Read this article in Hindi language to learn about the four main methods of washing clothes.
Method # 1. रगड़कर धोना:
इस विधि में वस्त्रों पर अधिक अथवा हल्का दबाव डालकर मलते हैं, जिसमें ब्रुश तथा रगड़ने के तख्ते का प्रयोग किया जाता है । इस विधि से केवल मजबूत तथा टिकाऊ तन्तुओं से बने वस्त्रों को धोया जाता है ।
वस्त्रों को रगड़कर धोने की निम्न विधियों का उपयोग होता है:
हाथ द्वारा रगड़ना:
ADVERTISEMENTS:
इस विधि का उपयोग सूती कपड़ों के लिए किया जाता है । सर्वप्रथम कपड़ों को पानी व साबुन में भिगोकर रख दिया जाता है । कुछ समय बाद कपड़ों को हाथ से लड़कर व मसलकर धोया जाता है, जिससे मैल निकल जाता है । अन्त में साफ पानी से धोकर साबुन निकाल दिया जाता है ।
ब्रुश का प्रयोग:
उपरोक्त विधि के अनुसार कपड़ों को साबुन के पानी में भिगोते हैं । फिर जहाँ मैल जमा हो उस स्थान को फैलाकर साबुन लगाकर ब्रुश से रगड़ते हैं तथा साफ पानी से धोकर साबुन निकाल देते हैं ।
रगड़ने के तख्ते पर वस्त्रों को रखकर मलना:
ADVERTISEMENTS:
i. यह विधि सूती कपड़ों के लिए उत्तम होती है ।
ii. इस विधि में कपड़ों को गरम पानी में भिगोकर लड़ने वाले तख्ते पर फैलाया जाता है ।
iii. फिर उस पर दोनों तरफ से साबुन लगाकर झाग पैदा करते हैं ।
iv. तख्ते पर कपड़े को रगडा जाता है । इसके बाद गरम पानी में डालकर साबुन को अच्छी तरह निकाल दिया जाता है । इस विधि से छोटे व बड़े दोनों प्रकार के कपड़े धोए जा सकते हैं ।
Method # 2. सक्शन वाशर:
ADVERTISEMENTS:
i. इस विधि में गरम पानी में साबुन डालकर झाग बनाया जाता है ।
ii. इस पानी में वस्त्रों को डालकर सक्शन वाशर में बार-बार दबाया जाता है ।
iii. इस विधि से झाग वाला साबुन वस्त्रों के बीच अनेक बार निकलेगा जिससे मैल को अपने में घोल लेगा । अन्त में वस्त्र को ठण्डे पानी से धोकर साबुन का पानी निकाल देते हैं ।
Method # 3. घुटने के बल बैठकर कपड़े धोना तथा निचोड़ना:
i. घर में कपड़ों को धोने की यही विधि उपयोग की जाती है ।
ii. दो बड़े तसलों में गरम पानी में साबुन घोल लेते हैं ।
iii. कुछ समय के लिए कपड़े इसमें भिगो देते हैं ।
iv. घुटने के बल बैठकर गन्दे कपड़ों को खूब मसलते हैं ।
v. जब मैल पानी में निकल जाये और वस्त्र साफ हो जाये तो निचोड़कर निकाल लें ।
vi. अन्त में साफ पानी में धोकर निचोड़ लें ।
Method # 4. मशीन द्वारा धुलाई:
मशीन द्वारा धुलाई से श्रम, समय व शक्ति की बचत होती है ।
मशीन दो प्रकार की होती हैं:
(i) ऑटोमैटिक,
(ii) सेमी ऑटोमैटिक ।
इनमें अन्तर यह होता है कि ऑटोमैटिक में धोने, निचोड़ने का काम एक साथ होता है जबकि सेमी ऑटोमैटिक में धोने के बाद, गन्दा पानी निकलने व निचोड़ने का काम दूसरे स्पिन में होता है ।
मशीन में पानी भरकर साबुन व कपड़े डाल देते हैं । मशीन को चालू करते हैं तो बीच में ऐजीटेंट कपड़ों को रगड़ने व मसलने का कार्य करता है । यह कार्य 4-5 मिनट में हो जाता है । अब वस्त्रों को साफ पानी में धोकर निचोड़ देते हैं ।
इस मशीन में टाइमर होता है उसी के अनुसार समय निश्चित किया जाता है । यह मशीन बिजली से चलती है । गीले हाथ से मशीन नहीं छूनी चाहिए । कपड़े धोने के बाद स्विच बन्द कर देना चाहिए ।
विभिन वस्त्रों की धुलाई (Washing of Different Clothes):
भिन्न-भिन्न वस्त्रों के निर्माण में भिन्न-भिन्न रेशों का प्रयोग किया जाता है जिस कारण उनको धोने की विधि भिन्न होती है ताकि कपड़े की चमक, बनावट, रंग-रूप पर प्रभाव न पड़े तथा उसकी आयु अधिक हो ।
कपड़े मुख्यतया चार प्रकार के होते हैं:
(1) सूती सफेद कपड़े,
(2) सूती, रंगीन व रेशमी कपड़े,
(3) ऊनी कपड़े,
(4) कृत्रिम कपड़े (रेयॉन, नायलॉन, डेकरॉन तथा टेरीलॉन आदि)
(1) सूती सफेद कपड़ों की धुलाई:
सूती सफेद वस्त्रों को धोते समय निम्न तैयारी करना आवश्यक होता है ।
तैयारी: कपड़ों को निम्नलिखित रूप से छाँटना चाहिए:
(i) सुन्दर एवं मुलायम कपड़े:
मलमल, सूती साड़ियाँ, चंदेरी ।
(ii) सफेद, हल्के, मध्यम तथा गहरे रंग के कपड़े:
इनको छाँटकर अलग-अलग कर लेना चाहिए ।
(iii) धोने से पूर्व वस्त्रों का निरीक्षण:
जेब आदि का निरीक्षण करना चाहिए ताकि उसमें रखी कोई वस्तु या रुपये खराब न हों ।
(iv) धोने से पहले कन्धों के पैड व बटन हटाना:
वस्त्रों को धोने से पूर्व कन्धों के पैड व बटन आदि हटाना चाहिए ।
(v) वस्त्रों को साबुन के पानी में भिगोना:
यह अच्छा होगा कि सफेद कपड़ों को साबुन के घोल में 1-2 घण्टे तक भिगोया जाये ।
वस्त्रों को साबुन में निम्न रूप से भिगोना चाहिए:
i. सबसे नीचे सबसे गन्दे कपड़े ।
ii. बीच में कम गन्दे कपड़े ।
iii. सबसे ऊपर सबसे कम गन्दे कपड़े ।
(vi) धुलाई:
एक चौड़े बर्तन में इतना पानी लीजिए कि कपड़े डूब जायें-इसमें आवश्यकतानुसार वाशिंग पाउडर डालिए । वस्त्रों में साबुन लगाकर उबालने के लिए रखिए । इनको केवल 10 मिनट तक उबालिए । वस्त्रों को एक-एक करके ब्रुश से रगड़कर गन्दगी दूर करिए ।
बड़ी-बड़ी चादरें, खोल आदि को मोंगरी से हल्के हाथों से पीटकर साफ कीजिए । गन्दगी निकल जाने पर ठण्डे पानी में तब तक धोएँ जब तक साबुन न निकल जाए । कपड़ों को निचोड़कर नील, कलफ लगाकर सुखाएं ।
वस्त्रों को साबुन के साथ उबालने को भट्टी चढ़ाना कहते हैं । भट्टी अधिक गन्दे कपड़ों पर चढ़ाई जाती है । कम गन्दे सूती सफेद वस्त्रों को सिर्फ गुनगुने पानी में धोइए एवं रगड़कर मैल निकालिए । साफ पानी में धोकर नील, कलफ लगाइए व धूप में सुखाइए ।
नील व कलफ लगाना:
सूती सफेद वस्त्रों को धोने के बाद उसमें चमक व कड़ापन लाने के लिए नील व कलफ लगाना चाहिए ।
नील लगाने से लाभ:
सूती सफेद वस्त्रों में नील लगाने से निम्न लाभ होता है:
पीलापन दूर हो जाता है और सफेदी आ जाती है । कपड़ों में चमक आ जाती है । कपड़े एकदम अलग से हो जाते हैं ।
नील तैयार करना:
सर्वप्रथम एक चौड़े बर्तन में इतना पानी लीजिए कि वस्त्र अच्छी तरह डूब जाएँ । एक सफेद कपड़े में नील को बाँधकर पोटली बना लीजिए तथा पानी में हिलाइए । नील पोटली में से छनकर पानी में घुल जायेगी । पाउडर नील के स्थान पर आजकल नील तरल रूप में भी आता है जिसकी 3-4 बूँदें एक बाल्टी में डाली जाती हैं । नील के स्थान पर उजाला का भी प्रयोग उत्तम रहता है ।
नील लगाने की विधि:
गीले वस्त्र से पूरी तरह खोलकर झटक लें । अब इसे सीधा पानी में डालें । कपड़े को जल्दी-जल्दी उलट-पलट करें । यदि टिनोपाल लगाना हो तो पहले टिनोपाल के पानी में भिगोकर 10-15 मिनट रखिए फिर नील लगाइए । नील व टिनोपाल लगे कपड़ों को धूप में सुखाइए ।
नील लगाते समय सावधानी:
कपड़ों को केवल आधा घण्टा ही नील के पानी में डालें । बाजार में खुला बिकने वाला नील न खरीदें । अल्ट्रामरीन या उजाला का उपयोग करें । यदि कपड़ों पर नील अधिक लग जाए तो हल्के एसीटिक अम्ल से नील का गहरा रंग कम कर लें ।
कलफ:
सूती कपड़ों में कलफ लगाने के लाभ:
i. सूती कपड़ों में सख्ती व कड़ापन आ जाता है ।
ii. कलफ वस्त्रों के धागों के बीच के स्थान की पूर्ति करता है । इसमें वस्त्रों पर धूल एवं गन्दगी कम लगती है ।
iii. कलफ से कपड़ों में चमक एवं नवीनता आ जाती है ।
iv. कपड़ों की क्रीज अच्छी बनती है ।
v. प्रेस करने में आसानी रहती है ।
कलफ बनाना:
कलफ कई वस्तुओं से बनाया जा सकता है: अरारोट, साबूदाना, मैदा, चावल, चोकर, गोंद, आदि ।
अरारोट का कलफ:
सामग्री: अरारोट 2 बड़ा चम्मच, पिसा सुहागा 1/2 चाय का चम्मच, मोम 1/4 चाय का चम्मच ।
विधि:
i. एक बड़े बर्तन में तीनों पदार्थों को लेकर एक बड़ा चम्मच ठण्डा पानी डालिए ।
ii. अब ऊपर से थोड़ा-थोड़ा उबलता पानी लीजिए तथा एक हाथ से अरारोट चलाती जाइए ।
iii. जब घोल चमकदार पारदर्शी लेई के समान हो जाए तो समझना चाहिए कि कलफ तैयार हो गया ।
iv. अब कपड़ों के अनुसार मोटे कपड़ों पर गाढ़ा व महीन कपड़ों पर पतला कलफ लगाइए ।
v. मैदे का कलफ भी अरारोट के कलफ की भांति लगाया जाता है ।
साबूदाने का कलफ:
सामग्री-साबूदाना 50 ग्राम, सुहागा 1/2 चाय का चम्मच, पानी 500 मिली ।
विधि:
i. साबूदाने को थोड़े पानी में 15-20 मिनट भिगोइए ।
ii. अब इसमें थोड़ा अधिक पानी डालकर आँच पर पकाइए ।
iii. आँच कम रखें तथा घोल को चलाती रहें ।
iv. जब दाने गल जायें तो पिसा सुहागा मिला दें ।
v. अब घोल को पतले कपड़े से छान लें ।
vi. यह कलफ काफी कड़ा होता है अत: पतला करके लगाएँ
vii. साबूदाने के कलफ में मोम नहीं डालते क्योंकि साबूदाना स्वयं चिकना होता है ।
viii. इसका उपयोग उत्तम कोटि के कपड़े के लिए करना चाहिए क्योंकि यह महँगा पड़ता है ।
चावल का कलफ:
सामग्री: चावल 2 बड़े चम्मच, मोम 1/4 चाय का चम्मच, सुहागा 1/2 चाय का चम्मच ।
विधि:
सस्ते चावल को लेकर उसका आटा बना लें फिर उसे पतली छलनी से छानकर अरारोट के कलफ की तरह बनायें व लगायें ।
चोकर का कलफ:
गेहूँ के आटे की भूसी को थोड़े पानी में उबालिए । जब घोल गाढ़ा हो जाए तो उसमें सुहागा व मोम मिला दें । अन्य कलफ की भांति लगायें ।
गोंद का कलफ:
सामग्री-गोंद 50 ग्राम, पानी 500 मिली ।
विधि:
i. गोंद को महीन पीस लें ।
ii. पानी के साथ उबालिए ।
iii. छानकर उसमें पानी मिलाकर कपड़ों में लगाइए ।
iv. इसका प्रयोग रेशमी कपड़ों में किया जाता है ।
सफेद कपड़ों पर नील लगाने के बाद कलफ लगाना चाहिए । कलफ लगाने के तुरन्त बाद कपड़ों को निचोड़कर, झटककर सुखा देना चाहिए ।
वस्त्रों को सुखाने के नियम:
i. वस्त्रों को उल्टा करके सुखाएं ।
ii. रस्सी व तार को अच्छी तरह पोंछ लें ।
iii. कपड़े को अच्छी तरह निचोड़कर व झटककर सुखाएं ।
iv. कपड़ों पर चिमटियाँ अवश्य ही लगाएँ ।
धूप में वस्त्रों को सुखाने से लाभ:
i. कपड़े शीघ्र सूख जाते हैं ।
ii. नील व कलफ की गन्ध समाप्त हो जाती है ।
iii. सीलन की बदबू समाप्त हो जाती है ।
iv. जीवाणु नष्ट हो जाते हैं ।
v. धूप में सुखाने से नील व कलफ अच्छा लगता है ।
कलफ के प्रकार:
कुछ कपड़ों को अधिक तथा कुछ को कम कड़ा करने की आवश्यकता होती है । इस प्रकार कड़ेपन की दृष्टि से कलफ तीन प्रकार का होता है ।
(i) गाढ़ा कलफ,
(ii) मध्यम कलफ,
(iii) पतला कलफ ।
गाढ़ा कलफ:
गाढ़ा कलफ तैयार करने में कम पानी डाला जाता है । इसका उपयोग अधिकतर मिलिट्री की ड्रेस पर, कमीज की कॉलर, नर्स की टोपी व बेल्ट आदि पर किया जाता है ।
मध्यम कलफ:
गाढ़े कलफ में दो गुना पानी डालकर मध्यम कलफ तैयार किया जाता है । इसे सूती साड़ियाँ, कमीज, फ्रॉक, कुर्ता, स्कर्ट, आदि पर लगाते हैं ।
पतलाकलफ:
गाढ़े कलफ में चार गुना डालकर मिलाने से पतला कलफ तैयार होता है । इसे महीन कपड़ों, चादरों आदि पर लगाया जाता है ।
(2) सूती रंगीन व रेशमी वस्त्रों की धुलाई:
सूती रंगीन व छपे हुए वस्त्र तथा रेशमी वस्त्रों की धुलाई एक समान विधि से की जाती है । ये कोमल प्रकृति के होते हैं । अत: इन्हे भट्टी नहीं चढ़ाया जाता । भट्टी चढाने से इनका रंग खराब हो जाता है तथा चमक चली जाती है । इन्हें उत्तम गुण वाले क्षारीय साबुन से धोना चाहिए । इसके लिए जैन्टील या ईजी, सोप फ्लेक्य या सत-रोठा का उपयोग करना चाहिए ।
धोने की विधि:
i. सफेद व रंगीन वस्त्रों को अलग-अलग कर लेते हैं ।
ii. वस्त्रों को थोड़ी देर पानी में भिगो दें जिससे उनका मैल फूल जाएगा ।
iii. कपड़ों को साबुन पानी के घोल में डालकर हल्के हाथों में मलिए । साबुन में ईजी या जेन्टील लें । परन्तु सूती कपड़ों पर ब्रुश का उपयोग करें ।
iv. कपड़े की गन्दगी साफ हो जाने पर उसे तब तक पानी में धोइए जब तक कि उसका सारा साबुन न निकल जाए ।
v. रेशमी कपड़ों को धोने के बाद एक बड़ा चम्मच मैथेलेटेड स्प्रिट या आधा नीबू का रस थोड़े पानी में मिलाकर कपड़ों में डालिए तथा कपड़ों को उलट-पलट दीजिए । इससे कपड़ों मे चमक आ जाती है ।
vi. रेशमी कपड़ों में गोंद का माँड लगाते हैं ।
vii. सूती रंगीन व रेशमी कपड़ों को छाया में सुखाइए धूप में रंग खराब हो जाता है । कपड़ों को उल्टी तरफ से सुखाना चाहिए ।
viii. यदि सूती कपड़ों का रंग उतरता है तो उसे धोने से पहले नमक या सिरके के पानी में भिगो दीजिए ।
ix. सूती कपड़ों में अरारोट या मैदे का कलफ लगाना चाहिए ।
x. थोड़ी नमी रहने पर ही रेशमी कपड़ों पर प्रेस कीजिए ।
xi. यदि रेशमी वस्त्र सूख गये हों तो पतले सूती कपड़े को भिगोकर कपड़े पर रखिए तथा ऊपर से प्रेस कीजिए ।
(3) ऊनी वस्त्रों की धुलाई:
ऊनी वस्त्रों को धोते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे खराब न होने पायें । यदि थोड़ी सी असावधानी होगी तो ऊनी कपड़ों का आकार-प्रकार बिगड़ जायेगा । अधिक गरम व ठण्डे पानी में रेशे खराब हो जाते हैं ।
ऊनी वस्त्रों की बुलाई के लिए निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए:
i. ऊनी वस्त्र दो प्रकार के होते हैं:
(a) मशीन से बुने
(b) हाथ से बने ।
दोनों प्रकार के वस्त्रों को अलग-अलग छाँट लीजिए । मशीन के बने हुए वस्त्रों को जहाँ तक हो सके ड्राईक्लीनिंग ही करवाना चाहिए ।
ii. हाथ के बने हुए वस्त्रों को पहले झाड़कर धूल साफ कर लीजिए ।
iii. ऊनी कपड़ों को धोने से पहले एक कागज पर फैलाकर पेन्सिल से उसके आकार को खींच लीजिए । इससे ऊनी कपड़े का आकार नहीं बिगड़ेगा ।
iv. पहले वस्त्र को उल्टा करके हल्के गुनगुने पानी में भिगोइये जिससे उनका मैल फूल जाये ।
v. ईजी या जेन्टील को हल्के गुनगुने पानी में डालकर खूब झाग बनाइए ।
vi. कपड़े को साबुन के पानी में डालकर हल्के हाथ से मलिए । ऊनी कपड़ों को रगड़कर नहीं धोना चाहिए ।
vii. यदि किसी स्थान पर वस्त्र अधिक गन्दा है तो वहाँ साबुन का गाढ़ा घोल लगाकर साफ कीजिए ।
viii. अब हल्के गुनगुने पानी मैं तब तक धोइए जब तक उसका पूरा साबुन न निकल जाये ।
ix. अन्त में सफेद वस्त्रों के लिए थोड़े से पानी में नीबू का रस तथा रंगीन वस्त्रों के लिए थोड़ा-सा सिरका डालकर वस्त्रों को उलट-पलट करिये ।
x. अब हाथ से दबाकर उसका पानी निकालिए । ऐन्ठकर मत निचोडिए नहीं तो ऊन खराब हो जाता है ।
xi. अब किसी साफ तौलिए में लपेट दीजिए, तौलिया उसके अतिरिक्त पानी को सोख लेगा ।
xii. मेज पर ड्राफ्टिंग के ऊपर वस्त्र रखकर उसी के आकार का बना लीजिए ।
xiii. ऊनी वस्त्र को जहाँ तक हो छाया में सुखाइए अथवा धूप में उस पर एक सूती कपड़ा फैलाकर ढक दीजिए । सूख जाने पर प्रेस कीजिए ।
xiv. गन्दे कपड़ों को पहले गुनगुने पानी से धोइए ।
सावधानियाँ:
i. ऊनी वस्त्र रीठे में सबसे अच्छे धुलते हैं ।
ii. ऊनी वस्त्रों को लटकाकर मत सुखाइए । ऊनी वस्त्रों को रस्सी पर लटकाने से वे लम्बे होकर खिंच जाते हैं तथा उनका आकार खराब हो जाता है ।
iii. ऊनी वस्त्रों को गुनगुने पानी में धोइए ।
iv. कपड़ों को रगड़कर मत धोइए ।
v. रंगीन व सफेद कपड़े अलग-अलग धोने चाहिए ।
(4) कृत्रिम (रेयॉन, नायलॉन, डेकरॉन, टेरीलॉन) वस्त्रों की धुलाई:
ये वस्त्र कृत्रिम तन्तुओं से विशेष रासायनिक विधि द्वारा बनाये जाते हैं । इनकी चमक, रंग इत्यादि पक्के होते हैं, साथ ही ये अधिक टिकाऊ व मजबूत होते हैं । सूती धागा मिलाकर विभिन्न प्रकार के आनुपातिक वस्त्र तैयार किये जाते हैं ।
इनकी धुलाई की विधि निम्न प्रकार है:
धुलाई की विधि:
i. कृत्रिम कपड़ों को अधिक क्षार युक्त साबुन में अधिक गरम पानी में नहीं धोना चाहिए ।
ii. इनको रगड़कर भी नहीं धोना चाहिए अन्यथा ये शीघ्र फट जाते हें ।
iii. इन्हें ईजी, जेन्टील या रीठे के सत से धोना चाहिए ।
iv. पानी में साबुन डालकर खूब झाग बना लें ।
v. अब वस्त्रों को साबुन के झाग वाले पानी में डुबा दें ।
vi. अब 5-10 मिनट बाद हाथों से दबाकर वस्त्र की गन्दगी साफ कर लें ।
vii. अधिक गन्दगी वाले भाग पर हल्के ब्रुश का प्रयोग करें ।
viii. वस्त्र से मैल निकल जाने के बाद साफ पानी से धो लें ।
ix. कृत्रिम वस्त्रों को निचोड़ना नहीं चाहिए बल्कि हल्के हाथ से दबाकर पानी निकालना चाहिए ।
x. कपड़ों को छाया में सुखाना चाहिए ।
xi. रंगीन व छपे हुए कपड़ों को धोने से पहले पानी में दो चम्मच नमक या सिरका डालकर दस मिनट भिगोयें । इसके बाद साबुन के घोल में साफ करें ।
xii. जरूरत पड़ने पर हल्की प्रेस करें ।
मलमल या वैल्वेट की धुलाई:
i. इन्हें रेशमी एवं ऊनी कपड़ों की भाँति धोना चाहिए ।
ii. सुखाने के लिए हैंगर का उपयोग करें ।
iii. आधे सूखे होने पर किसी मुलायम कपड़े से उनके रोयें एक समान कर लें ।