Read this article in Hindi language to learn about the subjects and areas of home science.
गृह विज्ञान विषय कोई स्वतन्त्र विषय नहीं है, इसमें कुछ प्राथमिक तथा मुख्य विषय जिनको तत्व भी कह सकते है, का ज्ञान प्रदान किया जाता है । गह विज्ञान के मुख्य विषय के ज्ञान के पहले प्राथमिक विषयों का ज्ञान आवश्यक है क्योंकि गृह विज्ञान के सिद्धान्त इन्हीं प्राथमिक विषयों पर निर्भर करते हैं ।
गृह विज्ञान के प्राथमिक विषय:
गृह विज्ञान से सम्बन्धित प्राथमिक विषय निम्न प्रकार हैं:
(1) घरेलू भौतिकी (Household Physics):
हमारे प्रतिदिन के जीवन में विभिन्न प्रकार के यन्त्रों एवं उपकरणों का उपयोग होता है; जैसे: बिजली का पंखा, गीजर, ओवन, कूलर, हीटर, रेफ्रीजरेटर, कुकिंग रेन, प्रेशर कुकर, टोस्टर, इस्तरी आदि अनेक वस्तुएँ घरेलू भौतिकी की देन हैं । इन सभी उपकरणों का रख-रखाव, उनके कार्य के सिद्धान्त तथा उपयोग करने की विधियाँ आदि का ज्ञान गह विज्ञान विषय में प्रदान किया जाता है ।
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(2) घरेलू रसायन (Household Chemistry):
इस विषय ने गृहस्थी के लिए अत्यन्त सुविधा प्रदान की है । कपड़ों, बर्तनों, फर्नीचर, फर्श आदि की सफाई एवं स्वच्छता के लिए नाना प्रकार के डिटरजेण्ट तैयार किये गये हैं । रेशमी एवं ऊनी कपड़ों के लिए जैण्टील या ईजी का उपयोग अत्यन्त आसान व लाभदायक है ।
घर को स्वच्छ रखने तथा उसे कीटाणुओं से मुक्त रखने के लिए कीटाणुनाशक पदार्थों का प्रयोग किया गया है; जैसे: फ्लिट, डिटॉल, सेवलॉन आदि । इनका उपयोग आज हर घर में हो रहा है । इनके बारे में सम्पूर्ण ज्ञान गह विज्ञान में दिया जाता है । गह सज्जा के लिए फर्नीचर पॉलिश, वार्निश व डिस्टेम्पर आदि भी रसायन की ही देन हैं ।
(3) जीव रसायन (Bio Chemistry):
इस विषय से छात्राओं को ज्ञान होता है कि भोजन को खाने के पश्चात् उसमें क्या-क्या रासायनिक परिवर्तन होते हैं तथा विभिन्न रासायनिक पदार्थों; जैसे: एन्जाइम्स व हारमोन्स का शरीर में क्या कार्य है ।
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(4) जीव-जन्तु-विज्ञान (Biology):
इस विषय में लाभदायक एवं हानिकारक जीवाणुओं का ज्ञान प्रदान किया जाता है । लाभदायक जीवाणु ब्रेड बनाने, दही जमाने, चीज बनाने, सिरका, बीयर, शराब आदि में उपयोग किये जाते हैं । हानिकारक जीवाणुओं के ज्ञान में रोगों से बचाव हो सकता है । अत: यह स्पष्ट है कि जीवाणु विज्ञान का सम्बन्ध स्वास्थ्य एवं आहार से है ।
(5) वनस्पतिविज्ञान (Botany):
प्रत्येक व्यक्ति की हार्दिक इच्छा होती है कि उसका घर पौधों व पुष्पों से सुसज्जित रहे । वनस्पति विज्ञान में फूलों, सब्जियों एवं फलों की बागवानी का ज्ञान दिया जाता है । इससे गृह की सज्जा उत्तम होती है तथा ताजी सब्जियाँ व फल भी प्राप्त होते हैं ।
(6) शरीर रचना, शरीर क्रिया एवं स्वास्थ्य विज्ञान (Anatomy, Physiology and Hygiene):
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इस विषय में शरीर की रचना व शरीर क्रिया की सम्पूर्ण जानकारी दी जाती है । यह विषय पोषण विज्ञान से सम्बन्धित है तथा स्वास्थ्य की उत्तम देखभाल तथा रोगों से बचाव के लिए उपयोगी होता है ।
(7) पारिवारिक वित्त (Family Finance):
इसमें परिवार के आय-व्यय में सन्तुलन रखना, बजट बनाना, बचत करना तथा बचत का उचित विनियोग करने का ज्ञान दिया जाता है ।
(8) व्यावहारिक अंकगणित (Applied Mathematics):
इसके ज्ञान से हिसाब-किताब करने में आसानी होती है । इसके साथ-साथ गृह विज्ञान के मुख्य विषयों में भी इसका उपयोग होता है ।
(9) मनोविज्ञान (Psychology):
गृहिणी के लिए यह अत्यन्त आवश्यक है कि मानवीय व्यवहारों के बारे में ज्ञान प्राप्त करे । इससे परिवार के सदस्यों की संवेदना, व्यवहार, रुचियों, योग्यताओं को आसानी से समझा व परखा जा सकता है । परिवार का वातावरण स्नेहयुक्त बनाने में गृहिणी को इस विषय से सहायता प्राप्त हो सकती है ।
(10) समाजशास्त्र (Sociology):
इस विषय में परिवार, परिवार की आवश्यकताओं, समाज में होने वाले परिवर्तनों, स्थानीय, राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय आदि संस्थाओं के कार्यक्रम का ज्ञान प्राप्त होता है । समाज की विभिन्न क्रियाओं व प्रतिक्रियाओं का प्रभाव पारिवारिक जीवन पर पड़ता है, अत: गृह विज्ञान में इस विषय का ज्ञान देकर भावी गृहिणी को समाज के प्रति उनका दायित्व समझाया जाता है ।
(11) हस्तकला एवं शिल्प कला (Hand Craft):
गृह विज्ञान में कला के सिद्धान्तों का उपयोग भी किया जाता है । सुन्दर घर सभी को शान्ति व सुख प्रदान करता है, गृह विज्ञान में हस्तकला का उपयोग भोजन पकाने, परोसने, घर के लिए सजावटी वस्तुएँ बनाने, सिलाई, कढ़ाई आदि में किया जाता है । शिल्प कला का उपयोग परिधान के निर्माण तथा गृह सज्जा में किया जाता है ।
गृह विज्ञान के मुख्य विषय व क्षेत्र:
गृह विज्ञान के प्राथमिक विषयों के बारे में आपको ऊपर जानकारी दी जा चुकी है, आगे उसके मुख्य विषय, जिन्हें गृह विज्ञान के तत्व अथवा गृह विज्ञान का क्षेत्र भी कहा जा सकता है की जानकारी प्रस्तुत है ।
(A) आहार एवं पोषण विज्ञान (Food and Nutrition):
इस विषय का सम्बन्ध मानव शरीर एवं स्वास्थ्य से है । पौष्टिक आहार से स्वास्थ्य उत्तम रह सकता है । इस विषय में भोज्य पदार्थों के गुणों, कार्यों व आवश्यकता पर बल दिया जाता है । भोजन की आवश्यकता आयु लिंग, व्यवसाय व जलवायु से प्रभावित होती है ।
बच्चों की शारीरिक वृद्धि एवं विकास के लिए उपयुक्त भोज्य पदार्थ, बड़े-बूढ़ों के स्वास्थ्य के लिए उत्तम पोषण आदि का ज्ञान इसमें दिया जाता है । रोगों की अवस्था में दिये जाने वाले आहार का ज्ञान भी दिया जाता है । पोषक तत्वों की कमी से होने वाले रोगों के बारे में अध्ययन किया जाता है तथा उनके उपचार व बचाव के उपाय भी बताये जाते हैं ।
(B) गृह प्रबन्ध एवं गृह सज्जा (Home Management and Interior Decoration):
इस विषय में कला एवं विज्ञान दोनों के सिद्धान्तों के समन्वय से गृह की सुव्यवस्था की जाती है ताकि यह आकर्षक लगे और परिवार के सदस्यों के लिए आरामदायक हो । इस विषय में गुह की कार्य व्यवस्था व अर्थव्यवस्था का अध्ययन किया जाता है ।
इसके साथ-साथ श्रम, समय व धन की बचत के उपाय भी किये जाते हैं । विभिन्न प्रकार के उपकरणों का उपयोग करने के सिद्धान्त, उनकी देखभाल तथा रख-रखाव का ज्ञान भी दिया जाता है । उपभोक्ता सम्बन्धी ज्ञान इसमें दिया जाता है ।
(C) बाल विकास एवं पारिवारिक सम्बन्ध (Child Development and Family Relationship):
भावी गृहिणी को शिशु पालन व बाल विकास के तौर-तरीकों का ज्ञान देना अत्यन्त आवश्यक है । बालक की वृद्धि एवं विकास के लिए आवश्यक वातावरण तथा पौष्टिक भोजन का ज्ञान देना अत्यन्त आवश्यक है । इसके अतिरिक्त परिवार के संगठन विशेषताओं, महत्वपूर्ण कार्यों एवं दायित्वों का ज्ञान तथा आवश्यकताओं के बारे में भी पूर्ण ज्ञान दिया जाता है ।
(D) वस्त्र विज्ञान:
यह गृह विज्ञान का अत्यन्त महत्वपूर्ण विषय है । इसमें वस्त्रों के वर्णन के लिए आवश्यक तन्तुओं के बारे में पूर्ण ज्ञान दिया जाता है । परिवार के लिए कपड़ों का चयन, उनसे परिधान बनाना, कटाई करना, कपड़ों की देखभाल, उनकी उचित धुलाई व संग्रह का ज्ञान प्राप्त किया जाता है । इस विषय में नित नये-नये फैशनों के अनुसार परिधान में होने वाले परिवर्तनों की जानकारी भी दी जाती है ।
(E) प्राथमिक चिकित्सा व गृह परिचर्या:
परिवार में कभी-कभी कोई दुर्घटना हो जाया करती है और दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को तुरन्त डॉक्टर की सेवा उपलब्ध नहीं होती है, अत: डॉक्टर के आने से पूर्व दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को जो आवश्यक सहायता एवं उपचार प्रदान किया जाता है उसे प्राथमिक चिकित्सा कहते हैं ।
गृह विज्ञान विषय में प्राथमिक चिकित्सा के सिद्धान्तों एवं उपायों का ज्ञान प्रदान किया जाता है । रोगी व्यक्ति की सेवा एवं धूषा का लाभ भी इसमें दिया जाता है । उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट हो जाता है कि गृह विज्ञान के तत्व व क्षेत्र अत्यन्त विस्तृत हैं इनके अन्तर्गत अनेक विषयों का अध्ययन किया जाता है ।