सुनामी लहरें । “Tsunami” in Hindi Language!
1. भूमिका ।
2. इसकी भयावहता ।
3. क्या हैं सुनामी लहरें?
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4. कैसे उठती हैं यह लहरें?
5.संकट का सामना ।
6. उपसंहार ।
1. भूमिका:
26 जनवरी, 2005 को हिन्द महासागर में रविवार की सुबह करीब साढ़े छह बजे आये विनाशकारी भूकम्प ने ऐसी सुनामी लहरों को जन्म दिया, जिसने कुछ ही पलों में हजारों-लाखों लोगों को अपने आगोश में ले लिया । इस समुद्री भूकम्प की दैत्याकार सुनामी लहरों का कहर इतना भयानक था कि ये लहरें 750 कि॰मी॰ प्रति घण्टे की रफ्तार से तटीय शहरों में घुस आयीं ।
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40 से 60 फुट ऊंची इन भयानक लहरों ने भारत के अण्डमान निकोबार द्वीप समूह, तमिलनाडु, आन्ध्रप्रदेश, पाण्डिचेरी, केरल के अलावा लंका, इण्डोनेशिया, थाइलैण्ड, मलेशिया, म्यांमार, मालदीव, सोमालिया, सुमात्रा, बैंकाक के अधिकांश भागों को अपनी चपेट में ले लिया । तूफानी लहरों में बच्चे-बूढ़े, महिलाएं, पशु-पक्षी सब मीलों बहते हुए काल के गाल में समा गये ।
2. इसकी भयावहता:
हिन्द महासागर में आये इस समुद्री सुनामी भूकम्प के झटकों ने तो कुछ छोटे-छोटे द्वीपों को भी अपनी जगह से कई- कई मीटर दूर खिसका दिया । कुछ द्वीप ऊपर उठ गये, तो कुछ एक-दूसरे से तटीय आधार पर कटकर समुद्र में समा गये ।
इस भूकम्प में साढ़े नौ हजार परमाणु बमों से निकलने वाली ऊर्जा के बराबर धरती से ऊर्जा निकली थी । वैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि पृथ्वी अपनी धुरी पर कंपकपाकर रह गयी थी । समुद्री भूकम्प से सागर में आयी दरार इतनी गहरी थी कि उसमें हिमालय के बराबर ऊंचा पहाड़ भी समा जाता । समुद्र तल से लगभग 10 कि॰मी॰ नीचे यह भूकम्प आया था । समुद्र की बजाय यदि धरती कांपती, तो धरती पर कयामत ही आ जाती ?
3. क्या हैं सुनामी लहरें?
जब समुद्र में अचानक तेज हलचल होने लगती है, तो उसमें तूफान उठता है । इससे लम्बी और ऊंची लहरों का रेला उठता है । यह रेला जबरदस्त वेग के साथ उथले तट की ओर बहता है । इन्हीं लहरों को सुनामी कहा जाता है । सुनामी शब्द जापानी भाषा के त्सू (समुद्र तट) और नामी लहरों से मिलकर बना है ।
4. कैसे उठती हैं यह लहरें ?
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यह लहरें भूगर्भीय हलचलों, तटवर्ती भूकम्पों, ज्वालामुखी विस्फोट या समुद्र तल में हुए भूक्सलन से पैदा होती हैं और इतनी तेजी से तट की ओर बढ़ती हैं कि इनकी भविष्यवाणी करना या इनसे बचाव करना मुश्किल हो जाता है ।
इस प्रकार का विनाशकारी प्रभाव जब समुद्र में होता है, तो समुद्री सतह में कंपन उत्पन्न हो जाती है, जिससे तूफान आता है, जो पूरे समुद्र में फैल जाता है । लहरें इतनी उठती हैं कि वह लगातार थलीय क्षेत्रों की ओर बढ़ने लगती हैं । इससे न केवल लोगों की जान जाती है, वरन् धन व सम्पत्ति के साथ-साथ घर, मकान, गांव, बड़े-बड़े भवन नष्ट हो जाते हैं ।
5. संकट का सामना:
सुनामी लहरों की भयंकर तबाही व विनाश लीला से जो धन-जन की हानि हुई है, उसकी पूर्ति के लिए सरकारी संस्थान ही नहीं, विश्व के समस्त देशों से आर्थिक सहायता राहत कोष के रूप में पहुंचाई जा रही है । भारत ने किसी से सहायता लेने की बजाय लोगों से अपील की कि वे अपने-अपने सामर्थ्य के अनुसार पीड़ितों को मदद दें ।
कुछ नामी-गिरामी लोगों ने तो शो इत्यादि आयोजित कर रकम दी है । सरकारी कर्मचारियों ने अपना एक दिन का वेतन दिया है । संकट में पड़े इन लोगों को सभी की मदद चाहिए, ताकि वे पहले जैसा जीवन जी सकें ।
6. उपसंहार:
इस प्राकृतिक आपदा का मुकाबला सभी को मिल-जुलकर करना होगा । आइये, हम इनकी भावनात्मक मदद के साथ-साथ आर्थिक मदद भी करें । अपनों को खोने का दर्द बड़ा ही कठिन होता है, किन्तु इस प्रकोप के आगे किसका बस चलता है ? इसका सामना हर पीड़ित को धैर्य, साहस व दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ करना ।