Read this article in Hindi language to learn about the top six ways for supplementing family income. The ways are: 1. Adopting Income-Generating Activities 2. Part Time Job 3. Increase in Family Real Income 4. Judicious Investment 5. Judicious Use of Material Resources 6. Ways of Savings.
प्रत्येक परिवार में रहने वाले सदस्यों में ‘कुछ-न-कुछ योग्यता’ व कार्यकुशलता होती है जिसका उपयोग करके वे अपने परिवार की आय अधिक बढ़ा सकते हैं । प्रत्येक परिवार अपनी आय की सम्पूर्ति करने के लिये कई उपाय कर सकता है ।
पारिवारिक आय में वृद्धि करने के दो तरीके हैं:
(i) आय में वृद्धि करना,
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(ii) व्यय कम करना ।
Way # 1. आय में वृद्धि के विभिन्न तरीकों का उपयोग करना (Adopting Income-Generating Activities):
परिवार के प्रत्येक सदस्य अपने श्रम, कार्यकुशलता व योग्यता के अनुसार धन कमाने का कुछ-न-कुछ कार्य कर सकते हैं जिससे उनके परिवार की आय में वृद्धि हो सके । आय की वृद्धि के साधन हैं-महिलायें घर में बैठकर बुटीक, ब्यूटी पार्लर, टिफिन में खाना भेजने, सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, अचार-पापड़, छोटे बच्चों की ट्यूशन आदि अपनी योग्यता के अनुसार काम करके परिवार की आय में वृद्धि कर सकती हैं ।
इसके अतिरिक्त परिवार के अन्य सदस्य भी इन कार्यों में योगदान दे सकते हैं तथा परिवार की आय में वृद्धि कर सकते है ।
Way # 2. अंशकालीन नौकरी (Part Time Job):
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पारिवारिक आय बढ़ाने के लिये परिवार के सदस्य अपने अन्य कार्यों के साथ-साथ अंशकालीन नौकरी भी कर सकते हैं जिससे वे पारिवारिक आय की सम्पूर्ति कर सकते हैं; जैसे: नौकरी करने वाले सदस्य छुट्टी के दिन अंशकालीन कार्य कर सकते हैं ।
कॉलेज जाने वाले विद्यार्थी अपनी छुट्टियों में कुछ कार्य करके पारिवारिक आय में वृद्धि कर सकते हैं । बड़े-बड़े मत में सेल्समैन, कम्प्यूटर की ट्रेनिंग लेकर उसका कार्य करना या कुछ सामान बेचने का कार्य करना आदि ।
परिवार के शिक्षित सदस्य छोटे बच्चों की ट्यूशन कर सकते हैं । शहर में रहने वाले वृद्धों (जो अकेले हों) को प्रतिदिन के कार्य करना; जैसे: बिजली का बिल देना, डॉक्टर के पास जाना या उनके छोटे-मोटे प्रतिदिन के बाजार के कार्य करना । इन कार्यों के बदले उन्हें धन की प्राप्ति होगी जोकि उनकी पारिवारिक आय में वृद्धि करेगी ।
Way # 3. पारिवारिक वास्तविक आय में वृद्धि (Increase in Family Real Income):
परिवार के सदस्य अपनी कुशलता व योग्यता के अनुसार, घर के कार्यों में योगदान देकर परिवार की वास्तविक आय को बढ़ा सकते हैं; जैसे: घर के छोटे-मोटे उपकरणों की मरम्मत करना, घर के प्रत्येक कार्य मिल-जुलकर करना ताकि नौकर पर खर्च होने वाला धन बचाया जा सके, यदि घर में खुली जगह हो तो किचेन गार्डन बनाना व उसकी देखभाल करना, महिलाएँ परिवार के सदस्यों के कपड़े सिल सकती हैं, मसाले, अचार, पापड़ आदि घर में बनाना व उन्हीं का उपयोग करना । इन सभी तरीकों से परिवार के खर्च में बचत की जा सकती है जोकि पारिवारिक आय में वास्तविक रूप से वृद्धि करने में सहायक होती है ।
Way # 4. न्यायसंगत निवेश (Judicious Investment):
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आय व्यय के साथ-साथ प्रत्येक परिवार भविष्य के लिए कुछ-न-कुछ बचत भी करता है । इस बचत को पूर्णरूप से सुरक्षित योजनाओं में निवेश करके अच्छा ब्याज प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिये साथ ही ब्याज सुनिश्चित मिले । किसी भी प्रकार के लालच में पड़कर अपना पैसा इधर-उधर नहीं लगाना चाहिये जिससे पूरी बचत कोई अन्य हड़प ले । अत: पारिवारिक आय का न्यायसंगत निवेश ही करना चाहिए ।
Way # 5. वस्तुगत साधनों का उचित विनियोग (Judicious Use of Material Resources):
(i) यदि किसी परिवार में वस्तुगत साधन हैं तो उनका उचित विनियोग करना चाहिये; जैसे-बड़ा मकान जिसका कुछ भाग किराये पर देकर अतिरिक्त आय की जा सकती है,
(ii) परिवार की महिलाएँ उसमें क्रेच या डे केयर या प्री नर्सरी (Pre Nursery) स्कूल चला सकती हैं,
(iii) घर के बड़े बच्चे या पिता ट्यूशन पड़ाने में उस स्थान का उपयोग कर सकते हैं,
(iv) कम्प्यूटर का ज्ञान उसमें प्राप्त लोग कम्प्यूटर सेन्टर खोल सकते हैं,
(v) खाली समय में माता-पिता अपने बच्चों को पढ़ाकर धन की बचत कर सकते हैं ।
(vi) मकान यदि ऐसे स्थान पर है जहाँ बाजार है तो वहाँ मकान के निचले हिस्से में दुकान या गोदाम (Godown) किराये पर दिया जा सकता है ।
अत: यहाँ तात्पर्य है कि वस्तुगत संसाधनों का यदि सही ढंग से उपयोग किया जाय तो संयुक्ताएकाकी परिवार दोनों ही अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं ।
Way # 6. बचत के साधन (Ways of Savings):
पारिवारिक आय को बढ़ाने का अर्थ केवल पैसा कमाना ही नहीं है बल्कि खर्चों में कुछ कटौती करके भी आय मैं वृद्धि की जा सकती है; जैसे: आफिस से ज्यादा छुट्टी न लेकर लीव इन कैश (Leave in Cash) लेना । अपने घर के सभी कार्य स्वयं करना । इन तरीकों से बचत की जा सकती है ।
व्यय में मितव्ययता के उपाय निम्न प्रकार हैं:
i. गृह कार्यों को स्वयं करना:
यदि गृहिणी घर के सभी कार्य स्वयं करेगी तो उससे धन की बचत होगी तथा कार्य सुचारु रूप से होगा । एक कुशल गृहिणी खाना बनाना, कपड़े सिलना व स्वेटर बुनना आदि कार्य करके काफी धन की बचत कर सकती है ।
ii. फल संरक्षण विधि का ज्ञान:
इसके ज्ञान से गृहिणी मौसम में अधिक मात्रा में उपलब्ध फल एवं सब्जियों का सरक्षण करके धन की बचत कर सकती है तथा उसको जैम, जेली, शर्बत आदि बाजार से खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ती ।
iii. सही व उचित स्थान से खरीददारी:
एक कुशल गृहिणी को इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि कौनसी वस्तु किस बाजार से खरीदनी है, यदि उसको बाजार का ज्ञान नहीं है तो वह महँगी वस्तुओं की खरीददारी करके धन का अपव्यय करेगी ।
iv. कुछ वस्तुओं को थोक में खरीदना:
थोक में खरीददारी से अर्थ है: वस्तुओं को अधिक मात्रा में एक बार में खरीदकर संग्रहित करना; जैसे: गेहूँ, दाल, चावल आदि की फसल बाजार में आने पर उन्हें साल में एक बार खरीदकर संग्रहित किया जा सकता है ताकि वे सस्ती पड़े ।
v. नकद भुगतान:
वस्तुओं की खरीदारी करते समय नकद भुगतान करने से भी धन की बचत होती है, क्योंकि नकद भुगतान न मिलने पर कभी-कभी दुकानदार वस्तु की कीमत अधिक लगाकर बिल भेज देते हैं । अत: जहाँ तक सम्भव हो भुगतान नकद ही करना चाहिये ।
vi. घर की वस्तुओं की देखभाल व मरम्मत करना:
गृहणी का यह कर्तव्य है कि वह घर की विभिन्न वस्तुओं की उचित देखभाल करे ताकि वे खराब न हों । इसके साथ-साथ बिजली के उपकरणों की छोटी-मोटी देखभाल भी आनी चाहिए ताकि उस पर होने वाले खर्च की बचत हो सके । इसके साथ-साथ गृहिणी को विभिन्न कपड़ों की मरम्मत भी आनी चाहिए ताकि उस पर होने वाला खर्च भी बच सके ।
vii. पानी, गैस व बिजली का सावधानी से उपयोग:
पानी, गैस व बिजली ये वस्तुयें महँगी होती हैं, इनका उतना ही उपयोग करना चाहिये जितनी आवश्यकता हो ।
viii. वस्तुओं के गुणों की पहचान:
गृहिणी को घर में उपयोग आने वाली वस्तुओं के गुणों की पहचान होनी चाहिए ताकि खरीददारी करते समय वह उचित वस्तु खरीद सके साथ ही धन का अपव्यय न हो ।
ix. सरकारी सेवाओं व सुविधाओं का लाभ उठाना:
सार्वजनिक पुस्तकालय, सरकारी अस्पताल व सरकारी स्कूल व कॉलेज की सेवाओं का लाभ उठाना चाहिये जिसके उपयोग से वास्तविक आय बढ़ सकती है ।
x. घर के सदस्यों की सेवाएँ:
गृहिणी के अतिरिक्त परिवार के अन्य सदस्य अपनी कार्यकुशलता के अनुरूप घर के विभिन्न कार्य करके वास्तविक आय बढ़ा सकते हैं; जैसे: घर के छोटे बच्चों को पढ़ाना जिससे ट्यूशन के पैसे बच सकें । अत: यहाँ उपरोक्त सभी बिन्दुओं से परिवार की आय की सम्पूर्ति की जा सकती है । इसके साथ-साथ आकस्मिक आने वाले आर्थिक संकटों का सामना भी किया जा सकता है ।