शिशिर ऋतु । “Winter Season” in Hindi Language!
1. प्रस्तावना ।
2. शिशिर ऋतु का आगमन ।
3. महत्त्व ।
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4. उपसंहार ।
1. प्रस्तावना:
शरद ऋतु जब अपने शीतल, रचच्छ, मोहक सौन्दर्य से प्रकृति पर अपना प्रभाव छोड़ जाती है, तो उसकी खुमारी को तोड़ती हुई हौले-हौले दबे पांव आ जाती हैं: शिशिर ऋतु । शरद की हल्की-हल्की गुलाबी ठण्ड अपने पूर्ण यौवन पर आ पहुंचती है ।
शिशिर के समय धरती का तापमान तो कहीं-कहीं पर शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है । ठण्ड अपने पूरे शबाब पर आ जाती है, जिसका प्रभाव समस्त प्रकृति पर प्राणिमात्र पर ऐसा पड़ता है कि उन्हें कंपकंपी-सी छूटने लगती है ।
2. शिशिर का आगमन:
भारत में शिशिर ऋतु का प्रारम्भ नवम्बर के मध्य से होता है । जनवरी तथा फरवरी इस ऋतु के सबसे ठण्डे महीने होते हैं । यह मौसम वायुदाब से प्रभावित होता है । सूर्य के दक्षिणायन होने से हिमालय के उत्तर क्षेत्र में उच्च वायुदाब का केन्द्र विकसित हो जाता है तथा यहां से पवनें भारतीय उपमहाद्वीप की ओर बहने लगती हैं ।
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ये पवन ही शुष्क महाद्वीपीय वायु संहति के रूप में पहुंचती है । इस समय उत्तरी भारत के मैदानी क्षेत्र का तापमान 18 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, किन्तु दक्षिण की ओर बढ़ते जाने से सागरीय समीपता एवं उष्णकटिबन्धीय स्थिति होने के कारण तापमान बढ़ता जाता है ।
इस समय उत्तरी भारत के मैदानी भागों का तापमान 10 डिग्री सेल्सियस तक हो जाता है । रात के समय तो इसका तापमान 0० से भी नीचे चला जाता है । इस सामान्य ठण्ड के मौसम को सामान्यत: शीत लहर की संज्ञा दी जाती है ।
3. शिशिर ऋतु का महत्त्व:
इस में खरीफ की फसलें खलिहानों में पककर तैयार हो जाती हैं । खरीफ की फसलों के उगते ही खेतों में रबी की फसलें, गेहूं चना तथा दालों की फसलों का उत्पादन अच्छा होता है । यह रबी की फसलों के लिए बहुत फायदेमन्द है ।
इस ऋतु में विभिन्न प्रकार के फल-फूल तथा सब्जियां बहुतायत में उपलव्य होती हैं । खेतों में लहलहाती रबी की फसलों के साथ-साथ हरी-हरी सब्जियां मटमट करती हुई धनियां लोगों के जीभ का स्वाद बढ़ा देती है । गाजर, मूली, टमाटर, सेमफली, मटर, गोभी जैसी फसलें अपना अनूठा स्वाद चखाती हैं । ठण्ड में फलों में भी मिठास आ जाती है ।
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यह ऋतु स्वास्थ्य के लिए भी बड़ी लाभदायक होती है । कहा जाता है कि इस में बीमारी से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है; क्योंकि ताजी सब्जियां और विटामिनयुक्त फल शरीर को शक्तिवर्द्धक बनाते
हैं ।
इस में रोग जल्दी ठीक हो जाते हैं । गरमी तथा वर्षा में हमारी कार्यक्षमता प्रभावित होती है, किन्तु इस ऋतु में हमारी कार्यक्षमता बढ़ जाती है । इस ऋतु में हम दीपावली, क्रिसमस, ईद जैसे त्योहारों का आनन्द उठाते हैं ।
रंग-बिरंगे ऊनी कपड़ों में बच्चे, बूढ़े, जवान सभी स्वेटर, ऊनी शॉल, कोट, मफलर डाले ठण्ड को दूर भगाते नजर आते हैं । गरमागरम चाय के साथ गुनगुनी धूप का आनन्द लेते हैं । इस ऋतु में विशेषत: विभिन्न प्रकार के खेलों का आयोजन होता है । क्रिकेट, हॉकी, कबडी, खो-खो, फुटबॉल, एथेलिटिक्स आदि प्रतियोगिता ठण्ड के आनन्द को और अधिक बढ़ा देती हैं ।
खेलों से जहां शरीर में चुस्ती-फुर्ती आती है, वहीं हमारा स्वास्थ्य भी अच्छा बना रहता है । शीतकालीन विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं होती हैं । इस में जहां बहुत से लाभ हैं, वहीं कुछ हानियां हैं । अत्यधिक ठण्ड की वजह से लोग ठिठुरकर काल के गाल में समा जाते हैं ।
इस ऋतु में सर्दी, खांसी, दमा जैसी बीमारियां आपने पांव पसारने लगती हैं । ठण्ड की अधिकता से लोगों की कार्य की गति धीमी पड़ जाती है । अत्यधिक ठण्ड की वजह से लोग रजाई और बि२तर में ही दुबके रहना चाहते हैं ।
ठण्ड के दिनों में ईधन की खपत कुछ ज्यादा ही होती है । इस ऋतु में कभी-कभी वर्षा हो जाती है, जिसकी वजह से फसलें खराब हो जाती हैं । पाला और कोहरे की वजह से फसलें तथा सब्जियां सड़ जाती हैं । सूर्य, चन्द्रमा की तरह मन्द पड़ जाता है । नदियों, तालाबों का पानी बर्फ बन जाता है ।
4. उपसंहार:
यह सत्य है कि प्रकृति की प्रत्येक का अपना विशेष महत्त्व होता है । इस रूप में शिशिर ऋतु प्रकृति की अत्यन्त सुन्दर एवं उपयोगी है ।