मेरा परिवार पर अनुच्छेद । Article on My Family in Hindi Language!
मेरा परिवार मध्यमवर्गीय है जिसमें माता पिता दोनों कार्यरत हैं । मेरे दादा दादी भी हमारे साथ रहते हैं । मेरे दादाजी सेना से सेवानिवृत हुये थे । उन्हें अब कुछ पेंशन भी मिलती है । वह दिनचर्या के विषय में बहुत कठोर हैं एवं सभी को सुबह 5.30 बजे उठा देते हैं ।
हम सब बच्चों को सुबह छ: बजे तक तैयार होना होता है । वह प्रशिक्षण केन्द्र के रंगरुटों की तरह हमसे व्यवहार करते हैं । अगर तुम्हें भी मेरे घर आना हो तो अच्छे से तैयार हो कर आना होगा । मेरे माता पिता भी दादाजी के अनुशासन के अनुसार ही चलते हैं । तुम जब मेरे घर आओगे तो बैठक में पैरों को आढ़ तिरछा करके नहीं बैठ सकते ।
यह शिष्टाचार के विपरीत है । मेरी दादी बहुत विनम्र एवं मधुरभाषी है । वह सुबह नाश्ता बनाती हैं एवं तैयार होने में हमारी मदद करती हैं । वह अपनी उम्र के साठ वर्ष पूर्ण कर चुकी हैं किन्तु अब भी वह चुस्त एवं मेहनती हैं । अगर वह न होती तो हमने अपना काम घर के बाहर संचालित न किया होता ।
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वह घर का बहुत ख्याल रखती हैं एवं उसे हमेशा साफ-सुथरा एवं सजा कर रखती हैं । मेरे पिता एक निजी कम्पनी में लेखाकार है । वह रात को भी केलकूलेटर (गणक) अपनी जेब में रखकर ही सोते हैं । वह पूरे परिवार के लिये भी एक लेखा पुस्तिका रखते हैं । जिसमें वह हिसाब बनाये बगैर कभी नहीं सोते ।
जब हम सब टी.वी. देखने में व्यस्त होते हैं तो वह हम सब से प्रतिदिन का खर्चा पूछते हैं । अगर मेरी दादीजी महंगा फल ले आती हैं तो उसको अगले दिन साधारण खर्चा करके सन्तुलित कर लिया जाता है । मेरी माँ दुनिया की सबसे अच्छी महिला हैं । वह हर काम में अपनी टांग नहीं अड़ाती ।
वह एक निजी कम्पनी में स्वागतिक (रिसेप्शानिसट) हैं । उन्हें सुबह बहुत जल्दी उठना पड़ता है । वह सदैव मुस्कूराती रहती है । जब वह घर वापिस आती हैं तो सबके चेहरों पर मुस्कूराहट आ जाती है । मेरा भाई 12वीं कक्षा में पढ़ता है । वह पढ़ने में बहुत अच्छा है ।
किन्तु विद्यालय में पढ़ाई के अतिरिक्त वह किन्ही अन्य कार्यक्रमों में हिस्सा नहीं लेता । उसका दिमाग सदैव पढ़ाई की किताबों में ही घूमता रहता है । मैं अपने परिवार में सबसे छोटा हूँ । हालांकि मैं दसवीं कक्षा में पढ़ता हूँ किन्तु सभी मुझसे एक बच्चे का सा व्यवहार करते है । कोई भी मेरा पूरा नाम नहीं लेता । सब मुझे ‘छोटू’ कह कर बुलाते हैं ।
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मुझे बहुत अजीब लगता है जब मेरे मित्रों के सामने मेरे परिवार के लोग मुझे ‘छोटू’ कहते हैं । मेरे मित्र भी अब मुझे घर के नाम से ही बुलाने लगे हैं । इस समस्या का कोई हल नहीं निकल सकता क्योंकि सब के मुँह पर यही नाम चढ़ गया है । हमारा एक खुशहाल सुखी परिवार है । मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि वह अपनी कृपा बनाये रखे ताकि हम और उन्नति करें ।