नयी कविता । “New Poetry” in Hindi Language!
नयी कविता की प्रवृत्तियां:
नयी कविता को कुछ लोग प्रयोगवादी काव्य धारा का अलग चरण बताते हैं । सन् 1950 से नयी कविता अपने कथ्य एवं शिल्प की विशेषताओं के साथ नवीनता लिये अस्तित्व में आयी । संक्षेप में इस काल की निम्नलिखित विशेषताएं हैं:
1. नूतन प्रयोग: नयी कविता में नये भाव बोध, नये मूल्यों एवं नये शिल्प विधानों का नवीन प्रयोग हुआ है ।
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2. क्षणवाद को महत्त्व: नयी कविता आज की क्षणवादी दृष्टि को भी महत्त्व देती है । मनोवैज्ञानिक दृष्टि से मानव क्षणों में जीता है, क्षणों में मरता है । अत: उसके जीवन की एक-एक अनुभूति को, व्यथा को नयी कविता में स्थान दिया गया है ।
3. लघु मानववाद की प्रतिष्ठा: नयी कविता में मानव जीवन की लघुता को खोज-खोजकर उसे पूर्ण दृष्टि प्रदान की गयी है ।
4. अनुभूति की सचाई: नयी कविता में मानव तथा समाज दोनों की अनुभूतियों को सचाई के साथ व्यक्त किया है, जिसमें एक-एक क्षण की सचाई को भी महत्त्व प्रदान किया गया है ।
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5. कुंठा, संत्रास, मृत्युबोध: नयी कविता में मानव मन में व्याप्त कुण्ठाओं को, जीवन के संत्रास एवं मृत्युबोध को भी अत्यन्त मनोवैज्ञानिक रूप से चित्रित किया गया है ।
6. व्यक्तिवादी अहं को प्रधानता: नयी कविता में व्यक्तिगत जीवन की आशा-निराशा, सुख-दुःख के साथ अहं को भी विशेष स्थान दिया गया है ।
7. व्यंग्य: नयी कविता के कवियों ने मानव जीवन की विसंगतियों, विकृतियों एवं अनैतिकतावादी मान्यताओं पर व्यंग्यपूर्ण कविताएं लिखी हैं ।
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8. नूतन बिम्बों का प्रयोग: नयी कविता के कवियों ने अपनी रचनाओं की अभिव्यक्ति के लिए नूतन बिम्बों का प्रयोग किया है । बिम्बों से तात्पर्य है: किसी विषयवस्तु या भावों का ऐसा वर्णन कि आंखों के सामने चित्र-सा उपस्थित हो जाये । बिम्ब कई प्रकार के होते हैं: व्यक्ति बिम्ब, घ्राण बिम्ब, शब्द बिम्ब, भाव बिम्ब आदि । बिम्ब विधान का एक उदाहरण प्रस्तुत है:
”कल की नुमाईश में मुझे चिथड़े पहने हुए सा मिला ।
पूछा नाम तो बोला-हिन्दुरतान हूं मैं ।”
इस प्रकार नयी कविता, नये प्रयोगों, नये मूल्यों के साथ हिन्दी साहित्य में विशेष स्थान रखती है ।
नयी कविता के कवि:
1. धर्मवीर भारती – कनुप्रिया, ठण्डा लोहा ।
2. रघुवीर सहाय – आत्महत्या के विरुद्ध, हंसो जल्दी हंसो ।
3. धूमिल – संसद से सड़क तक ।
4. दुष्यन्त कुमार – साये में धूप ।
5. नरेश मेहता – संशय की एक रात, वनपांखी सुनो ।
6. भारत-भूषण अग्रवाल – ओ! प्रस्तुत मन!