Read this article in Hindi language to learn about the eight major types of family expenditure. The types are: 1. Total Family Income 2. Family Form 3. Living Place 4. Mode of Life 5. Number and Expenditure of Children 6. Personal Family Business 7. Social and Religious Tradition 8. Mastery of House Wife.
“किसी निश्चित अवधि में सम्बन्धित परिवार द्वारा अर्जित आय के इस अंश को पारिवारिक व्यय माना जा सकता है जो सदस्यों को विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये व्यय हुआ है ।” पारिवारिक आवश्यकताएँ अनेक होती हैं तथा प्रत्येक परिवार का यह प्रयास होता है कि उसकी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति प्राथमिकता अनिवार्य आवश्यकताओं को दी जाती है । इसके बाद अन्य आवश्यकताओं को ।
अत: परिवार के व्यय को अग्र चार भागों में बाँटा गया है:
पारिवारिक व्यय को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Family Expenditure):
पारिवारिक व्यय को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं:
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Type # 1. परिवार की कुल आय (Total Family Income):
परिवार की कुल आय ही परिवार के व्यय को प्रभावित करने वाला मुख्य कारक होता है । अधिक आय वाले परिवारों द्वारा अधिक व्यय तथा कम आय वाले परिवारों द्वारा कम व्यय किया जाता है अत: स्पष्ट है कि आय बढ़ने के साथ-साथ व्यय भी बढ़ जाता है ।
Type # 2. परिवार का स्वरूप (Family Form):
अर्थशास्त्र के अनुसार, संयुक्त परिवार में आय की अपेक्षा व्यय कम होता है संयुक्त परिवार में कुछ व्यय बच जाते हैं; जैसे-मकान, ईंधन, बिजली, नौकर आदि । परन्तु एकाकी परिवार की आय सीमित होती है तथा व्यय अधिक होते हैं ।
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Type # 3. परिवार के रहने का स्थान (Living Place):
पारिवारिक व्यय को प्रभावित करने वाले कारकों में परिवार के रहने क्य स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण है । गाँवों के परिवारों का व्यय नगर के परिवारों की अपेक्षा कम होता है । गाँवों के परिवार कुछ अनावश्यक खर्च नहीं करते हैं, जबकि शहरी क्षेत्र में रहने वाले परिवारों को अनेक अनावश्यक व्यय करने पडते हैं ।
शहर में रहने वाले अपनी जीवन शैली व रहन-सहन के स्तर को ऊँचा रखने के लिये अधिक व्यय करते हैं जबकि गाँवों के लोगों का रहन-सहन का स्तर साधारण स्तर का होने पर भी काम चल जाता है ।
Type # 4. परिवार के रहन-सहन का स्तर (Mode of Life):
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पारिवारिक रहन-सहन का स्तर परिवार के व्यय तथा व्यय की सीमा को प्रभावित करता है । रहन-सहन का स्तर ऊँचा होने पर व्यय अधिक होता है । पारिवारिक रहन-सहन का स्तर उच्च रखने के लिये व्यय की कोई सीमा नहीं है ।
रहन-सहन का स्तर सामान्य रखने के लिए सीमित व्यय से काम चल जाता है । परन्तु रहन- सहन को उच्च स्तर का रखने के लिये अधिक मात्रा में व्यय करना पड़ता है ।
Type # 5. परिवार में बच्चों की संख्या व उन पर व्यय (Number and Expenditure of Children):
यह अत्यन्त महत्वपूर्ण है । ऐसा परिवार जिसमें बच्चों की संख्या सीमित हो वहाँ कम व्यय होगा जबकि अधिक बच्चों वाले परिवार में अधिक खर्च होगा । बच्चों की आयु बढ़ने के साथ-साथ उन पर होने वाला व्यय भी बढ़ेगा क्योंकि उनकी शिक्षा व स्वास्थ्य पर अधिक व्यय होगा । परिवार में यदि बेटियाँ अधिक हैं तो उनके विवाह पर भी खर्च अधिक होगा ।
Type # 6. परिवार का व्यक्तिगत व्यवसाय (Personal Family Business):
परिवार की आय का कुछ भाग व्यक्तिगत व्यवसाय पर भी खर्च करना पड़ता है । व्यक्ति को अपना व्यवसाय चलाने के लिए कुछ अतिरिक्त धन व्यय करना पड़ता है; उदाहरणार्थ-डॉक्टर को क्लीनिक बनाना, वकीलों को पुस्तकालय बनाना आदि ।
परन्तु इनसे आय भी होती है । अत: परिवार के मुखिया तथा अन्य सदस्यों का व्यवसाय पारिवारिक व्यय को प्रभावित करने वाला महत्वपूर्ण कारक है ।
Type # 7. सामाजिक व धार्मिक परम्पराएँ (Social and Religious Tradition):
कुछ परिवार धार्मिक होते हैं । अत: विभिन्न अनुष्ठानों व धार्मिक क्रिया-कलापों पर उनके द्वारा किया गया खर्च अधिक होता है । इस प्रकार ये परिवार अपनी आय का कुछ भाग सामाजिक व धार्मिक रीति-रिवाजों एवं प्रथाओं पर व्यय करते हैं ।
Type # 8. गृहिणी की दक्षता (Mastery of House Wife):
पारिवारिक बजट बनाने व नियन्त्रित करने में गृहिणी की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है । यदि गृहिणी योग्य एवं कुशल है तो वह अपनी दूरदर्शिता व सूझबूझ से व्यय को नियन्त्रित कर लेती है । यदि गृहिणी अकुशल व अदूरदर्शी हो तो परिवार में अनेक अनावश्यक व्यय तथा अपव्यय होने का डर रहता है । उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि परिवार की आय-व्यय में सन्तुलन अति आवश्यक है तभी परिवार में सुख-समृद्धि हो सकेगी ।