Read this article in Hindi language to learn about the various career options after studying home science.
गृह विज्ञान एक ऐसा विषय है जिसमें कई विषयों का समावेश होता है जिसका उल्लेख ऊपर किया गया है । आज के युग में गह विज्ञान शिक्षा के बाद लड़कियों को व्यवसाय व रोजगार के कई अवसर प्राप्त हो सकते हैं । गृह विज्ञान के प्रत्येक विषय में कुछ न कुछ रोचक व उपयोगी व्यवसाय के अवसर प्राप्त हो सकते हैं ।
ये अवसर निम्न प्रकार हैं:
आहार एवं पोषण (Food and Nutrition) विषय:
छात्राएँ अपनी बारहवीं कक्षा की शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् यदि गृह विज्ञान का चुनाव अपने व्यवसाय के रूप में करना चाहती हैं तो उन्हें सर्वप्रथम आहार एवं पोषण विषय की सम्पूर्ण पढ़ाई करके उसका ज्ञान जो कि पाठ्यक्रम के साथ-साथ प्रयोगात्मक भी हो प्राप्त करना चाहिये ।
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तभी वे स्वरोजगार तथा इस विषय के द्वारा वे निम्न व्यवसाय भी कर सकती हैं:
(a) आहार सलाहकार (Dietitian):
i. जलपानग्रह या भोजन बनाकर बेचना (catering) ।
ii. फल व सब्जियों का संरक्षण करके बेचना ।
ADVERTISEMENTS:
iii. बेकरी व कन्क्रैक्शनरी (Bakery and Confectionery)
iv. होटल प्रबन्धन (Hotel Management)
v. अस्पताल में आहार प्रबन्धन (Food Management in Hospital)
vi. स्वास्थ्य क्लबों में सलाहकार (Advisor in Health club)
ADVERTISEMENTS:
vii. पाक कला की हॉबी कक्षाएँ चलाना (Hobby Classes in Cooking),
viii. शिक्षा देना (Teaching)
ix. अनुसंधान (Research)
(b) मानव विकास (Human Development):
i. सलाहकार इकाई (Counselor Units),
ii. बच्चों की देखभाल (क्रेय व दैनिक देखभाल केन्द्र),
iii. प्री स्कूल व खेलकूद के केन्द्र (Pre School),
iv. वृद्धों की देखभाल (Care of Elderly) ।
(c) संसाधन प्रबन्धन (Resource Management):
i. व्यक्तिगत प्रबन्धन (Personal Management)
ii. बाजारीय प्रबन्धन (Marketing Management)
iii. वित्तीय आयोजक (Financial Planner)
iv. होटलों में हाऊस कीपिंग (House Keeping in Hotels)
v. आन्तरिक गृह सजाकार (Interior Decorator)
(d) वस्त्र एवं कपड़ा विज्ञान (Textile and Clothing):
i. वस्त्र सजाकार (Textile Designer), ii. वस्त्र निर्यातक (Garment Exporter),
iii. फैशन सजाकर (Fashion Designer),
iv. माल का क्रय-विक्रय करने वाले व्यापारी (Merchandiser).
(e) प्रसार शिक्षा (Extention Education):
i. जन सम्पर्क (Public Relation),
ii. विज्ञापन (Advertising),
iii. पत्रकारिता (Journalism),
iv. सामुदायिक सेवा व कल्याण (Community Service and Welfare),
v. दूरसंचार (Mass Communities),
vi. प्रसार कार्यकर्ता (Extension Worker) ।
स्वयं वेतन भोगी रोजगार (Self and Wage Employment):
स्वरोजगार (Self Employment):
स्वरोजगार से तात्पर्य है: अपना स्वयं का व्यवसाय करना अर्थात एन्टरप्राइस (Enterprise) की मालकियत स्वयं के पास होना । गृह विज्ञान शिक्षा प्राप्त करके लड़कियों में इतनी कुशलता आ जाती है कि वे स्वयं का व्यवसाय करके धन अर्जित कर सकती हैं ।
परन्तु गृह विज्ञान को केवल धन कमाने का साधन ही नहीं समझना चाहिये इसके द्वारा प्राप्त ज्ञान व कला से लड़कियों व्यावसायिक बन सकती हैं । गृह विज्ञान एक व्यावहारिक विषय है जो छात्राओं में कलात्मक ज्ञान व रुचियों को भी बढ़ाता है ।
अत: यह स्पष्ट है कि गृह विज्ञान के अध्ययन से हम अपनी आय बढ़ाकर अपने व अपने परिवार के स्तर को ऊँचा उठा सकते हैं ।
गृह विज्ञान के विभिन्न क्षेत्र द्वारा रोजगार या नौकरी प्राप्त करने के निम्न अवसर होते हैं:
अध्यापन (Teaching):
गृह विज्ञान में व्यावहारिक विज्ञान के साथ-साथ कला का भी संगम होता है ।
इसके ज्ञान से अध्यापन का कार्य निम्न स्थानों पर मिल सकता है:
(1) स्कूल, कॉलेज व महाविद्यालय, जिसके लिये गृह विज्ञान की स्नातकोत्तर की योग्यता की आवश्यकता होती है ।
(2) गृह विज्ञान में स्नातक करने के बाद पॉलिटेस्निक, औद्योगिक ट्रेनिग संस्थानों, होटल प्रबन्धन संस्थानों तथा केटरिंग आदि में भी व्यवसाय के अवसर होते हैं ।
(3) इसके अतिरिक्त आगनवाड़ी व सामुदायिक ट्रेनिंग केन्द्रों पर भी गृह विज्ञान शिक्षित लोगों को कार्य मिल सकता है ।
(4) कुछ लोग हॉबी कक्षायें (Hobby Classes) चलाते हैं, वहाँ अध्यापन कार्य मिल सकता है ।
प्री स्कूल व क्रेच (Pre School and Crèche):
कामकाजी महिलाओं को अपने बच्चों की देखभाल के लिये घर-परिवार से अलग कभी-कभी स्कूल क्रेच या दैनिक देख-रेख केन्द्र की आवश्यकता होती है । यह क्रेच या दैनिक देख-रेख केन्द्रों में 12 वर्ष की आयु तक बच्चे रखे जाते हैं ।
गृह विज्ञान के अन्तर्गत मानव विकास विषय में क्रेच, प्री स्कूल, नर्सरी स्कूल तथा स्कूल खोलने से सम्बन्धी शिक्षा दी जाती है जिसका लाभ उठाकर गृह विज्ञान शिक्षित लड़कियाँ क्रेच डे केयर सेन्टर, प्री नर्सरी स्कूल खोल रही हैं । इस क्षेत्र से अनेक व्यवसाय व कार्य के अवसर उपलब्ध हैं जो कि निम्न प्रकार हैं:
स्वरोजगार:
(i) क्रेच, डे केयर सेन्टर, प्री व नर्सरी स्कूल, मान्टेसरी स्कूल आदि ।
(ii) वृद्धों की देखभाल के सेन्टर
वेतनभोगी रोजगार:
(i) आँगनवाड़ी कार्यकर्ता/सुपरवाइजर,
(ii) बाल वाड़ी कार्यकर्ता/मैनेजर,
(iii) नर्सरी स्कूल, प्री स्कूल टीचर,
(iv) नर्सरी स्कूल सुपरवाइजर या प्रिंसिपल ।
केटरिंग (Catering):
पाककला का ज्ञान गह विज्ञान में दिया जाता है जिसका उपयोग करके छात्रा केटरिंग का कार्य कर सकती है । इस ज्ञान के द्वारा छात्रायें अपने परिवार की आय बढ़ाने के लिये जलपान, लंच व डिनर बनाकर आवश्यक व्यक्तियों को बेच सकती हैं ।
स्कूलों, कालेजों, आफिसों व फैक्टरियों में कार्यरत लोगों को खाना बना कर पहुँचाया जा सकता है । जिन लोगों के घरों पर खाना बनाने की व्यवस्था नहीं है वहाँ वृद्धों के लिए भी खाना बनाकर पहुँचाया जा सकता है ।
अनेक छात्र व छात्राओं को होस्टल मिल नहीं पाते वे पी.जी. या अलग कमरा लेकर बड़े शहरों में पढ़ाई करते हैं, उनको लंच-डिनर पहुँचाया जा सकता है । नौकरी के कारण कई पुरुष अपने परिवार से अलग शहरों में रहते हैं उनके लिये भी भोजन की व्यवस्था की जा सकती है ।
इसमें निम्न रोजगार अवसर प्राप्त होते हैं:
स्वरोजगार:
(i) कैन्टीन
(ii) कैफेटेरिया
(iii) रेस्टोरेन्ट
(iv) चाय की दुकान
(v) केटरिंग सेवाओं या अनुबन्ध
(vi) चलती-फिरती केटरिंग सेवा ।
वेतनभोगी-रोजगार:
(i) खाना बनाने वाला कार्य
(ii) खाना परोसने का कार्य
(iii) मैनेजर ।
खाद्य संरक्षण:
आहार एवं पोषण विषय में खाद्य संरक्षण का प्रयोगात्मक ज्ञान दिया जाता है जिसका उपयोग करके छात्राएँ फलों व सब्जियों का संरक्षण करके बेच सकती हैं; जैसे: अचार, जैम, जेली, मार्मलेड, पापड़ आदि ।
स्वरोजगार:
(i) अपनी स्वयं की उत्पादक इकाई खोलना ।
(ii) हॉबी कक्षाएँ लाना ।
वेतनभोगी रोजगार:
(i) उत्पादक केन्द्रों में सुपरवाइजर/मैनेजर ।
(ii) उत्पादक सहायक
(iii) गुणवत्ता नियंत्रक सहायक
(iv) सामुदायिक फल संरक्षण केन्द्र पर इन्स्ट्रक्टर/इंचार्ज/प्रयोगशाला सहायक आदि ।
बेकरी और कन्फेक्शनरी:
गृह विज्ञान की छात्रायें शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् अपनी बेकरी व कन्केक्सानरी खोलकर ब्रेड व उसके ब्रेड पदार्थ, केक-पेस्ट्री बनाकर बेच सकती हैं । आइसक्रीम पार्लर भी खोलकर तरह-तरह की आइसक्रीम बेच सकती हैं ।
अपने ज्ञान के द्वारा नये-नये व पौष्टिक व्यंजन तैयार करके बेच सकती हैं तथा जनता में उनके लिये जागरूकता पैदा कर सकती हैं । इनके द्वारा निम्न स्व वेतनभोगी रोजगार मिल सकता है ।
स्वरोजगार:
(1) अपनी स्वयं की बेकरी चलाना
(2) हॉबी कक्षायें चलाना
वेतनभोगी रोजगार:
(i) बेकरी में कार्य करना ।
(ii) बेकरी में सुपरवाइजर का कार्य करना ।
सामाजिक कार्य:
गृह विज्ञान में प्रसार शिक्षा दी जाती है जिसके द्वारा रोजगार के नये आयाम प्राप्त होते हैं; जैसे: सामाजिक कार्य तथा सामुदायिक कार्यक्रम के कार्य । ये लोग सामाजिक कार्यकर्त्ता या अनुसंधान सहायक के रूप में कार्य कर सकते हैं । इस ज्ञान को प्राप्त करने के पश्चात् छात्रायें माँस कम्युनिकेशन को अपना व्यवसाय बना सकती हैं जिसमें दूरसंचार, विज्ञापन, व पत्रकारिता आदि आते हैं ।
आतरिक सजा-संसाधन प्रबन्धन पढ़ने वाली छात्रायें अपने स्वयं के घर का प्रबन्धन उत्तम प्रकार से करने के साथ-साथ अपने परिवार की अर्थव्यवस्था को सुव्यवस्थित रख सकती हैं । गृह या आंतरिक सजा के द्वारा लोगों के घर साजसज्जा करने का कार्य कर सकती हैं ।
स्वरोजगार:
(i) वित्तीय सलाहकार
(ii) आंतरिक डिजाइनर
(iii) डिजाइनर
(iv) फर्नीचर निर्माण
(v) होटल में हाउस कीपर
वेतनभोगी रोजगार:
(i) आंतरिक डिजाइनर
(ii) फर्नीचर डिजाइनर
(iii) फर्नीचर निर्माण ।
वस्त्र रूपांकन (Designing):
वस्त्र विज्ञान प्राप्त ज्ञान द्वारा छापे गये वस्त्रों का रूपांकन करती हैं जिसमें वस्त्रों की बुनाई, रंगाई छपाई आदि आते हैं ।
परिधानों की संरचना तथा सिलाई करना, कुटीर चलाना तथा कपड़े बनाकर दुकानों पर बेचना । इससे अग्र व्यवसाय प्राप्त हो सकते हैं:
स्वरोजगार:
(i) टेलर
(ii) वस्त्र डिजाइनर
(iii) वस्त्रों की फिनिशिंग
(iv) बुटीक की मालिक
(v) वस्त्रों की कलात्मक सजावट
(vi) वस्त्रों का निर्यातकारक
(vii) कपड़ों पर छपाई और रंगाई का बुटीक
वेतनभोगी रोजगार:
(i) मैनेजर
(ii) उत्पादक सहायक
(iii) कपड़ों को काटने वाला सहायक
(iv) तरह-तरह का पैटर्न बनाने वाला सहायक
(v) सुपरवाइजर
(vi) ड्रेस डिजाइनर ।
आजकल उपरोक्त सभी गृह विज्ञान के विषयों में उच्चतर पाठ्यक्रम भी चल रहे हैं, अनेक शोध व आविष्कार भी हो रहे हैं । गृह विज्ञान के सभी विषयों में स्नातक, स्नातकोत्तर, डॉक्टरेट व पोस्ट डाक्टरेट भी हो रही है ।