भारतेन्दु युग । “Bharatendu Era” in Hindi Language!
भारतेन्दुयुगीन काव्य की प्रवृत्तियां (विशेषताएं):
भारतेन्दु युग को आधुनिक हिन्दी साहित्य का प्रवेश द्वार माना जाता है । इस युग में हिन्दी साहित्य की प्राय: सभी विधाओं का विकास देखा जा सकता है । रीतिकालीन ब्रजभाषा के स्थान पर खड़ी बोली की प्रतिष्ठा, देश-प्रेम तथा राष्ट्रीय चेतना की भावना इस युग में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है ।
भारतेन्दुयुगीन काव्य की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
1. राष्ट्रीयता की भावना ।
2. सामाजिक चेतना का विकास ।
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3. हास्य व्यंग्य ।
4. समस्या पूर्ति ।
5. अंग्रेजी शिक्षा का विरोध ।
6. विभिन्न काव्य रूपों का प्रयोग ।
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7. काव्यानुवाद की परम्परा ।
8. मुहावरों व लोकोक्तियों का प्रयोग ।
9. अलंकारों का प्रयोग ।
10. छन्दों का प्रयोग ।
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इस प्रकार स्पष्ट है कि भारतेन्दुयुगीन काव्य हिन्दी कविता का आधुनिक काल होते हुए भी एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है ।
भारतेन्दुयुगीन कवि:
1. भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
2. प्रताप नारायण मिश्र
3. ब्रदीनारायण चौधरी प्रेमधन
4. अम्बिका दत्त व्यास
5. श्रीनाथ पाठक