Read this essay in Hindi to learn about diarrhea and how it is caused.
अनेक प्रकार के दस्त, जिनमें मल पानी जैसा ढीला होता है और शरीर में खुश्की आती है, संसार भर में फैले हुए हैं । पर खासकर विकासशील देशों में ये अधिक देखे जाते हैं । दुनियाभर में 4 प्रतिशत मौतों का कारण यही है । 5 प्रतिशत मामलों में इससे स्वास्थ्य गिरता है ।
यह जठरांत्री संक्रमण (gastrointestinal infections) से फैलता है जिससे दुनिया में हर साल कोई 22 लाख व्यक्ति मरते हैं । इनमें अधिकांश तो विकासशील देशों के बच्चे होते हैं । गंदे पानी का प्रयोग दस्त का एक महत्वपूर्ण कारण है । यह हैजा और पेचिश आदि रोगों के गंभीर और कभी-कभी जानलेवा, महामारी जैसे रूपों को जन्म देता है ।
स्वास्थ्य पर प्रभाव:
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दस्त का मतलब बार-बार पीला या पानी जैसे मल का आना है और यह विभिन्न जठरांत्री संक्रमणों का लक्षण है । संक्रमण के प्रकार के आधार पर दस्त पनियल हो सकता है (जैसे vibrio cholera से पैदा हैजे में) या (E. histolitica नामक अमीबा से पैदा पेचिश में) यह रक्त और श्लेष्मा के साथ बाहर आता है ।
संक्रमण के प्रकार के आधार पर दस्त कुछ दिनों तक या फिर अनेक सप्ताहों तक जारी रहता है । पनियल दस्त में पानी और सोडियम और पोटैशियम जैसे इलेक्ट्रोलाइटों की भयानक कमी के कारण यह जानलेवा भी हो सकता है । शिशुओं और छोटे बच्चों के लिए यह खासकर घातक होता है ।
यह कुपोषण के शिकार या कम प्रतिरक्षा-शक्ति वाले व्यक्तियों के लिए भी खतरनाक होता है । बार-बार के दस्त का पोषण की स्थिति पर बुरा असर पड़ता है जो बच्चों में एक दुष्चक्र को जन्म देता है । आँतों की रासायनिक या असंक्रामक दशाओं से भी दस्त हो सकता है ।
दस्त के कारण:
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दस्त अनेक जीवाणुओं, विषाणुओं और परजीवियों से पैदा होता है । ये अधिकतर गंदे पानी से फैलते हैं । जहाँ पीने, खाना पकाने और धुलाई के लिए साफ पानी की कमी हो, वहाँ यह अधिक आम है । बुनियादी आरोग्य इसकी रोकथाम का एक महत्त्वपूर्ण पक्ष है ।
एक ग्रामीण जल-स्रोत में मनुष्य के मल से और नगरीय क्षेत्रों में नालियों, सेप्टिक टंकियों और शौचालयों से प्रदूषित जल इन रोगों के प्रसार का एक महत्त्वपूर्ण कारण है । मवेशियों के मल में भी सूक्ष्मजीव होते हैं जो जल के माध्यम से दस्त के कारण बन सकते हैं ।
निजी स्वच्छता में कमी हो तो दस्त एक से दूसरे व्यक्ति को लगता है । अस्वच्छ दशाओं में पकाया या रखा हुआ भोजन दस्त का एक प्रमुख कारण होता है । सिंचाई के दौरान पानी सब्जियों जैसे खाद्य पदार्थों को भी दूषित कर सकता है । प्रदूषित जल से प्राप्त मछलियाँ और अन्य खाद्य पदार्थ भी भयानक दस्त के कारण बन सकते हैं ।
दस्त पैदा करनेवाले छूत के वाहक हमारे वातावरण में ही मौजूद हैं । विकसित देशों में जहाँ काफी सफाई है, अधिकांश जनता को स्वच्छ पेयजल मिलता है । शरीर और घर की अच्छी सफाई विकासशील देशों में प्राय होनेवाले इस रोग को रोकती है । कोई एक अरब जनता को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं है और 2.4 अरब जनता को पेयजल की बुनियादी स्वच्छता प्राप्त नहीं है । दक्षिण-पूर्व एशिया में दस्त 8.5 प्रतिशत मौतों के लिए जिम्मेदार है । अनुमान है कि 1998 में दस्त ने 22 लाख जानें लीं जिनमें से अधिकांश 5 साल से कम के बच्चे थे ।
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हस्तक्षेप: दस्त के रोगियों की संख्या कम करने के बुनियादी उपायों में ये उपाय भी शामिल हैं:
i. सुरक्षित पेयजल की सुलभता ।
ii. सफाई में सुधार ।
iii. शरीर और भोजन की अच्छी देखभाल ।
iv. ये छूतें कैसे फैलती हैं, इस बारे में स्वास्थ्य-शिक्षा ।
दस्त के इलाज के बुनियादी उपायों में ये उपाय शामिल हैं:
i. शरीर में पानी की कमी को रोकने के लिए सामान्य से अधिक मात्रा में लवण और शकरयुक्त द्रव्य पदार्थ देना ।
ii. थोड़े-थोड़े अंतराल पर भोजन करना ।
iii. शरीर में पानी की कमी के लक्षण या अन्य समस्याएँ दिखाई दें तो किसी स्वास्थ्य कार्यकर्ता से संपर्क करना ।
ग्रामीण भारत में पिछले दशक में पोस्टरों और संवाद की दूसरी रणनीतियों के माध्यम से फैली जन-शिक्षा से अनेक राज्यों में दस्त से बच्चों की मृत्यु की संख्या कम हुई है । पानी की कमी से मौत रोकने के लिए पानी, नमक और शकर का घोल पिलाए जा रहे बच्चे का चित्र दिखानेवाले पोस्टरों ने उस गंभीर दशा को काफी कम किया है जिसमें अस्पताल में भरती कराए जाने और सुइयों के जरिए द्रव दिए जाने की जरूरत होती है । साथ ही, मृत्युदर को भी कम किया गया है ।