करवा चौथ । “Karvachauth” in Hindi Language!
1. प्रस्तावना ।
2. करवा चौथ का महत्त्व एवं कथा ।
3. उपसंहार ।
1. प्रस्तावना:
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भारतीय संस्कृति में व्रत, उत्सव, पर्व का विशेष महत्त्व है; क्योंकि ये हमारे सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन के विभिन्न अंग हैं । मनुष्य जब असफल, निराश हो जाता है, तो ईश्वर की आराधना करने लगता है और व्रत धारण करता है ।
हमारे भारतीय व्रतों में प्रत्येक का अपना एक अलग व विशिष्ट महत्त्व है । उसके विधि-विधान हैं, जो दुःखों से मुक्ति एवं शान्ति का मार्ग ढूंढते हैं, जो हमारे पर्व एवं तिथियों में निहित हैं । सौभाग्य की कामना के लिए भारतीय स्त्रियां करवा चौथ रखती हैं ।
2. करवा चौथ का महत्त्व एवं कथा:
करवा चौथ का व्रत कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को रखा जाता है । स्त्रियां अपने सुहाग की लम्बी उम्र की कामना करती है । एक पौराणिक कथा के अनुसार-प्राचीनकाल में एक धर्मपरायण ब्राह्मण के सात पुत्र व एक पुत्री थी ।
विवाह योग्य होने पर पुत्री का विवाह किया गया । उसने करवा चौथ का व्रत रखा था, किन्तु उसे चन्द्रोदय से पहले भूख सताने लगी । जब उसके सातों भाइयों ने अपनी बहिन के इस कष्ट को देखा, तो उससे कह दिया ”देखो ! पीपल की आड़ में चन्द्र उदित हो गया । तुम अघर्य देकर भोजन कर लो ।”
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बहिन के भोजन करते ही उसका पति मृत्यु को प्राप्त हुआ । दैवयोग, से वहां से इन्द्राणी जा रही थीं । पति वियोग में डूबी पत्नी को देखकर इन्द्राणी ने उसे बताया कि तुमने तो चन्द्रोदय से पहले ही व्रत तोड़ दिया है ।
अत: तुम्हारा पति मृत्यु को प्राप्त हुआ । तुम अपने मृत पति की सेवा करते हुए बारह महीने का व्रत प्रत्येक चौथ में करो । व्रत पूरा होते ही उसका मृत पति जीवित हो गया । इस दिन स्त्रियां गणेश व चन्द्रमा का दर्शन करके उन्हें अघर्य देती हैं । तत्पश्चात अन्न-जल ग्रहण करती हैं । पूजा के बाद तांबे या मिट्टी के करवे में चावल, उड़द दाल, सुहाग की सामग्री भरकर सासुजी के चरण छूकर करवा दान करती हैं ।
3. उपसंहार:
पति की मंगलकामना, उसके दीर्घायु होने की कामना सहित यह व्रत अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है । भारतीय संस्कृति में महिलाएं पति में परमेश्वर का रूप देखती हैं । अत: सौभाग्य में वृद्धि करने की दृष्टि से यह व्रत अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है ।
इस व्रत को रखकर सुहागिनें अपने पति के प्रति अनुराग को व्यक्त करती हैं । सौभाग्य सिन्दूर के दीर्घायु रहने की कामना से रखा जाने वाला यह कठोर व्रत है । हमारे देश की सुहागिन महिलाएं इसे पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी से पूरा करती हैं । वैसे इस व्रत को फिल्मों की वजह से कुछ अधिक महत्त्व मिला है ।