मेरा छात्र जीवन । Article on “My Student Life” in Hindi Language!
एक व्यक्ति के जीवन में उसके छात्र जीवन काल का विशेष महत्व है । इसी काल में कोई व्यक्ति आचरण के तौर-तरीके सीखता है, बातचीत का एवं शिष्टाचार सीखता है । विद्यार्थी जीवन वास्तव में सीखने का काल है जब व्यक्ति व्यक्तित्व के सब गुणों में निखार लाने का प्रशिक्षण लेता है ।
शारीरिक योग्यता न केवल मानसिक बल में वृद्धि करती है बल्कि जीवन की आधारभूत संकल्पना एवं शिष्टाचार के नियमों को समझने में भी सहायता करती है । छात्र जीवन काल चारित्रिक मानसिक योग्यता एवं शरीरिक योग्यता को सहीं अर्थों में समझने एवं क्रियान्वित करने का काल है ।
किन्तु कुछ छात्रों के इस अवधि के विषय में भिन्न विचार हैं । उनके अनुसार शिक्षकों की डांट-डपट अभिभावकों का सख्त रवैया ग्रहकार्य पूर्ण करने का दबाव एवं विद्यालय में नियमित उपस्थिति इस जीवानाविधि के सबसे अप्रिय पहलू हैं ।
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वह विद्यालय में बन्धन अनुभव करते है एवं आकाश में विचरते पक्षी की तरह स्वतन्त्र विचरना चाहते हैं । विद्यार्थियों को विद्यालय में शिक्षा ग्रहण की अवधि में सख्त अनुशासन अप्रिय लगता है । ऐसे छात्र अपने विद्यालय के दिनों को कोसते हैं ।
किन्तु मेरा विद्यार्थी जीवन बहुत सुखद रहा है । यह आदर्श जीवन काल था क्योंकि यह हमारे मानस के प्रशिक्षण का काल है । इस अवस्था में जो हमारी बुद्धि पर अंकित हो जाता है वह सदैव प्रभावशाली रहता है चाहे वह अच्छा हो या बुरा ।
विद्यार्थी अवस्था में ही हमारे भीतर अच्छी एवं बुरी आदतें पड़ती हैं । हमारी सोच को उचित एवं तार्किक ढ़ग से निर्णय लेने की आदत बनती है । हम अपना कार्य समय से करना सीखते हैं एवं आज्ञाकारी एवं अनुशासित बनते हैं ।
अध्यापकों एवं बड़ों का सम्मान करने में मुझे पूर्ण विश्वास है । मैं सदैव अपने अध्यापकों एवं अरि अभिभावकों का कहना मानता हूँ । यह अभ्यास भी विद्यार्थी-जीवन काल की देन है । विद्यालय में ही खेलों में मेरी रूचि जागृत हुई । इसी अवधि में मैने नाटकों वाद-विवाद प्रतियोगिताओं एवं अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेना प्रारम्भ किया ।
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आज मैं एक अच्छा वक्ता धावक एवं खिलाड़ी हूँ । इसके अतिरिक्त मैं शिक्षा के क्षेत्र में भी उच्च स्तर पर स्थित हूँ । हर क्षेत्र में मेरे द्वारा अच्छा प्रर्दशन करने के कारण मैं अपने शिक्षकों एवं मित्रों का प्रिय पात्र बन गया हूँ । मेरे अध्यापक मेरा अत्यधिक उत्साह वर्धन करते हैं एवं मेरी हर सम्भव सहायता करते हैं ।
मैं अध्यापकों एवं प्रिंसिपल साहब की दृष्टि में एक अच्छा विद्यार्थी हूँ । मैंने परीक्षाओं खेलकूद वादविवाद प्रतियोगिताओं एवं नाटकों में अपने अच्छे प्रर्दशन के लिये बहुत से पदक विजयपत्र ट्राफी शील्ड एवं प्रमाण पत्र प्राप्त किये हैं । विद्यार्थियों की बुद्धि एक फोटो प्लेट की तरह होती है ।
उस पर जो भी छाप छोड़ी जाती है वह ही उनके द्वारा प्रतिधारित कर ली जाती है । उच्च आदर्श जैसे मातृभूमि के लिये प्रेम कृतर्व्व बोध बड़ों की आज्ञापालन की प्रवृति राष्ट्र सेवा गरीब दरिद्र एवं लाचारों की सहायता रोगियों की सेवा सूश्रा एवं क्षुधित को खाना खिलाना इत्यादि विचार विद्यार्थियों में उनके विद्यालयों के दिनों में ही मन में बैठ जाते हैं ।
स्पष्ट रूप से कहूँ तो विद्यार्थी जीवनावधि केवल पुस्तकें पढ़ने ज्ञान अर्जित करने एवं खेलने के लिये नहीं है बल्कि यह वो कालावधि है जिसके दौरान सभी अच्छी आदतें हाली जाती है, बुरी आदतें दू, की जाती हैं एवं अच्छे स्वभाव ? ईमानदारी एवं अच्छी सोच का विकास होता है ।
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इसके अतिरिक्त देशभक्ति एवं राष्ट्रीयता जैसे स्वस्थ विचार भी विद्यार्थियों द्वारा इसी कालावधि में हृदयगम किये जाते हैं । मेरे विद्यार्थी जीवन काल द्वारा मेरे लिये ऐसी नींव का निर्माण किया जाना चाहिये जिस पर मेरे जीवन की ईमारत का निर्माण हो सके । मेरी गलतियां एवं असफलतायें भविष्य में मेरा पथ प्रर्दशन करेंगी ।
मैं असफलताओं से हतोत्साहित एवं हताश नहीं होता क्योंकि मेरे अनुसार असफलतायें ही सफलता का पथ प्रशस्त करती हैं । मेरा विद्यार्थी जीवन मेरे लिये एक अच्छा एवं सुन्दर अनुभव है जो मेरे लिये बहुत मूल्यवान है क्योंकि अनुभव ही वास्तविक शिक्षक हैं । मैं अपने विद्यालय के दिनों को सदैव प्रेम करता रहूँगा ।