Read this article in Hindi language to learn about the diet plan for people suffering from the problem of constipation.
शारीरिक परिवर्तन (Physical Changes):
अच्छे स्वास्थ्य व आराम के लिए प्रतिदिन मल का निष्कासन अति आवश्यक हें कब्ज वह स्थिति है जब शरीर से निरुपयोगी पदार्थों का निष्कासन ठीक प्रकार से नहीं हो पाता ।
कब्ज मुख्यतया निम्न कारणों से होता है:
i. बचपन से शौच की अच्छी आदत का न होना यानि Dyschzia ।
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ii. बड़ी आँत (Larger intestine) की दीवार के स्नायु संकुचित होकर संकीर्ण हो जाना ।
iii. बड़ी आँत के स्नायुओं की कार्य करने की क्षमता का कम हो जाना ।
लक्षण (Symptoms):
कब्ज होने पर प्रतिदिन मल का निष्कासन नहीं होता है जिससे पेट में भारीपन रहता है । कुछ लोग हफ्ते में दो बार या तीन बार मल त्याग करते हैं । कब्ज से शरीर में विषाक्त पदार्थ विद्यमान रहते हैं ।
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पौष्टिक तत्वों की आवश्यकतायें (Nutritional Requirements):
कब्ज में पौष्टिक तत्वों की आवश्यकता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता । व्यक्ति को सामान्य रूप से अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करनी चाहिये । केवल रेशे की मात्रा आहार में धक होनी चाहिये ।
आहारीय आवश्यकता (Dietary Requirement):
कब्ज में सामान्य आहार ही लेना चाहिये परन्तु उसमें निम्न परिवर्तन करना आवश्यक है:
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(1) साबुत अनाज व दालें, दलिया, चोकर, हरी सब्जी, गर्म दूध, मक्खन, घी और तेल इत्यादि ।
(2) प्रात: काल उठकर एक गिलास गुनगुना पानी पीना चाहिये ।
(3) सोने के पूर्व मुनक्का खाना अधिक उपयोगी होता है ।
(4) घूमना, कसरत करना, समय पर थोड़ा व सन्तुलित आहार, विटामिन ‘सी’ युक्त (अमरूद/आँवला) भोजन कब्ज दूर करने में सहायक होता है ।
(5) ईसबगोल की भूसी खाने से मल की मात्रा बढ़ जाती है तथा निरुपयोगी पदार्थों के बहिष्करण में सहायता मिलती है ।