शरद ऋतु । “Autumn Season” in Hindi Language!
1. प्रस्तावना ।
2. शरद का प्रभाव ।
3. शरद ऋतु का महत्त्व ।
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4. उपसंहार ।
1. प्रस्तावना:
जब गरमी के प्रभाव से सारा संसार जलने लगता है, तो उसकी तपन को शान्त कर देती है-वर्षा रानी । जब वर्षा रानी अपने प्रभाव से समस्त संसार को नया जीवन देती है, हरियाली और सम्पन्नता का नया वरदान देकर विदा लेती है, तब शरद ऋतु का आगमन होता है । सभी छह ऋतुओं में शरद ऋतु का प्रभाव प्रकृति में अनुपम रूप से दिखाई पड़ता है ।
2. शरद का प्रभाव:
शरद का आगमन होते ही प्रकृति का रूप अत्यन्त ही निर्मल एवं मनोहारी हो जाता है । निर्मल चन्द्रमा की चांदनी का प्रकाश सारी पृथ्वी में व्याप्त हो जाता है । फिर धरती क्या, आकाश क्या, सभी जगह निर्मल व शीतल चांदनी की आभा दिखाई देने लगती है ।
आकाश से बादलों की कालिमा हट जाती है । स्वच्छ आकाश से निर्मल चन्द्रमा झांकता-सा दिखाई देता है । आकाश में नजर आते असंख्य तारे आकाश में खिले पुष्प की तरह नजर उघते हैं । या फिर ऐसा प्रतीत होता है कि आकाश में अनगिनत मोती बिखरे पड़े हों । रीतिकालीन कवि सेनापतिजी ने शरद ऋतु के प्राकृतिक वैभव एवं सौन्दर्य का वर्णन करते हुए लिखा है कि:
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फूले है कुमुद, फूली मालती सघन वन ।
फूलि रहे तारे, मानो मोती अनगन है ।।
उदित विमल चंद चांदनी छिटकी रही ।
तिमिर हरण भयो सेत है वरन सब ।।
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मानहुं जगत क्षीर सागर में डूबा हुआ है ।
गोस्वामी तुलसीदासजी ने शरद के सौन्दर्य का वर्णन करते हुए रामचरितमानस में लिखा है कि:
वरषा विगत सरद रितु आई ।
लछिमन देखहुं परम सुहाई ।
फूले कास सकल महि छाई ।
बिनु घन निर्मला सोह आकाशा ।
हरिजन इव परिहरि सब आसा ।
कहुं कहुं दृष्टि सारदी थोरी ।
अर्थात् वर्षा ऋतु व्यतीत होते ही शरद ऋतु का आगमन होता है । लक्ष्मणजी इस के सौन्दर्य को देखकर बहुत प्रसन्न हो रहे हैं । कांस के खिले हुए फूल अत्यन्त सुन्दर लग रहे हैं तथा बादलों से विहीन आकाश उसी प्रकार शोभायमान हो रहा है, जिस प्रकार हरिजन सब प्रकार की आशाओं को त्यागकर सुशोभित होते हैं ।
शरद ऋतु में कहीं-कहीं थोड़ी-थोड़ी वर्षा होती है । मैथिलीशरण गुप्ताजी ने चन्द्रमा की शोभा के रात्रिकालीन सौन्दर्य का वर्णन करते हुए लिखा है कि:
चारु चन्द्र की चंचल कि२णें, खेल रही थीं जल-थल में ।
स्वच्छ चांदनी बिखरी हुई है, अवनि और अम्बर तल में ।
3. शरद का महत्त्व:
शरद ऋतु में समस्त नदियों और तालाबों का जल स्वच्छ हो जाता है । धरती पर धूल और कीचड नहीं रहती है । बादलों से विहीन आकाश अत्यन्त सुन्दर दिखाई देता है । शरद ऋतु में खंजन पक्षी भी दिखाई देने लगते हैं । साथ ही हंस भी क्रीड़ा करते हुए हर्षित होते हैं ।
शरद के प्रारम्भ होते ही सभी जन अपने-अपने कार्य-व्यापार में लग जाते हैं; क्योंकि वर्षा ऋतु में सबके कार्य बन्द-से पड़ जाते है । शरद ऋतु का आगमन होते ही समस्त कीट-पतंग नष्ट हो जाते हैं । इरम में नवरात्र, दीपावली जैसे त्योहारों की उमंग और उत्साह देखते ही बनती है ।
4. उपसंहार:
इस तरह प्रकृति की सभी छह ओं में शरद अपनी प्राकृतिक शोभा के कारण महत्त्व रखती है । लोगों को अपने-अपने कर्तव्यकर्म में गतिशील होने की प्रेरणा होती है । शरद ऋतु में अमृत बरसाता चन्द्रमा अपनी किरणों की शीतलता से सभी की थकान हर लेता है । भारतीय जन-जीवन में शरद ऋतु विशेष महत्त्व रखती है ।