भारत के विश्व दृष्टिकोण का विकास | “Evolution of India’s View on World” in Hindi Language!
भारत के विश्व दृष्टिकोण के विकास का मूल प्राचीन काल से ही दिखाई पड़ता है । जैसे अंतर-राज्यों संबंधों में यथार्थवाद एवं आदर्शवाद दोनों पद्धतियों की उपस्थिति भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू ने स्वतंत्रता के बाद अपनी वैदेशिक नीति के निर्धारण में विश्व के सम्मुख भारतीय दृष्टिकोण के दो पक्षों को सामने रखा ।
प्रथम पक्ष था, शांति का रचनात्मक पक्ष और द्वितीय पक्ष था, विश्व के विभिन्न राष्ट्रों के बीच सहयोग की भावना का विकास । युद्ध एवं गाँधी द्वारा समर्थित आदर्शवाद नेहरू युग के भारत के विश्व दृष्टिकोण में प्रभावशाली रहा, परंतु कुछ स्थितियों में हिंसा का सहारा लेना पड़ा ।
यह तर्क दिया जाता है कि नेहरू की गुटनिरपेक्षता की नीति आदर्शवाद से प्रभावित थी । गुटनिरपेक्षता की नीति के कारण 1962 के भारत-चीन युद्ध के समय जब सोवियत-संघ ने तटस्थता की नीति को अपनाया था, तब भारत को इंग्लैड और अमेरिका की सहायता मिली एवं भारतीय हित की पूर्ति हुई ।
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प्रस्तुत अध्याय में परंपरागत मूल्यों के स्रोत तथा विश्व दृष्टिकोण के विकास में परंपरागत मूल्यों एवं विषयों की प्रकृति का विस्तृत विवेचन किया गया है । इसके अंतर्गत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का भारत के विश्व दृष्टिकोण पर विचार तथा भारत में ब्रिटिश राज पर चर्चा की गई है ।