मुंशी प्रेमचन्द । Article on “Munshi Premchand” in Hindi Language!
मेरा प्रिय हिन्दी लेखक, उपन्यासकारों का सम्राट कहलाये जाने वाले प्रेमचन्द हैं । 31 जुलाई, 1880 को प्रेमचन्द का जन्म एक निर्धन कायस्थ परिवार में हुआ था । इनके पिता का नाम अजायबराय था । वे डाकखाने में निगरानी करते थे । इसी कारण लोग उन्हें मुंशी अजायब लाल कहते थे । इनकी माँ का नाम आनन्दी था । सात वर्ष की आयु में ही प्रेमचन्द के सिर से माँ का साया उठ गया था ।
कुछ वर्ष बाद प्रेमचन्द के पिता ने दूसरी शादी कर ली । गरीबी और सौतेली माँ का निष्ठुर व्यवहार से प्रेमचन्द काफी आहत रहा करते थे । उनकी सौतेली माँ उन्हें बात-बात पर डांटती रहती थी । उस समय बाल विवाह की प्रथा प्रचलित थी । इसलिए प्रेमचन्द का विवाह भी पन्द्रह वर्ष की आयु में हो गया ।
विवाह के कुछ दिनों बाद ही इनके पिता का निधन हो गया । इस कारण घर गृहस्थी का भार छोटी सी ही उम्र में मुंशी प्रेमचन्द को उठाना पड़ा । इस वजह से इनका बचपन बहुत कष्ट में बीता । साहस, परिश्रम तथा कष्टों के बीच इन्होंने अपनी पढ़ाई के बीच गरीबी आड़े नहीं आने दी । जैसे-तैसे इन्होंने द्वितीय श्रेणी में मैट्रिक पास की ।
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गणित विषय से प्रेमचन्द दूर भागते थे । इस कारण इंटरमीडिएट की परीक्षा में वे दो बार फेल हुए । इस कारण उन्होंने कुछ समय के लिए पढ़ाई ही छोड़ दी । जब गणित विषय के विकल्प के रूप में दूसरा विषय लेना शुरू हो गया तो इन्होंने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की ।
कुछ समय अध्यापक की नौकरी करने के बाद इन्हें गोरखपुर में स्कूल इंस्पेक्टर की नौकरी मिल गयी । असहयोग आन्दोलन से सहानुभूति रखते हुए तथा देश प्रेम व गांधी जी के विचारों से प्रभावित हो इन्होंने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया । इसके बाद इन्होंने साहित्य सेवा में उतरने का निर्णय लिया और आजीवन साहित्य सेवा करते रहे ।
आरम्भ में इन्होंने कहानी लेखन का कार्य शुरू किया । शुरुआती दौर में इन्होंने उर्दू में नवाबराय के नाम से कहानियां लिखी । इनका बचपन का नाम धनपत राय था । हिन्दी का लेखक बनते ही इन्होंने अपना नाम बदलकर प्रेमचन्द कर लिया । इसी नाम से हिन्दी की इन्होंने कई किताबें लिखीं ।
मुंशी प्रेमचन्द ने कई उपन्यास लिखे । इनमें सेवा सदन, निर्मला, गोदान, गबन, कर्मभूमि तथा रंगभूमि आदि प्रमुख हैं । उपन्यास के अलावा इन्होंने कई नाटक भी लिखे । जिनमें कर्बला, संग्राम तथा प्रेम की वेदी प्रमुख हैं । इनकी कहानियों का विशाल संग्रह मानसरोवर के आठ भागों में संग्रहित हैं ।
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इसमें करीब तीन सौ कहानियां हैं । गोदान इनका सर्वश्रेष्ठ उपन्यास है । इन्होंने कुछ साहित्यिक निबन्ध भी लिखे । प्रेमचन्द एक अमर कथाकार हैं । वे युगदृष्टा बनकर सामने आये और उन्होंने अपने देश के लिए देशवासियों के लिए निर्बल तथा असहायों के लिए लिखा ।
मुंशी प्रेमचन्द भारतीयता के अमर नायक है । वे महान उपन्यासकार होने के साथ-साथ साम्यवाद के संदेशवाहक तथा ग्राम्य जीवन के अनूठे चित्रकार थे । उन्होंने अपनी लेखनी से तत्कालीन समाज का सच्चा चित्रण किया । उनकी रचनाओं में देशभक्ति कूट-कूटकर भरी थी ।
अपनी लेखनी से उन्होंने उस समय के समाज में फैली कुरीतियों को अपनी रचनाओं में चित्रित कर उन्हें दूर करने का संदेश दिया । इनकी भाषा सरल व बोलचाल की भाषा थी । अपनी भाषा में इन्होंने उर्दू तथा मुहावरों का अच्छा मिश्रण किया ।