यदि मैं स्वास्थ्य मन्त्री होता । “If I were the Health Minister” in Hindi Language!
उत्तम स्वास्थ्य ही मनुष्य जीवन का आधार है । यह सत्य है कि जब तक कोई राष्ट्र पूरी तरह से स्वस्थ नहीं होगा, अर्थात् उस राष्ट्र के नागरिकों का स्वास्थ्य उत्तम कोटि का नहीं होगा, तो वह राष्ट्र किसी भी क्षेत्र में प्रगति नहीं कर सकता ।
वैसे देखा जाये, तो राष्ट्र के समूचे नागरिकों का स्वास्थ्य पूरी तरह से ठीक हो, ऐसा तो सम्भव नहीं है, तथापि यदि मैं स्वास्थ्य मन्त्री होता, तो इस दायित्वपूर्ण पद पर रहते हुए, राष्ट्र के नागरिकों के उत्तम स्वास्थ्य हेतु प्रयत्नशील रहता ।
हमारे देश की अधिकांश जनता गांवों में ही निवास करती है । गांवों में स्वास्थ्य सुविधाओं की सबसे अधिक आवश्यकता होती है । शहर से दूरी होने के कारण रोगी को तुरन्त उपचार नहीं मिल पाता ।
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ऐसी स्थिति में उसके प्राणों पर संकट आ पड़ता है । दवा तथा उपचार तत्काल उपलब्ध न हो पाने की स्थिति में किसी भी रोगी के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है । ऐसी स्थिति में गांव में विशेष रूप से चिकित्सालयों, चिकित्सकों की नियुक्ति अनिवार्य करवाता ।
नर्स, डॉक्टर, दवाई, छोटे-मोटे ऑपरेशनों की व्यवस्था प्रत्येक गांव में अनिवार्य रूप से करता । गांव में रहने वाले चिकित्सकों को शहरी चिकित्सकों की तुलना में वेतन तथा अन्य प्रकार की सुविधाएं विशेष रूप से देता ।
साथ ही उनके गांवों में रहने की अनिवार्यता के नियम का कड़ाई से पालन करवाता, अन्यथा यह पाया जाता है कि डॉक्टरों की नियुक्ति गांवों में तो हो जाती है, किन्तु वे वहां न रहकर शहरों में रहते हैं । बीच-बीच में एकाध बार गांव जाकर अपने चिकित्सा सम्बन्धी दायित्व का निर्वाह कर, अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लेते हैं ।
उन्हें किसी बात का भय नहीं होता । ऐसे कर्तव्यविहीन चिकित्सकों, कर्मचारियों के लिए मैं कठोर दण्ड की व्यवस्था करता, ताकि वे किसी मरीज के स्वास्थ्य से न खेलें । चिकित्सा के पेशे से जुड़े हुए कर्मचारियों का यह धर्म ही नहीं, अपितु नैतिक दायित्व है कि वे रोगी के उपचार को सर्वोपरि समझें । एक स्वास्थ्य मन्त्री के पद पर रहते हुए मैं राष्ट्र के बच्चों के लिए उत्तम पोषक आहार उपलब्ध करवाता ।
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गांवों तथा शहरों में पढ़ रहे, विशेषत: निम्न आर्थिक स्तर पर जीने वाले बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ उत्तम आहार के अवसर सुलभ करवाता । आगनबाड़ी केन्द्रों द्वारा मध्याह भोजन की व्यवस्था के अन्तर्गत जो भी पोषक आहार सुलभ कराये जाते हैं, उनकी गुणवत्ता में व्यापक सुधार लाता ।
ऐसे केन्द्रों पर निगरानी के लिए अधिकारियों की नियुक्ति करवाता । कार्य के प्रति लापरवाह अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर कठोर कार्रवाई करता, ताकि वे अपने कर्तव्य का भलीभांति पालन कर सकें । राष्ट्र के नागरिकों को सभी प्रकार की बीमारियों से सचेत करने, उन पर नियन्त्रण रखने हेतु जागृति अभियान पूरे राष्ट्र में समय-समय पर संचालित करता, ताकि समय रहते बीमारियों पर नियन्त्रण रखा जा सके ।
बाढ़, भूकम्प, महामारी के समय राष्ट्रीय आपदा की स्थिति में पीड़ित नागरिकों के स्वास्थ्य हेतु विशेष रूप से सतर्क रहता । विश्व स्वास्थ्य संगठन से मिलने वाली हर प्रकार की सहायता, राष्ट्र के निवासियों को प्रदान करता ।
स्वास्थ्य सम्बन्धी केन्द्रों में जितने भी उपकरण एवं सुविधाएं उपलब्ध हो सकती हैं, उस दिशा में अपने पद पर रहते हुए पूरी ईमानदारी से कार्य करता । भ्रष्टाचार में लिप्त किसी भी कर्मचारी या अधिकारी को बिना किसी कठोर कार्रवाई के मुक्त नहीं करता । स्वस्थ राष्ट्र सबल राष्ट्र । ”स्वास्थ्य ही सुख-समृद्धि तथा जीवन का आधार है ।” इस मूलमन्त्र को समस्त नागरिकों तक पहुंचने की मैं कोशिश करता ।