आधुनिककाल । “Modern Era” in Hindi Language!
आधुनिक हिन्दी कविता की मुख्य प्रवृत्तियां (विशेषताएं) 1900 से आज तक:
आधुनिक हिन्दी कविता का प्रारम्भ संवत् 1900 से माना जाता है । इस काल में सामाजिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक दृष्टि से जो परिवर्तन हुए, उनके परिणामस्वरूप हिन्दी साहित्य में नयी चेतना आयी । काव्य में भाषा, भाव तथा शैली की दृष्टि से नवीन-नवीन प्रयोग हुए ।
इसके साथ ही गद्य साहित्य भी लिखा जाने लगा । इस काल में कविता के अतिरिक्त नाटक, एकाकी, कहानी, उपन्यास, निबन्ध के साथ-साथ गद्य की अन्य विधाओं में रेखाचित्र, संस्मरण, आत्मकथा, जीवनी, रिपोर्ताज आदि का लेखन होने लगा । अतएव इसे गद्यकाल के नाम से भी जाना जाता है ।
आधुनिक हिन्दी कविता के विकास कम को निम्नलिखित भागों में बांटा जा सकता है:
हिन्दी कविता का विकास क्रम:
ADVERTISEMENTS:
1. भारतेन्दु युग – 1885 से 1900 तक ।
2. द्विवेदी युग – 1900 से 1920 तक ।
3. छायावादी युग – 1920 से 1943 तक ।
4. प्रयोगवादी युग – 1943 से 1950 तक ।
ADVERTISEMENTS:
5. नयी कविता – 1950 से आज तक ।
आधुनिक हिन्दी कविता की प्रमुख विशेषताएं:
आधुनिक हिन्दी कविता की प्रमुख विशेषताएं निम्न बिन्दुओं में इस प्रकार हैं:
1. यथार्थ की प्रधानता: आधुनिक काल के कवियों ने मानव जीवन की समस्याओं और कुरूपता का अत्यन्त यथार्थता के साथ चित्रण किया है । उदाहरणार्थ-सड़े पूरे की गोबर की बदबू से दबकर, महक जिन्दगी के गुलाब की मर जाती है ।
2. देशप्रेम (स्वदेश प्रेम) की भावना: आधुनिक काल के कवियों ने अपनी कविताओं में देश के प्राचीन गौरव और संस्कृति का वर्णन किया है, वहीं पराधीनता के कुचल में फंसे भारतीयों के राष्ट्रप्रेम की भावना का चित्रण भी किया है ।
ADVERTISEMENTS:
3. विभिन्न वादों का विकास: आधुनिक हिन्दी कविता में छायावाद, प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, अभिव्यंजनावाद, स्वच्छन्दतावाद, हालावाद, नयी कविता का उदय हुआ ।
4. खड़ी बोली का प्रयोग: आधुनिक युग की कविताओं में खड़ी बोली हिन्दी का प्रयोग हुआ । भारतेन्दु युग में ब्रजभाषा के प्रयोग के साथ-साथ खड़ी बोली का प्रारम्भिक रूप मिलता है ।
5. विविध शैलियों का प्रयोग: आधुनिक हिन्दी कविता में प्रबन्ध काव्य और मुक्तक काव्य शैली के साथ-साथ विभिन्न शैलियों का प्रयोग हुआ है ।
6. सामाजिक चेतना की भावना: इस युग के कवियों ने समाज में व्याप्त छुआछूत (जाति प्रथा), बाल विवाह, अन्धविश्वास, रूढ़िवादिता जैसी कुरीतियों के प्रति अपना आक्रोश अपनी रचनाओं में व्यक्त किया है ।
7. प्रकृति चित्रण: आधुनिक युग की कविताओं में प्रकृति की मनोरम छवियों का सुन्दर चित्रण मिलता है । इस युग के कवियों ने प्रकृति का मानवीकरण रूप में विशेष प्रयोग किया है ।
8. सामाजिक समानता की भावना: आधुनिक युग के कवियों ने आर्थिक एवं सामाजिक दृष्टि से समानता की भावना पर विशेष बल दिया है ।
9. अहम की भावना: आधुनिक हिन्दी कवियों ने मानव मन की, हृदय की अहममयी भावना का अत्यन्त मनोवैज्ञानिक चित्रण किया है ।
10. वैचित्र्य प्रदर्शन: आधुनिक हिन्दी कवियों ने अपनी कविताओं में नवीन प्रतीकों एवं उपमानों के माध्यम से विचित्र भावनाओं का भी प्रदर्शन किया है । उदाहरणार्थ-अगर मैं कहीं तोता होता । तो क्या होता ? तो क्या होता ? तोता होता ।
11. मुक्त छन्द का प्रयोग: आधुनिक हिन्दी कवियों ने कविता को छन्दों के बन्धन से मुक्त कर, एक नवीन प्रयोग प्रारम्भ किया । इसके पूर्व कविताएं छन्दों में ही लिखी जाती थीं ।
12. नवीन उपमानों का प्रयोग: आधुनिक कवियों ने कविता में प्रयोग होने वाले परम्परागत उपमानों का प्रयोग. नहीं किया, उसके स्थान पर नवीन उपमानों का प्रयोग किया । जैसे-प्रेम की असफलता के लिए:
प्यार का बत्व पयूज हो गया । चिऊंगम सी मुहब्बत फीकी-फीकी ।
13. शोषकों के प्रति विद्रोह और शोषितों के प्रति सहानुभूति: आधुनिक हिन्दी कवियों ने मजदूरों किसानों और समाज के दलित वर्गों के प्रति होने वाले शोषण के प्रति आक्रोश एवं विद्रोह का भाव व्यक्त किया है तथा पूंजीपतियों के द्वारा किये जाने वाले शोषण को समाप्त करने हेतु क्रान्ति का भाव भी व्यक्त किया है ।
14. मनोवैज्ञानिक चित्रण: आधुनिक हिन्दी कवियों ने मानव मन के साथ-साथ स्त्री एव पुराष की दमित यौन भावनाओं का अत्यन्त मनोवैज्ञानिक चित्रण किया है ।
15. प्रतीकों का प्रयोग: आधुनिक हिन्दी कवियों ने कविताओं में अपनी बात को सीधे-सादे ढंग से न कहकर प्रतीकों के माध्यम से कहा है । इस प्रकार आधुनिक हिन्दी कविता भारतेन्दु युग से लेकर द्विवेदी युग, छायावादी युग, प्रगतिवादी, नयी कविता की धारा से होते हुए नवगीत की नूतन काव्य धारा की ओर निरन्तर बढ़ रही है और नूतन प्रयोगों के साथ अपनी विशेषताओं के साथ आज भी चल रही है ।