Read this essay in Hindi language to learn about state of depression found in individuals during adolescence.
निराशा या कुंठा (Depression) मुख्यतया प्रौढ़ावस्था में देखा जाता है परन्तु आजकल बच्चे तथा किशोर भी इस विकार से पीड़ित हैं । किशोर अत्यन्त भावुक होते हैं तथा छोटी-छोटी बातों से तनाव में आ जाते हैं । किशोरावस्था के बाद के चरण में व्यक्ति का वह समय आता है । जब वह अपने जीवन यापन के साधन या कैरियर का चयन करने की आवश्यकता महसूस करता है । आज के युग में कैरियर बनाने के लिये किशोरों को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है ।
इसी समय से ही उसे अपने व्यवसाय का चुनाव करना पड़ता है जिसके लिये उसे तनाव का सामना करना पड़ता है । कभी-कभी अपनी इच्छानुसार कैरियर विकल्प न चुन पाने के कारण किशोर निराशा या कुंठा का शिकार हो जाते हैं ।
निराशा विकार का विस्तार (Prevalence of Depression):
ADVERTISEMENTS:
प्रौढ़ावस्था के साथ-साथ आजकल निराशा व कुंठा किशोरावस्था में भी अधिक विस्तृत हो रही है । परन्तु किशोरावस्था व प्रौढ़ावस्था में होने वाली निराशा में काफी अंतर पाया जाता है । दोनों के प्रस्तुतीकरण, रोग, इलाज तथा उससे होने वाले प्रभाव में अधिक अंतर होता है ।
किशोरावस्था में यह विकार तेजी से बढ़ता देखा जा रहा है जिससे रोग दर तथा मृत्यु दर में बढोत्तरी हो रही है । अध्ययनों से यह ज्ञात होता है कि पिछले दस वर्षों में किशोरों में आत्म हत्या दर 200% हो गया है तथा लगभग 1/3 किशोरों का समुदाय निराशा विकार से मुक्त होने के लिये मनोवैज्ञानिक क्लीनिक में इलाज करवा रहे हैं ।
निराशा विकार के प्रकार (Types of Depression):
किशोरों में होने वाली निराशा को तीन भागों में बाँटा गया है; जैसे:
ADVERTISEMENTS:
(i) हल्की निराशा (Mild)
(ii) मध्यम निराशा (Moderate)
(iii) दीर्घ कालीन निराशा (Severe)
अध्ययनों से ज्ञात होता है कि बाल चिकित्सालय में आने वाले निराशा से पीड़ित किशोरों में इस विकार का मुख्य कारण सामाजिक व मनोवैज्ञानिक दबाब है । इसमें से अधिकांश किशोर गलत आदतों (Substances Abuse) का शिकार हो जाते हैं जिसका दर निरन्तर वृद्धि कर रहा है ।
ADVERTISEMENTS:
ऐसी स्थिति उस समय आती है जब कुंठा या निराशा से पीड़ित स्थिति का उचित इलाज नहीं हो पाता है । निराशा के विपरीत दो अन्य प्रभाव भी देखे गये हैं: किशोरावस्था में गर्भधारण करना तथा आत्महत्या की कोशिश या कर लेना आता है । ऐसा भी देखा गया है कि लगातार निराशा झेलने वाले किशोरों का एकेडिमिक परफॉरमेन्स (Academic Performance) गिर जाता है ।
निराशा के कारण (Causes of Depression):
(i) वंशानुगत,
(ii) नाड़ी व नलिका विहीन ग्रंथियों के विकार,
(iii) हॉरमोन असंतुलन ।
निराशा के लक्षण (Characteristics of Depression):
निराशा विकार के निम्न लक्षण निराशा से पीड़ित किशोरों में देखे जाते हैं:
i. भविष्य के प्रति भय (Anxiety),
ii. अरुचि (phobia),
iii. सोमैटिक कम्प्लेन्ट्स (Somatic complaints),
iv. साइकोसिस (Psychosis), आत्महत्या की कोशिशें (Suicide efforts)
v. संज्ञानात्मक परिपक्वता में कमी आना (Cognitive maturity)
vi. भूख न लगना तथा शारीरिक भार का गिरना,
vii. चिड़चिड़ापन,
viii. उन्हें लगता है कि कोई भी उन्हें प्यार नहीं करता है,
ix. क्रोध,
x. हीन भावना आना,
xi. बड़ों की आज्ञा का उल्लंघन करना,
xii. स्कूल की पढ़ाई-लिखाई पर प्रभाव तथा उसमें कमी आना,
xiii. मित्रों तथा उनकी गतिविधियों में अरुचि,
xiv. दुखी रहना,
xv. असहाय महसूस करना,
xvi. उत्साह में कमी,
xvii. ऊर्जा व कार्य में कमी,
xviii. कभी-कभी अत्यधिक क्रोधित होना,
xix. अपनी आलोचना पर अधिक चिड़चिड़ाना,
xx. असफलता की भावना,
xxi. आत्मविश्वास में कमी आना,
xxii. किसी भी काम को केन्द्रित न पाना,
xxiii. बातों को भूलना,
xxiv. आराम की स्थिति में न होना,
xxv. खाने, सोने व जागने के समय में परिवर्तन,
xxvi. बुरी आदतें पड़ना,
xxvii. हर व्यक्ति से झगड़ा करना,
xxviii. आत्महत्या का विचार आना या करने की काशिश करना ।
इलाज (Treatment):
मनोवैज्ञानिक चिकित्सालय में इलाज करवाना ।