Read this article in Hindi language to learn about the meaning and importance of food hygiene for the family.
खाद्य पदार्थों की स्वच्छता का अर्थ व परिभाषा (Meaning and Definition of Food Hygiene):
अधिकांश परिवारों में भोजन गृहिणी या अन्य सदस्यों द्वारा ही परोसा जाता है । परन्तु किसी-किसी परिवार में नौकरों के द्वारा भी भोजन परोसा जाता है । तात्पर्य है कि भोजन पकाने व परोसने वाले की शारीरिक स्वच्छता पर भी पूरा-पूरा ध्यान देना चाहिए व स्वच्छता के नियमों का पालन करना चाहिए ।
इस प्रकार परिवार के प्रत्येक सदस्य को स्वच्छ व सुरक्षित भोजन प्राप्त हो सकेगा । भोजन का रखरखाव स्वच्छता से न किया जाय तो वह दूषित हो जाता है व खाने के पश्चात् शरीर में पहुँचकर नाना प्रकार के विकार उत्पन्न कर देता है ।
खाना पकाने, परोसने तथा भोजन को संचित करने वाले व्यक्तियों की अस्वच्छ आदतों, व्यक्तिगत अस्वच्छता, जुकाम, खाँसी व बुखार से पीड़ित व्यक्ति द्वारा भोजन बनाने का कार्य करने से पकाये गये भोजन में रोग के रोगाणु प्रवेश कर जाते हैं तथा ऐसा भोजन खाने से खाने वाला व्यक्ति रोग से पीड़ित हो जाता है । यहाँ तात्पर्य है कि हमें वही भोजन खाना चाहिए जोकि हर प्रकार से कीटाणुरहित व रोगाणुरहित हो तथा हमारा स्वास्थ्य उत्तम रहे ।
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खाद्य पदार्थों की खरीददारी के वक्त ध्यान देने योग्य बातें (Points to be Consider while Purchasing Food Items):
1. खाद्य पदार्थों की खरीददारी उन्हीं दुकानों से करनी चाहिए जिन पर पूरा विश्वास हो ।
2. खाद्य पदार्थों की ताजगी, गुणवत्ता व कीमत का पूर्ण ज्ञान होने पर ही सामान खरीदना चाहिए ।
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3. खाद्य पदार्थों को संचित करने के लिए उपर्युक्त भण्डारघर व उसमें सुविधाएँ उपलब्ध हों ।
4. खाद्य पदार्थों की खरीददारी उस समय करनी चाहिए जब मॉल या सुपर मार्केट में सेल या स्कीम चल रही हो । ताकि कम कीमत पर अधिक खरीददारी की जाये ।
5. भण्डार गृह की क्षमता के अनुसार खाद्य पदार्थों की खरीददारी करनी चाहिए ।
खाद्य पदार्थों की स्वच्छता के नियम (Laws for Food Hygiene):
हम अपने आहार में कुछ खाना कच्चा खाते हैं तथा कुछ पकाकर । भोजन को पकाते समय इस प्रकार की विधियों का प्रयोग करना चाहिए ताकि उसमें कम से कम पौष्टिक तत्व नष्ट हों व अधिकतम पौष्टिकता प्राप्त हो सके ।
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यहाँ इस बात को भी ध्यान में रचना चाहिए कि पकाने से भोजन में उपस्थित जीवाणु व कीटाणु नष्ट हो जायें । अत: भोजन को पकाते समय उन सभी नियमों का पालन करना चाहिए जिससे भोजन जीवाणु व कीटाणु रहित हो जाए ।
भोजन को पकाते, परोसते व संग्रहित करते समय स्वच्छता के कुछ नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक होता है । इन नियमों का पूर्ण रूप से पालन करने से भोजन दूषित होने से बच सकता है । इन नियमों का पालन न करने से भोजन की स्वच्छता पर प्रभाव पड़ता है तथा भोजन दूषित हो जाता है ।
(1) व्यक्तिगत स्वच्छता (Personal Hygiene):
i. भोजन पकाने और परोसने के पहले हाथों को अच्छी तरह डिटोल (Dettol) या साबुन से धो लेना चाहिए ।
ii. हाथों के नाखून को यथासमय काटना व साफ करना अत्यंत आवश्यक होता है ।
iii. गन्दी वस्तुओं को छूने के बाद हाथ को गर्म पानी व डिटोल साबुन से धोना चाहिए ।
iv. मल-मूत्र त्याग के पश्चात् हाथों को साबुन से धोना चाहिए ताकि उसमें उपस्थित जीवाणुओं का भोज्य पदार्थों में संवाहन न हो सके ।
v. खाना पकाते समय साफ सुथरे वस्त्र पहिनने चाहिए । गन्दे वस्त्रों में धूल व जीवाणु उपस्थित रहते हैं ।
vi. खाना पकाते व परोसते समय वस्त्र की स्वच्छता पर ध्यान रखना चाहिए ।
vii. खाना बनाने वाले को अपने बालों की सफाई पर पूर्ण ध्यान देना चाहिए ।
viii. धूल धूसरित बालों में जीवाणु अटके रहते हैं ।
ix. बालों को सँवारकर अच्छी तरह बाँधकर रखना चाहिए ।
x. खाना खाते समय यदि बाल खाने में आ जाय तो अच्छा नहीं होता है ।
xi. ऐसे व्यक्ति को भोजन बनाने का कार्य नहीं सौंपना चाहिए जोकि धूम्रपान, बीड़ी, सिगरेट, हुक्का आदि पीता हो या गुटका खाता हो ।
xii. रोग से पीड़ित व्यक्तियों को रसोईघर में नहीं जाने देना चाहिए ।
xiii. रोगी व्यक्ति द्वारा खाना पकाने व परोसने से परिवार के अन्य सदस्य भी रोगग्रस्त हो जाते हैं ।
xiv. रसोईया यदि भोजन पकाता है तो उसे खाँसी, जुकाम, बुखार आदि से पीड़ित नहीं होना चाहिए ।
रसोईया के स्वास्थ्य की चिकित्सकीय जाँच करानी चाहिए । दूषित भोजन खाने से हैजा, पेचिश, अतिसार, पीलिया व टाइफाइड आदि रोग हो सकते हैं । भोजन को पकाते समय उसे उंगली से नहीं चाटना चाहिए । तैयार भोजन का स्वाद ज्ञात करने के लिए एक कटोरी में थोड़ा-सा भोज्य पदार्थ लेकर चम्मच से चख लेना चाहिए ।
(2) खाद्य पदार्थों के संचय व संग्रह (भंडारधर) में स्वच्छता (Safety in Food Storage):
परिवारों में ऋतु के अनुसार, अनाज, दालों व अन्य सूखे खाद्यान्नों का अधिक मात्रा में चयन करके उन्हें संचित व संग्रहित किया जाता है । इसका मुख्य कारण है कि ऋतु में ये कम कीमत पर मिलते है ।
i. उपरोक्त सभी खाद्य पदार्थों का संग्रहीकरण करने के लिए अत्यंत सावधानियाँ रखनी पड़ती हैं अन्यथा चूहे, कीट, कॉकरोच काफी मात्रा में अनाज नष्ट-भ्रष्ट कर देते हैं ।
ii. भंडारघर साफ-सुथरा, सूखा व रोशनीयुक्त होना चाहिए । प्रतिदिन भंडारघर की सफाई करनी चाहिए ।
iii. भंडारघर की प्रतिवर्ष पुताई करवानी चाहिए तथा उसके साथ-साथ दीवार या जमीन की दरारें भरवा देनी चाहिए ।
iv. नाली खुली नहीं होनी चाहिए उन पर जाली लगी होनी चाहिए ताकि चूहे आदि न आ सकें ।
v. अनाजों को बड़े-बड़े ढक्कन लगे डिब्बों में भरकर जमीन से 6 ” की ऊँचाई पर रखना चाहिए ।
vi. ये डिब्बे धातु या मिश्रित धातुओं से बने होने चाहिए, ताकि उनको आसानी से धोया, सुखाया व गर्म किया जा सके ।
vii. अनाजों, दालों को साफ करके उनको सूर्य की रोशनी में सुखाकर ही डिब्बों में भरना चाहिए ।
viii. डिब्बों के ढक्कन के बीच में मोमी कागज या अन्य कागज लगाकर ढक्कन सील बंद कर देना चाहिए । इस प्रकार अनाज में बाहर से वायु प्रवेश नहीं कर पाती है ।
ix. आजकल भंडारघर के स्थान पर मॉड्यूलर (Modular Kitchen) रसोइघर में ही कबर्ड्स (Cupboards) की व्यवस्था की जाती है ।
x. ये कबर्ड्स शेल्फस में विभाजित होती हैं इनमें सभी खाद्य पदार्थ प्लास्टिक के डिब्बों में रखे जाते हैं ।
xi. इन कबर्ड्स का आकार व नाप (Shape & size) खाद्य पदार्थों को संग्रह करने की क्षमता के अनुसार बनाया जाता है । कबर्ड्स की साफ-सफाई व देख-रेख का ध्यान रखना अति आवश्यक है ।
(3) रसोईघर में स्वच्छता (Cleanliness in the Kitchen):
रसोईघर वह स्थान है जहाँ गृहिणी का अधिकांश समय व्यतीत होता है । अधिकांश परिवारों में दिन में तीन बार भोजन बनता है ।
रसोइघर स्वच्छ रहे इसके लिए निम्न व्यवस्थाएं की जानी चाहिए:
i. रसोईघर खुला हुआ, हवादार व प्रकाशयुक्त होना चाहिए ।
ii. रसोईघर की दिशा इस प्रकार होनी चाहिए कि सूर्य की किरणें प्रतिदिन कुछ समय के लिए अवश्य ही वहाँ प्रवेश करें ।
iii. सूर्य की किरणें कीटाणुओं को नष्ट करती है तथा रसोईघर में सीलन नहीं रहती ।
iv. हवादार व प्रकाश युक्त रसोईघर में बदबू या दुर्गन्ध नहीं आती ।
v. अँधेरे रसोईघर में मकड़ी व अन्य कीड़े-मकोड़े उत्पन्न हो जाते हैं ।
vi. जहाँ तक सम्भव हो रसोईघर में गैस के ऊपर चिमनी अवश्य ही लगी होनी चाहिए ताकि खाने की दुर्गन्ध आसानी से बाहर जा सके ।
vii. रसोईघर के दरवाजों व खिड़कियों पर जाली का एक और दरवाजा व खिड़की अवश्य लगवानी चाहिए ताकि मक्खी व मच्छर अंदर प्रवेश न कर सकें ।
viii. रसोईघर के स्लैब (Slab) व फर्श पर मार्बल, ग्रेनाइट या टाइल्स (Tiles) लगवाने चाहिए ताकि उनकी सफाई आसानी से हो सके ।
ix. कबर्ड्स के दरवाजे सनमाइका या लकड़ी (शीशम या सागून) के बने होने चाहिए ताकि उनको साफ-सुथरा रखा जा सके एवं बार-बार पुताई के खर्च से बच सकें ।
x. स्लैब साफ करते समय उन पर पड़े भोजन के टुकडों को तुरन्त कूड़ेदान (Dustbin) में डाल देना चाहिए ताकि चूहे व कॉकरोच न आ सकें ।
xi. रसोईघर में एक छोटा गीजर भी होना चाहिए ताकि आवश्यकता पड़ने पर गर्म पानी उपलब्ध हो सके ।
xii. रसोईघर में ठंडे पानी की व्यवस्था भी सुचारु रूप से की जानी चाहिए ताकि बर्तनों की साफ-सफाई आसानी से की जा सके ।
xiii. रसोई का कचरा डालने के लिए कूड़ेदान का प्रयोग करना चाहिए । कूड़ेदान के अंदर काले रंग का कचरा बैग या पॉलिथिन बैग लगा देना चाहिए ।
xiv. प्रतिदिन कूड़ेदान को खाली करके कूड़े को सार्वजनिक कूड़ेदान में डलवाना चाहिए तथा कूड़ेदान को साफ करना चाहिए ।
xv. रसोईघर में उपयोग आने वाले कपड़ों जैसे-डस्टर या झाड़न को साबुन या गर्म पानी से अच्छी तरह साफ करना चाहिए ।
xvi. रसोईघर में बर्तन धोने के लिए सिंक की व्यवस्था होनी चाहिए तथा उसकी सफाई प्रतिदिन हो सके ।
xvii. रसोईघर में पानी बाहर निकलने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए ।
xviii. रसोईघर के फर्श को प्रतिदिन धोना व पोंछना चाहिए ।
xix. खाने-पीने के बर्तनों तथा कबर्ड्स जिनमें वे रखे जायें पूर्णरूप से साफ होने चाहिए ।
xx. खाने की टेबिल, कुर्सी, फ्रिज तथा अन्य उपकरणों की प्रतिदिन सफाई करनी चाहिए ।
(4) भोजन पकाने व परोसने में स्वच्छता (Hygiene in Cooking and Serving Foods):
रसोईघर में खाना पकाते व उसके बाद परोसते समय स्वच्छता के कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है जोकि निम्न प्रकार हैं:
i. रसोईघर में खाना बनाने से पहले डिटॉल साबुन से अच्छी तरह हाथ धो लेना चाहिए इस क्रिया से रोगाणु खाने में प्रवेश नहीं कर पायेंगे तथा आप अपने परिवार को स्वच्छ व स्वास्थ्यवर्द्धक भोजन खिलायेंगे ।
ii. भोज्य पदार्थों को हवा धूल मिले जीवाणुओं, मक्खी, मकड़ी, चूहे व कॉकरोच से बचाने के लिए भोजन को ढककर सुरक्षित स्थान पर रखना चाहिए ।
iii. पकाये हुए भोज्य पदार्थों को साफ-सुथरे कपड़े से ढककर रखना चाहिए ।
iv. पकाये हुए भोजन को जालीदार कबर्ड्स या आलमारी में रखना चाहिए ।
v. खाना गर्म रहे अत: कैसरोल (Casserole) का प्रयोग करना उत्तम होगा ।
vi. पकाये गये खाने को जालीदार ‘केक कवर’ से हमेशा ढककर रखना चाहिए ।
vii. बाजार में खाते समय इस बात का ध्यान रखें की जो भी भोज्य पदार्थ आप खाएं वह ढककर रखा हो । ब्रेड को मोमदार कागज में लपेटकर रखें ।
viii. पके हुए खाने को ढकने के लिए प्लास्टिक के ढक्कन उपयोग करें इसे आप आसानी से साफ कर सकते हैं ।
ix. भोजन को रखने के लिए बर्तनों को भलीभांति साफ कर व पोंछकर ही उसमें भोजन संग्रहित करे ।
x. खाना पकाने वाली गृहिणी या रसोईया के हाथ में, किसी भी प्रकार का संक्रमण (फोड़े-फुंसियाँ) या एलर्जी (Allergy) है तो उसे भोजन पकाना या छूना नहीं चाहिए ।
xi. फोड़े-फुंसियों से मवाद निकलती है जिसमें ”स्टैफ्लोकोकी” (Staphylococci) रोगाणु उपस्थित रहता है । अत: अस्वच्छ विधि से बनाये गये भोजन द्वारा सैकड़ों की संख्या में रोगाणु भोजन के साथ पेट में जाते हैं तथा आमाशयिक औतों के रोग उत्पन्न करते हैं ।
xii. ये रोगाणु केवल आँतों तक रह जाते हैं, रक्त परिवहन में प्रवेश नहीं कर पाते ।
xiii. जहाँ तक संभव हो यदि गृहिणी जुकाम, खाँसी से पीड़ित है तो उसे भोजन के ऊपर छींकना या खाँसना नहीं चाहिए या ऐसे लोगों को रसोईघर से दूर रहना चाहिए ।
xiv. ऐसे रोगी के नाक व गले में स्टैफ्लोकोकी रोगाणु पाये जाते हैं जोकि तरल व उर्द्ध तरल भोजन व दुध को अति शीघ्र संक्रमित कर देते हैं । अत: परिवार के सदस्य ऐसा भोजन खाते हैं तो वे भी रोगी हो जाते हैं ।
xv. भोजन को बनाने से पहले इस बात का निरीक्षण कर लें कि भोज्य पदार्थ में कंकड़-पत्थर, कीट या सुरैरी न हो यदि हो तो उसे तुरंत निकाल दें ।
xvi. सड़े-गले, फल व सब्जियों को तुरंत फेंक दें ।
xvii. फलों व सब्जियों में कीटनाशक दवाईयों का प्रभाव दूर करने के लिए भोज्य पदार्थों को पानी में अच्छी तरह से धोलें । कच्ची सब्जियाँ व फल खाने से पहले उन्हें पोटैशियम परमैंगनेट के घोल में धो लेने से इन पदार्थों में स्वच्छता बनी रहती है ।
xviii. फल व सब्जियों को अच्छी तरह धोने से उसमें उपस्थित कीटाणुओं के अंडे व कृमि भी धुल जाते हैं ।
xix. फूल गोभी में कभी-कभी कीड़े व अंडे लगे रहते हैं । अत: पकाने से पहले फूल गोभी को गर्म पानी में धोकर अच्छी तरह साफ करें ।
xx. भोजन को पकाने के लिए सदैव प्रेशर कुकर का प्रयोग करना उत्तम होगा क्योंकि भोज्य पदार्थों को अधिक तापक्रम पर पकाने से बैक्टीरिया व कीटाणु मर जाते हैं ।
xxi. टेपवर्म या हुक वर्म आदि रोगाणु प्रेशर कुकिंग से नष्ट हो जाते है तथा भोजन खाने योग्य हो जाता है ।
xxii. पकाये गये भोजन को परोसते समय भी सावधानी रखनी चाहिए ।
xxiii. खाने के पश्चात् बचे हुए भोजन को फ्रिज में रख देना चाहिए । जहाँ तक सम्भव हो भोजन गरम-गरम ही परोसना चाहिए व उसका तापमान 74० C या 165० F हो तो अच्छा होगा ताकि दूसरी बार भोजन परोसने पर वह सुरक्षित रहे ।
xxiv. करी वाली सब्जियों व तली हुई वस्तुओं को पकाने के पश्चात् काफी देर तक बाहर नहीं रखना चाहिए उन्हें तुरन्त परोस देना चाहिए ।
xxv. पकी हुई सब्जियों में जीवाणु अत्यंत सरलता से वृद्धि करते हैं ।
xxvi. भोजन पकाने व परोसने के बर्तन अच्छी तरह बुले व साफ होने चाहिए । ताँबे व पीतल के बर्तनों में (पकाया हुआ) खाना अधिक समय तक नहीं रखना चाहिए । इनमें रखने से भोजन में उपस्थित खटास से विषाक्त पदार्थ उत्पन्न हो जाते हैं ।