संरक्षण और वायु प्रदूषण के स्तर पर नियंत्रण शामिल है ।
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इस अधिनियम के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं:
i. वायु प्रदूषण के निरोध, नियंत्रण और प्रदूषण को हतोत्साहित करने की व्यवस्था करना ।
ii. अधिनियम को लागू करने के लिए केंद्रीय व राज्य बोर्डों की स्थापना करना ।
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iii. इन बोर्डों को अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने की शक्तियाँ और प्रदूषण की रोकथाम से संबंधित कार्य सौंपना ।
बहुत अधिक औद्योगीकृत और नगरीकृत क्षेत्रों में, जहाँ आबादी भी घनी है, वायु प्रदूषण अधिक तीखा है । हर राज्य में स्थापित प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों द्वारा औद्योगिक उत्सर्जन से निकलने वाले प्रदूषकों की अधिकतम सीमा पर निगरानी रखी जाती है ।
बोर्डों के अधिकार और कार्य (Powers and Functions of Boards):
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केंद्रीय बोर्ड (Central Board):
इसका मुख्य कार्य देश में वायु की गुणवत्ता में सुधार, वायु प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण के अधिनियम को लागू करना है । यह बोर्ड वायु की गुणवत्ता से संबंधित विषयों पर केंद्र सरकार को सलाह देता है, राज्यों के बोर्डों के कार्यकलापों का समन्वय करता है, उन्हें तकनीकी सहायता और मार्गदर्शन देता है और वायु की गुणवत्ता संबंधी मानदंड तय करता है । यह वायु प्रदूषण से संबंधित विषयों पर सूचनाओं का संग्रह और प्रसारण करता है तथा अधिनियम द्वारा निर्धारित अन्य कार्य भी करता है ।
राज्य प्रदूषण नियत्रंण बोर्ड (State Pollution Control Board):
इन बोर्डों को वायु प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण से संबंधित किसी विषय पर राज्य सरकारों को सलाह देने का अधिकार है । उन्हें किसी भी अवसर पर नियंत्रण के किसी उपकरण, औद्योगिक संयंत्र या उत्पादन प्रक्रिया की जाँच करने और प्रदूषण नियंत्रण के लिए आवश्यक कदम उठाने के आदेश देने का अधिकार है ।
उनसे समय-समय पर या आवश्यकता पड़ने पर वायु प्रदूषण नियंत्रण के क्षेत्रों के मुआइना करने की आशा की जाती है । उन्हें वायुमंडल में उत्सर्जित प्रदूषण की मात्रा और संरचना के बारे में विभिन्न औद्योगिक संयंत्रों के लिए उत्सर्जन संबंधी मानदंड तय करने का अधिकार है । इसके लिए राज्यस्तरीय बोर्ड कोई प्रयोगशाला स्थापित कर सकता है या किसी स्थापित प्रयोगशाला को मान्यता दे सकता है ।
राज्य सरकारों को संबंधित बोर्डों से सलाह करके वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्रों की घोषणा करने का तथा वाहनों के उत्सर्जन संबंधी मानदंड सुनिश्चित करने या कुछ औद्योगिक संयंत्रों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का भी अधिकार है ।
दंड (Penalties):
उद्योग अगर राज्य बोर्ड द्वारा निर्धारित स्तर से अधिक वायु प्रदूषक उत्सर्जित करते हैं तो उनके प्रबंधक दंडित किए जा सकते हैं । बोर्ड वायु प्रदूषण फैलानेवाले व्यक्तियों पर अंकुश लगाने के लिए न्यायालय से प्रार्थना भी करता है । अधिनियम के किसी प्रावधान या किसी आदेश/निर्देश का जो भी उल्लंघन करे उसे तीन माह तक की कैद या 10,000 रुपये का जुर्माना या दोनों की सजा दी जा सकती है और अगर ऐसा उल्लंघन जारी रहे तो पहले उल्लंघन का दंड दिए जाने के बाद उल्लंघन के हर दिन के बदले 5,000 रुपये तक का अतिरिक्त जुर्माना लगाया जा सकता है ।
वायु प्रदूषण के नियंत्रण के लिए एक व्यक्ति क्या कर सकता है?
i. अगर आप ऐसा वाहन देखें जो प्रदूषण फैला रहा है तो उसका नंबर दर्ज करके सड़क यातायात कार्यालय या प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को एक पत्र भेजें ।
ii. किसी उद्योग से वायु को प्रदूषित होते देखें तो लिखकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सूचित करें और पता करें कि क्या कोई कार्रवाई की गई है ।
iii. कार का प्रयोग एकदम आवश्यक होने पर ही करें । जीवाश्म ईंधन से चलनेवाले वाहनों का प्रयोग करने के बजाय यथासंभव पैदल चलें या साइकिल चलाएँ ।
iv. प्रदूषण बढ़ानेवाले छोटे वाहनों के बदले यथासंभव सार्वजनिक यातायात का प्रयोग करें क्योंकि बड़े वाहनों में एक साथ अधिक लोग यात्रा कर सकते हैं ।
v. संबंधियों और मित्रों के साथ वाहन की साझीदारी करें । कार पूल की व्यवस्था करने से जीवाश्म ईंधनों का प्रयोग कम होता है ।
vi. एयर फ्रेशर या दूसरे एरासोल या छिड़काव की वस्तुओं का प्रयोग न करें । इनमें क्लोराफ्लोरोकार्बन होते हैं जो ओजोन पर्त को हानि पहुँचाते है ।
vii. सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान न करें, यह गैरकानूनी है । धूम्रपान करने वाला व्यक्ति सिर्फ अपने ही नहीं, दूसरों के स्वास्थ्य को भी हानि पहुँचाता है ।
viii. खाँसने और छींकने से जीवाणु और विषाणु फैलते हैं । संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए खाँसते या छींकते समय रूमाल का प्रयोग करें ।
जिलाधीश जैसे स्थानीय अधिकारियों, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और प्रेस को किसी प्रदूषक के अपराध की खबर देना ताकि उसके खिलाफ कार्रवाई हो, हर नागरिक का कर्त्तव्य है । पेड़ों की कटाई रोकना और उसकी खबर अधिकारियों को देना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इससे प्रकृति की ऑक्सीजन और कार्बन डाइआक्साइड के स्तर को बनाए रखने की क्षमता कम होती है । वायु प्रदूषण को रोकना और वायु की गुणवत्ता बनाए रखना हर व्यक्ति का दायित्व है ताकि हम साफ हवा में साँस ले सकें ।