जनसंख्या वृद्धि । “Population Explosion” in Hindi Language!
1. भूमिका या प्रस्तावना ।
2. जनसंख्या वृद्धि में भारत का स्थान ।
3. जनसंख्या वृद्धि के कारण ।
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4. जनसंख्या वृद्धि रोकने के उपाय
5. उपसंहार ।
1. भूमिका:
जनसंख्या वृद्धि भारत की सबसे भीषणतम समस्या के हमारे सामने एक चुनौती बनकर आ खड़ी हुई है । यह समस्या इतनी भयावह है कि किसी अर्थशास्त्री ने यह कहा था: “जनसंख्या वृद्धि भारत का एक कुटीर उद्योग बन गया है” । एक अन्य अर्थशास्त्री ने कहा कि ”भारत के शयनागार खेतों से भी अधिक उपजाऊ है । नि:सन्देह ही यह एक गम्भीर समस्या है ।”
2. जनसंख्या वृद्धि में भारत का स्थान:
यद्यपि जनसंख्या वृद्धि में भारत का चीन के बाद दूसरा स्थान है, तथापि वह दिन दूर नहीं जब भारत विश्व की सबसे अधिक आबादी वाला राष्ट्र बन जायेगा । आज भी हमारे देश में प्रतिवर्ष एक नया आस्ट्रेलिया बनकर जुड़ जाता है । भारत की जनसंख्या में प्रति मिनट में 60 से भी अधिक बच्चे जन्म लेते हैं ।
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भारत की जनसंख्या 2001 की जनगणना के अनुसार 1,02,70,15,247 (1 अरब, 2 करोड़, 70 लाख 15 हजार, 247 थी) । 10 वर्षो में भारत में हुई यह जनसंख्या वृद्धि विश्व की पांचवीं बड़ी जनसंख्या वाले देश ब्राजील की जनसंख्या के बराबर है ।
अन्तिम आकड़ों के अनुसार भारत की यह जनसंख्या विश्व की कुल जनसंख्या का 16.7 प्रतिशत है । भारत भी ऐसा दूसरा राष्ट्र है, जिसकी जनसंख्या अरब से अधिक है । भारत की मौजूदा जनसंख्या चीन की जनसंख्या से अब केवल लगभग 24 करोड़ ही कम है ।
3. जनसंख्या वृद्धि के कारण:
(क) अशिक्षा व अज्ञानता: अशिक्षा व अज्ञानता जनसंख्या वृद्धि का सबसे प्रमुख कारण है । चूंकि हमारे देश की अधिकांश जनसंख्या गांवों में निवास करती है और वह शिक्षा के महत्त्व को नहीं समझती, इसी अशिक्षा के कारण वह जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम को नहीं समझती । गांव में तो पुत्र जन्म पर मिठाइयां बांटी जाती हैं । पुत्र की लालसा ने जनसंख्या में और अधिक वृद्धि की है ।
(ख) जन्मदर में वृद्धि व मृत्युदर में कमी: पहले बाढ़, सूखा, महामारी जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण मृत्युदर अधिक थी, लेकिन आजादी के बाद स्वाभाविक रूप से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार आया है । बड़ी-से-बड़ी बीमारियों के निदान व उसके लिए श्रेष्ठ स्वास्थ्य सुविधाएं भी हैं । गांव-गांव तक चिकिरचाकों की सुविधाएं उपलब्ध हैं । फलस्वरूप मृत्युदर में कमी हुई है ।
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(ग) बाल विवाह: आजादी के इतने वर्षो बाद भेइर हमारे देश में बाल विवाह जैसी कुरीति प्रचलित है । आज भी लड़के तथा लड़कियों का विवोह कम उम्र में कर दिया जाता है । बाल विवाह भी बढ़ती हुई जनसंख्या का प्रमुख कारक है ।
(ध) अन्धविश्वास व रूढ़ियां: भारत की अधिकांश जनसंख्या निरक्षर है, जो अन्धविश्वासों व रूढ़ियों से ग्रस्त है । वे यह सोचते हैं कि जितने अधिक हाथ होंगे, उतना ही कमायेंगे । सन्तान न होने पर मोक्ष की प्राप्ति नहीं होगी । सो एक पत्नी से पुत्र न होने की स्थिति में वे दूसरा विवाह कर लेते हैं । बच्चे भगवान् की देन हैं । जिस ईश्वर ने चोंच दी है, वही हमें चुग्गा भी देगा । यह भाग्यवादी अवधारणा जनसंख्या वृद्धि का कारण है ।
(ड.) पुत्र की लालसा:
हमारे देश की जो शिक्षित जनसंख्या है, वह भी आज पुत्र जन्म होने पर खुशी मनाती है, कन्या के जन्न लेने पर मातम मनाती है । उनका आज शी यह दृष्टिकोण बदला नहीं है कि पुत्र के पिता को मुखाग्नि देने पर ही उनकी आत्मा को शान्ति मिलती है ।
पुत्र जन्म की लालसा के कारण एक के बाद एक छह कन्याओं का जन्म होता रहता है और वह इसी आशा में रहता है कि अगली सन्तान पुत्र ही होगी । पुत्र ही कुल का दीपक है, उसी से वंश चलता है ।
(च) गरम जलवायु: भारत एक गरम जलवायु वाला देश है, जिसके कारण यहा प्रजनन शक्ति अधिक होती है । ठण्डे देशों में यह कम होती है ।
(छ) परिवार नियोजन के साधनों के प्रति अरूचि: परिवार नियोजन के साधनों में, जैसे-गर्भनिरोधक गोलियां, कॉपर टी लगवाना, नसबन्दी के ऑपरेशन के प्रति हमारे देश की जनता में जागरूकता नहीं है । लोगों की यह धारणा है कि ऑपरेशन करवाने पर उनकी शारीरिक शक्ति कमजोर हो जायेगी । चूंकि इन साधनों के बारे में उन्हें सही जानकारी नहीं है, इसलिए उनमें इन साधनों के प्रति अरुचि रहती है ।
(ज) सरकारी व प्राइवेट संस्थाओं की उदासीनता: हमारे यही चूंकि जनसंख्या शिक्षा का अभाव है, दूसरी ओर सरकारी व प्राइवेट संस्थाओं द्वारा जनता को इस ओर जागृत नहीं किया जाता है कि अधिक जनसंख्या से क्या-क्या हानियां है, उन्हें यह भी नहीं बताया जाता कि जनसंख्या से रहन-सहन के स्तर का सीधा सम्बन्ध है ।
सरकार तथा प्राइवेट संस्थाओं द्वारा परिवार नियोजन के प्रति जनता को जागृत नहीं किया जा रहा है । लोगों को इसके बारे में सही जानकारी नहीं है और न ही लोग इसके महत्व को समझते हैं ।
4. जनसंख्या वृद्धि को रोकने के उपाय:
(क) जनसंख्या शिक्षा का प्रसार: जनसंख्या वृद्धि रोकने में सबसे कारगर कदम है कि हमें गांवों तथा शहरों में लोगों को जनसंख्या शिक्षा देनी चाहिए । उन्हें यह बताना चाहिए कि विवाह के लिए लड़के की आयु 21 वर्ष तथा कन्या की आयु 19 वर्ष होनी चाहिए । कम उम्र में विवाह करने पर मां के कमजोर होने पर उसे तो खतरा है ही, साथ ही सन्तान कमजोर पैदा होगी । कमजोर सन्तान क्या देश का भविष्य बनेगी ।
(ख) अधिक उम्र में विवाह: जनता का ध्यान इस ओर भी दिलाया जाना चाहिए कि अधिक उस में विवाह करने पर मां-पिता के शारीरिक रूप से मजबूत होने के कारण बालक भी स्वस्थ्य व सुडौल पैदा होगा । अधिक उम्र में विवाह करने पर बच्चे भी कम पैदा होंगे ।
(ग) सामाजिक जागरूकता: समाज द्वारा, खासकर गांवों के लोगों के दृष्टिकोण को बदलना होगा । उन्हें यह समझना होगा कि: 1. पुत्र और पुत्री में कोई अन्तर नहीं है । 2. पुत्र द्वारा मुखाग्नि देने पर ही स्वर्ग की प्राप्ति होती है तथा मृतक की आत्मा को शान्ति मिलती है, यह दृष्टिकोण गलत है । 3. लड़का होने पर पितृ व मातृऋण से मुक्ति मिलती है । 4. वंश परम्परा को पुत्र ही निबाह सकता है । इस दृष्टिकोण को बदलना होगा ।
(घ) सरकारी प्रयत्नों की सक्रिय भागीदारी: जनसंख्या वृद्धि को रोकने हेतु सरकार अपने स्तर पर काफी प्रयास करती रही है, जैसे-परिवार नियोजन के साधन अपनाने पर पुरुष व महिला को सरकारी नौकरी में वेतन वृद्धि देना । रामाधार-पत्र, टी॰वी॰ रेडियो में परिवार नियोजन के फायदों पर अधिक-से-अधिक फिल्में भी दिखाई जानी चाहिए ।
इसका लाभ तब होगा, जब हम चीन के समान जनसंख्या निरोधक नीति को ईमानदारी से लागू करेंगे । सभी धर्मों के लोगों को समान रूप से इस हेतु तैयार करेंगे । सरकार को चाहिए कि वह परिवार नियोजन पुरस्कार राशि को बढ़ाये । सांसद तथा विधायकों पर भी नियोजित परिवार होने पर ही टिकट देना व मन्त्री पद देना । अधिक उम्र में विवाह करने वाले लोगों को पुरस्कार देना ।
5. उपसंहार:
जनसंख्या वृद्धि के फलस्वरूप जहां भूखमरी, गरीबी, बीमारी, महंगाई, बेकारी, खाद्य संकट, रहन-सहन का निचला स्तर, प्राकृतिक संसाधनों का अधिक दोहन, पर्यावरण प्रदूषण, आवास की समस्या, जल संकट बढ़ता है, वहीं देश का आर्थिक विकास कई गुना पीछे चला जाता है ।
देश की संख्यात्मक जनसंख्या का बढ़ना देश की उन्नति में बाधा उत्पन्न करता है । गांवों में भी बच्चे दो ही अच्छे के महत्त्व को समझाना होगा । यदि हमारे देश की जनता सीमित परिवार व लड़के तथा लड़की को समान माने, तो नि:सन्देह हमारी बढ़ती हुई जनसंख्या पर विराम लगेगा तथा हमारा देश उन्नति की दिशा की ओर अग्रसर होगा ।