Read this article in Hindi language to learn about the importance of saving in an individual’s life.
बचत का अर्थ व परिभाषा (Meaning and Definition of Saving):
”आय का वह अंश जो भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये एकत्र किया जाता है तथा उसको उत्पादक कार्यों में लगाया जाता है ‘बचत’ कहलाता है ।” मनुष्य की आवश्यकताएँ असीमित होती हैं तथा वह जीवनभर अपने आर्थिक प्रयासों द्वारा इनकी सन्तुष्टि में लगा रहता है ।
अपने द्वारा अर्जित धन को अनिवार्य, आरामदायक तथा विलासिता की पूर्ति के लिये व्यय करता है । इस व्यय के पश्चात् जो धनराशि शेष बच जाती है, उसे बचत कहते हैं । यह धनराशि भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के काम आती है ।
यदि आय से बचाए गए धन को विनियोजित न किया गया तो उसे धन संचय कहेंगे, वह बचत नहीं कहलाएगी । अर्थशास्त्रियों के अनुसार, इससे मूलधन में कोई वृद्धि नहीं होती । इसको खर्च भी सरलता से किया जा सकता है ।
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वर्गीज ओगेल व श्रीनिवास के अनुसार, बचत को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है: ”भविष्य में खर्च के उद्देश्य से वर्तमान व्यय में कटौती करने के फलस्वरूप शेष धनराशि को बचत कह सकते हैं ।” वर्मा व देश पाण्डे के अनुसार, ”बचत मनुष्य की आय का वह भाग है जो वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति में उपयोग नहीं किया जाता वरन् भविष्य के उपयोग के लिये जान-बूझकर अलग से उत्पादक के रूप में रखा जाता है और सम्पत्ति को पूँजी का स्वरूप दिया जाता है ।”
बचत अपने आप नहीं होती अपितु बचत परिवार के सदस्यों द्वारा अपने खर्च को नियन्त्रित करके की जाती है । सभी व्यक्ति व परिवार बचत नहीं कर पाते, केवल वही परिवार या व्यक्ति बचत कर पाते हैं जो कि अपनी आर्थिक योजनाएँ अत्यन्त सावधानी से बनाते हैं तथा वर्तमान में उत्पन्न होने वाली इच्छाओं का त्याग करते हैं ।
बचत योजना व्यावहारिक होनी चाहिए (Savings Plan should be Practical):
बचत अपने आप नहीं होती, परन्तु बचत करने के लिये व्यावहारिक योजना बनानी आवश्यक है । अत: अपनी ‘बचत’ अच्छी तरह संचित होती रहे इसके लिये सावधानीपूर्वक योजना बनानी चाहिये । कोई व्यक्ति चाहे कितना भी उच्च वर्ग का क्यों न हो उसे भी बचत करना आवश्यक होता है ।
प्रत्येक परिवार को बचत का उद्देश्य व लक्ष्य के बारे में पूरी समझ होनी चाहिये । परिवार की बचत योजनाएँ यथार्थवादी व व्यावहारिक होनी चाहिए; जैसे: यदि किसी परिवार की मासिक आय 30,000 रु. हो तो क्या वे अपनी आय से 15,000 रु. प्रति माह बचा सकते हैं ? कदापि नहीं ।
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क्या पूरे परिवार की जरूरतें केवल 15,000/- में पूरी हो पायेंगी कभी नहीं, परन्तु यदि इतनी आय से प्रतिमास 2,000/- की बचत की जाये तो धीरे-धीरे कई महीनों में एक बड़ी धनराशि अपनी आवश्यकता के हिसाब से जमा हो पाती है ।
बचत के लिये एक नियमित योजना बनाइये यदि कोई परिवार चाहे तो भविष्य के लिये एक बड़ी राशि एकत्रित हो जाये । इसके लिये उस परिवार को कई वर्षों तक प्रतिमाह नियमित रूप से बचत करनी चाहिए ।
बचत का एक निश्चित उद्देश्य बनाना चाहिये-मन में यदि उद्देश्य रखकर बचत की जाये; जैसे: घर खरीदना, बच्चों की पढ़ाई, कार खरीदना, बच्चों की शादी करना आदि, तो बचत करना अत्यन्त आसान होता है ।
बचत की आवश्यकता (Need of Savings):
कोई भी परिवार चाहे जिस वर्ग का हो उसको कुछ न कुछ धन अवश्य बचाना चाहिये । ‘बचत’ क्यों करनी चाहिये, इसके कई कारण है । इसमें से कुछ कारण ऐसे होते हैं जिन्हें हम अच्छी तरह जानते हैं परन्तु कुछ ऐसे कारण हैं जिनसे हम अनजान हैं नथा ये अचानक ही आ जाते हैं । बचत के कुछ उचित उद्देश्यों की जानकारी के बाद ही बचत की जा सकती है ।
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ये उद्देश्य निम्न प्रकार हैं:
(1) सुरक्षित भविष्य के लिये:
पूरे जीवन नौकरी करने के पश्चात् व्यक्ति सेवानिवृत्त हो जाता है तथा उसे पेंशन मिलती है जो व्यक्ति की मासिक तनख्वाह की तुलना में कम होती है । परन्तु परिवार के खर्चे करीब-करीब वही रहते हैं । नौकरी के समय में की गई बचत इस समय अभाव को पूरा करने में मदद करती है ।
व्यक्ति बचत के सहारे अधिक आराम से जीवनयापन कर सकता है । इस प्रकार के आराम का अहसास उन लोगों को अधिक होता है, जो इस प्रकार की नौकरी या काम से सेवानिवृत्त हुए हैं जहाँ पेंशन नहीं मिलती तथा आय शून्य हो जाती है ।
(2) आपातकाल में आर्थिक सुरक्षा:
मनुष्य को जीवन में अनेक बार आर्थिक संकट के दौर से गुजरना पड़ सकता है; जैसे: नौकरी छूट जाना, नौकरी से अचानक अवकाश ग्रहण करना, दिवाला निकल जाना, ऐसी स्थिति में दुकान या व्यापार बन्द हो जाता है ।
व्यापार में घाटा हो सकता है, परिवार के मुखिया की अचानक मौत हो जाती है या वह गम्भीर रूप से बीमार हो बकता है । इन परिस्थितियों में परिवार को आर्थिक संकट से गुजरना पड़ता है । इस समय बचत ही एक मात्र सहारा है । यदि बचत न हो तो परिवार को ऋण लेना पड़ता है जोकि आसानी से प्राप्त नहीं होता । अत: स्पष्ट होता है कि बचत आपातकाल में आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है ।
(3) पारिवारिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिये:
परिवार की किसी इच्छा को पूरा करने के लिये बचत अनिवार्य है । ऐसी कुछ इच्छाएँ या जरूरतें इस प्रकार की हो सकती हैं; जैसे: त्योहार पर नये कपड़े सिलवाना, घर के पर्दे बदलना, घर खरीदना, इतर खरीदना या व्यापार को बढ़ाना, खेती के लिये हैक्टर खरीदना । इसमें प्रथम दो कार्य अत्यन्त आसानी से किये जा सकते हैं परन्तु घर, कार, व्यापार बढ़ाने या हैक्टर खरीदने के लिए धीरे-धीरे कई वर्षों तक बचत करनी आवश्यक है ।
(4) वृद्धावस्था में आर्थिक संरक्षण:
हमारे देश में अवकाश ग्रहण करने की आयु 58-62 वर्ष के बीच होती है । इस अवस्था में बच्चों के अपने घर बस जाते हैं । केवल पति-पत्नी ही रह जाते हैं । परन्तु इस समय में शरीर की देखभाल की आवश्यकताएं युवावस्था से अधिक होती हैं ।
इस समय स्वास्थ्य व चिकित्सा पर होने वाला व्यय बढ़ जाता है । इस प्रकार पहले से बचत किया गया पैसा ही इस समय काम में आता है । अत: बचत वृद्धावस्था में आर्थिक संरक्षण प्रदान करती है । यहाँ पर सिद्ध होता है कि सेवानिवृत्ति/वृद्धावस्था होने पर परिवार के जीवन-स्तर पर दबाव नहीं पड़ता है ।
(5) परिवार के रहन-सहन के स्तर को बढ़ाने के लिये:
यह तो स्वाभाविक ही है कि प्रत्येक परिवार अच्छे-से-अच्छा जीवन-स्तर की आशा करता है तथा अपने घरों में अधिक-से-अधिक और अच्छी चीजों की इच्छा रखते हैं । आधुनिक युग में गृह कार्य करने के अनेक उपकरण बाजार में आ गये हैं जिनसे परिवार का कार्य अत्यन्त आसानी से किया जा सकता है ।
ये सभी उपकरण, जैसे-वाशिंग मशीन, वैक्यूम क्लीनर, टेलीविजन, कम्प्यूटर, टेबलेट, मोबाइल आदि अत्यन्त महँगे होते हैं, परन्तु प्रत्येक महीने की आय से इन्हें खरीदना कठिन होता है । इनके लिये बचत करना अति आवश्यक है ।
आजकल अनेक स्कीम आ गई हैं जिनके द्वारा प्रतिमाह किस्त देकर शीघ्र उपकरण खरीदा जा सकता है । इसमें पैसा अधिक देना पड़ता है, परन्तु उपकरणों का लाभ परिवार को अति शीघ्र ही मिल जाता है ।
(6) भविष्य में होने वाली आवश्यकताओं की पूर्ति:
जीवन में कब किस वस्तु की आवश्यकता पड़ जाय, यह कोई भी नहीं कह सकता; जैसे: बेटी का विवाह, बेटे की उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाना, बेटे को व्यापार करना, परिवार में कोई आकस्मिक दुर्घटना आदि ।
इन सभी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये काफी मात्रा में धन की आवश्यकता होती है । इसी प्रकार अपने रहन-सहन को ऊँचा उठाने के लिये, नया घर बनवाना, कार खरीदना आदि के लिये बड़ी मात्रा में धन की आवश्यकता पड़ सकती है । अत: यदि पहले से बचत की गई है तो इस समय विशेष रूप से यह सहायक होती है ।
(7) स्वरोजगार:
कभी-कभी परिवार के सदस्य कोई छोटा-मोटा उद्योग या व्यापार शुरू करना चाहते हैं, इसके लिये उनको काफी धन की आवश्यकता होती है । यदि पहले से बचत की गई है, तो यह जमा राशि इस समय मदद कर सकती है ।
(8) आर्थिक आय का साधन:
बचत की राशि को विभिन्न लाभप्रद योजनाओं; जैसे-जीवन बीमा, यूनिट ट्रस्ट, राष्ट्रीय बचत योजना, डाकघर, बीमा योजना, इन्दिरा विकास पत्र तथा शेयर चिटफण्ड, म्यूचुअल फण्ड में लगाकर एक स्थायी पूरक आय का साधन बनाया जा सकता है ।
(9) सामाजिक:
आर्थिक स्तर को ऊँचा उठाना-बचत की गई धनराशि से परिवार अपना सामाजिक-आर्थिक स्तर ऊँचा उठा सकता है ।
(10) मनोवैज्ञानिक निश्चिन्तता:
यदि परिवार में अच्छी मात्रा में बचत है तो उसके मुखिया को एक प्रकार की मनोवैज्ञानिक निश्चिन्तता रहती है । वह किसी भी प्रकार की स्थिति से निपटने के लिये तैयार रहता है । इसके स्थान पर धन के अभाव में व्यक्ति हीनता से ग्रस्त रहता है ।
(11) राष्ट्रीय विकास में योगदान:
परिवार की बचत का उचित रूप से विनियोजन करने से देश की बड़ी-बड़ी योजनाओं को सफल बनाने में अच्छा योगदान मिल सकता है । इससे राष्ट्रीय विकास होता है । यह बचत परिवार व राष्ट्र के कल्याण में भी योगदान देती है ।
बचत से लाभ (Benefits of Saving):
बचत करना अत्यन्त आवश्यक है क्योंकि इससे निम्न लाभ होते हैं:
i. अधिक व पूरक धन अर्जित करने के लिये ।
ii. जीवन स्तर ऊँचा रखने के लिए ।
iii. आपातकालीन स्थितियों का सामना करने के लिये ।
iv. नौकरी से निवृत्ति या वृद्धावस्था में सुखद जीवनयापन करने में ।
v. परिवार की अनेक आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिये ।
बचत किस प्रकार परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ति करती है (How Savings Fulfilling Family’s Needs):
नवविवाहित दम्पत्ति शुरू-शुरू में ऐश-आराम व मनोरंजन से परिपूर्ण जीवनयापन करते हैं । अपनी आय का अधिकांश भाग घूमने-फिरने, बाहर खाना खाने, सुन्दर वस्त्र पहने आदि में खर्च करते हैं । परन्तु समय के साथ-साथ परिवार की आवश्यकताएँ भी परिवर्तित होती रहती हैं । कुछ समय के पश्चात् परिवार बढ़ता है तथा परिवार में बच्चे आते हैं, जिनके लालन-पालन में काफी धन व्यय होता है ।
इसके अतिरिक्त बच्चों की शिक्षा-दीक्षा व विवाह आदि संस्कारों में भी अधिक धन खर्च होता है । यदि उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजना है तो उसमें भी अधिक धन व्यय होता है । अत: इन सभी के लिये बहुत अधिक धन की आवश्यकता होती है । यह धन तभी प्राप्त हो सकता है, जब लम्बी अवधि तक धन की लगातार बचत की जाये ।
(1) जीवन स्तर को बनाये रखने के लिये बचत की आवश्यकता (Maintaining the Standard of Living):
परिवार के सदस्यों को अच्छा जीवन-स्तर देने के लिए नाना प्रकार के आधुनिक उपकरणों की आवश्यकता होती है । प्रत्येक व्यक्ति चहता है कि उसका व उसके परिवार का जीवन-स्तर ऊंचा रहे । जीवन-स्तर का मापन कुछ वस्तुओं से होता है; जैसे-अच्छा घर, कार, कम्प्यूटर, एअर कंडीशनर, वाशिंग मशीन आदि नाना प्रकार के उपकरण ।
परन्तु सीमित आय से रोजमर्रा की जरूरतें ही दरी हो पाती हैं तथा सीमित आय से ये वस्तुएँ खरीदना अत्यन्त कठिन है । परन्तु यदि लगातार बचत की जाय तो उस बचत से ये वस्तुएँ आसानी से खरीदी जा सकती हैं और इस प्रकार परिवार का जीवन स्तर ऊंचा किया जा सकता है ।
(2) आपातकालीन स्थितियों के लिये बचत की आवश्यकता (Meeting Emergencies Needs):
(i) आपातकालीन स्थितियाँ अचानक या आकस्मिक ही आ जाती हैं । इसमें परिवार का काफी समय से बचत किया हुआ धन सीघ्र ही समाप्त हो जाता है ।
(ii) यदि किसी परिवार में बचत बिल्कुल भी न हो तो मुसीबत के समय पैसा उधार भी नहीं मिल सकता है ।
(iii) कुछ दुर्घटनाएँ; जैसे: सड़क दुर्घटना, प्राकृतिक आपदा, दैहिक असमर्थता जीवन-यापन में बाधाएँ उत्पन्न कर सकती हैं ।
(iv) यदि बचत सम्भव न हो तो ऐसे समय में तथा इन परिस्थितियों में कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है ।
(3) सुरक्षित भविष्य के लिये आवश्यकता (Need for Secure Future):
अपने भविष्य को सुरक्षित रखने के लिये शुरू से ही अधिक परिश्रम करके तथा अधिक धन कमाने की कोशिश करनी चाहिये क्योंकि युवावस्था में कार्य करने की क्षमता अधिक होती है तथा अधिक धन कमाया जा सकता है, परन्तु नौकरी से निवृत्ति तथा वृद्धावस्था में संघर्ष की क्षमता कम हो जाती है ।
इस अवस्था में आमदनी भी कम हो जाती है । अस्थायी नौकरी करने से भी धन और सुरक्षा अधिक नहीं मिलती । अत: इस प्रकार की असुरक्षा के कारण अधिकतर लोग भविष्य को सुरक्षित करने के लिये बचत कर सकते हैं ।
(4) अधिक धन अर्जित करने के लिये बचत की आवश्यकता (Need to Earn More Money):
कुछ व्यक्ति अधिक धन अर्जित करने के लिये भी बचत करते है तथा उसका उपयोग व्यापार बढ़ाने, अधिक सम्पत्ति खरीदने व शेयर में विनियोग करके अधिक से अधिक धन कमा कर बचत कर सकते हैं । व्यक्ति, एक निश्चित समय में जो बचत करता है उसमें विनियोग के द्वारा कुछ समय बाद ब्याज प्राप्त होती है ।
(a) अनिवार्य बचत (Compulsory Saving):
नौकरी करने वाले व्यक्तियों पर सरकार कुछ अनिवार्य बचत योजना लागु करती है । इसके अन्तर्गत अपने वेतन से हर महीने कुछ कटौती करनी पड़ती है,
ये निम्न प्रकार हैं:
(i) भविष्य निधि योजना (Provident Fund Scheme):
इस योजना में सरकारी व अर्द्ध-सरकारी तथा सरकार के नियन्त्रण में चलने वाली स्वशासी सेवाओं में सेवारत स्थायी कर्मचारी के मूल वेतन से उसका दस प्रतिशत (या इसके आस-पास) भाग भविष्य निधि कटौती के रूप में काटा जाता है । इस प्रकार जितना प्रतिशत काटा जाता है उतना ही प्रतिशत रकम सरकार द्वारा और मिलाकर उसे भविष्य निधि खाते में जमा किया जाता है । आवश्यकता पड़ने पर कर्मचारी इस निधि से ऋण प्राप्त कर सकता है ।
(ii) सामूहिक बीमा योजना (Group Insurance Scheme):
इस योजना के अन्तर्गत सरकारी, अर्द्ध-सरकारी एवं सरकार के नियन्त्रणाधीन स्वशासी सेवाओं में नियुक्त कर्मचारियों के वेतन से एक निश्चित रकम मासिक प्रीमियम के रूप में सामूहिक बीमा योजना के अन्तर्गत प्रति माह काट ली जाती है ।
सेवाकाल में ही कर्मचारी की मृत्यु होने पर इस प्रीमियम के आधार पर जीवन बीमा के सभी लाभ उसके उत्तराधिकारी या उसके द्वारा नामांकित व्यक्ति को मिलते हैं । सेवा निवृत्त होने पर सम्पूर्ण सचित्र धनराशि ब्याज सहित लौटा दी जाती है ।
(b) ऐच्छिक बचत (Optional Savings):
प्रत्येक व्यक्ति अपनी आय का कुछ अंश भविष्य के लिये बचाकर रखता है । यह व्यय वह अपनी इच्छा से करता है । इस बचत को वह विभिन्न सरकारी योजनाओं में निवेश कर सकता है ।