Read this article in Hindi language to learn about the diet plan for people suffering from fever.
शारीरिक परिवर्तन (Physical Changes):
ज्वर स्वयं में कोई रोग नहीं है । यह रोग का लक्षण मात्र है । ज्वर आने से शरीर में कई विकार उत्पन्न होते हैं ।
ज्वर आने पर शरीर में निम्न प्रकार के परिवर्तन होते हैं:
i. ज्वर से शरीर का तापक्रम बढ़ने से बेसल मेटाबोलिक दर बढ़ जाती है । शरीर का तापक्रम 10० F बढ़ने से 7% ऊर्जा शरीर से नष्ट होती है । अत: ज्वर की दशा में ऊर्जा की माँग बढ़ जाती है ।
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ii. शरीर में स्थित कोशिका की तोड़-फोड़ अधिक होने से प्रोटीन की माँग बढ़ जाती है ।
iii. मुख्यत: उन ज्वरों में भी जो अधिक समय तक चलते हैं ।
iv. शरीर में संचित ग्लाइकोजिन इस अवस्था में ग्लूकोज में टूट जाता है । अत: कार्बोहाइड्रेट की माँग अधिक हो जाती है । इस स्थिति में ग्लूकोज ऊर्जा प्रदान करने का कार्य करता है ।
v. ज्वर के उतरने से पसीना अधिक आता है उसमें जल, सोडियम व पोटैशियम काफी मात्रा में विसर्जित हो जाता है । इसकी पूर्ति करना आवश्यक होता है ।
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लक्षण (Symptoms):
i. ज्वर में शरीर का तापक्रम अधिक हो जाता है ।
ii. ज्वर आने से शरीर में कई प्रकार के विकार उत्पन्न हो जाते हैं ।
iii. रोगों के रोगाणु शरीर में प्रवेश कर अनुकूल स्थान व वातावरण पाकर संख्या में बढ़ने लगते हैं ।
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iv. शरीर में उपस्थित एंटीबांडीज तथा श्वेत रक्त कणिकाएँ इन जीवाणुओं को नष्ट करती हैं ।
v. जब रोग के रोगाणुओं की संख्या अत्यधिक हो जाती है तो इनका प्रभाव कम हो जाता है व ज्वर आता है ।
पौष्टिक तत्वों की आवश्यकताएँ (Nutritional Requirement):
ज्वर की स्थिति में पूर्ण आराम, दवाईयाँ व अतिरिक्त संतुलित आहार देना आवश्यक है । आहार में सभी पौष्टिक तत्वों का समावेश होना चाहिए ताकि रोग कितना भी तीव्र क्यों न हो उससे छुटकारा पाया जा सके ।
ऊर्जा:
ज्वर बढ़ने के साथ-साथ कैलोरी की आवश्यकता अधिक हो जाती है । ज्वर के नियन्त्रित होने के बाद रोगी को सामान्य स्थिति से 50% अधिक ऊर्जा देनी चाहिये ।
कार्बोहाइड्रेट:
ज्वर के रोगी को ग्लूकोज काफी मात्रा में दिया जाये ताकि रोगी को तुरन्त ऊर्जा प्राप्त हो । एक बार में 50 ग्राम ग्लूकोज देना चाहिये । तीव्र ज्वर में प्रति दो घंटा ग्लूकोज देना चाहिये । चाय, कॉफी तथा अन्य पेय पदार्थों में भी शर्करा रहती है । स्टार्च, अनाज व ब्रेड के रूप में दिया जाना चाहिये ।
प्रोटीन:
कोशिकाओं की तोड़-फोड़ ज्वर में अधिक होती है, जिससे अधिक प्रोटीन की आवश्यकता होती है । सामान्य स्थिति की तुलना में प्रोटीन की आवश्यकता 50% अधिक हो जाती है । प्रोटीन के मुख्य साधन दूध, दूध से बने पदार्थ, अंडा, माँस, मछली आदि हैं ।
बसा:
तीव्र ज्वर की अवस्था में घी, तेल, मक्खन, क्रीम नहीं देना चाहिए परन्तु ज्वर नियन्त्रित होने पर इन सभी पदार्थों का समावेश उचित मात्रा में हो ।
खनिजलवण:
प्रतिदिन दूध अच्छी मात्रा में देने से कैल्शियम व फॉस्फोरस की मात्रा की आवश्यकता की पूर्ति हो जाती है । फलों के रस से पोटैशियम प्राप्त हो जाता है । लौह लवण के लिये उसकी गोलियाँ दी जानी चाहिये ।
विटामिन्म:
आहार में कैलोरीज की आवश्यकता बढ़ने के साथ-साथ विटामिन ‘बी’ समूह की आवश्यकता अधिक होती है । इसकी पूर्ति के लिये मल्टी विटामिन की गोली दी जानी चाहिये ।
जल:
ज्वर में जल की आवश्यकता मौसम के ऊपर निर्भर करती है । गर्मी में अधिक मात्रा में पानी देना चाहिये । रोगी को उबालकर व ठंडा करके पानी देना चाहिये । पानी में ग्लूकोज देना आवश्यक है । पूरे दिन में 3-5 लीटर तरल पदार्थ जिसमें दूध, फलों का रस और जल की मात्रा अधिक हो, दिया जाना चाहिए ।
ज्वर के समय आहार व्यवस्था (Dietary Requirements):
तीव्र ज्वर की स्थिति में सिर्फ तरल आहार दिया जाता है । ज्वर की तीव्रता कम होने पर ब्रेड, खिचड़ी, दलिया, पुडिंग आदि दी जानी चाहिये । इसकी अवधि प्रति चार घंटा होनी आवश्यक है ।
उपरोक्त आहार से 2700 कि. कैलोरीज, 35 ग्रा. प्रोटीन, 600 ग्रा. श्वेतसार प्राप्त होता है । जैसे-जैसे ज्वर की स्थिति में सुधार आता है, रोगी के आहार में कुछ ठोस पदार्थों का समावेश करना आवश्यक है परन्तु साथ ही साथ दूध व फल का रस भी देना चाहिय ।
इस आहार योजना से 3000 कैलरीज व 50-60 ग्राम प्रोटीन प्राप्त होती है । ज्वर ठीक होने के पश्चात् रोगी को सामान्य (Standard) आहार देना चाहिए परन्तु तले-भुने व अधिक मिर्च-मसाले का भोजन वर्जित है ।