लोकतंत्र में समाचार तथा पत्रिकाओं का काफी महत्त्व होता है । समाचार पत्र लोकमत को व्यक्त करने का सबसे सशक्त साधन है । जब रेडियो तथा टेलीविजन का ज्यादा जोर नहीं था, समाचार पत्रों में छपे समाचार पढ़कर ही लोग देश-विदेश में घटित घटनाओं की जानकारी प्राप्त किया करते थे ।
अब रेडियो तथा टेलीविजन सरकारी क्षेत्र के सूचना के साधन माने जाते हैं । अत: तटस्थ और सही समाचारों के लिए ज्यादातर लोग समाचार पत्रों को पढ़ना अधिक उचित और प्रामाणिक समझते हैं । समाचार पत्र केवल समाचार अथवा सूचना ही प्रकाशित नहीं करते वरन् उसमें अलग-अलग विषयों के लिए अलग-अलग पन्ने और स्तम्भ (column) निर्धारित होते हैं ।
पहला पन्ना सबसे महत्त्वपूर्ण खबरों के लिए होता है । महत्त्वपूर्ण में भी जो सबसे ज्यादा ज्वलन्त खबर होती है वह मुख पृष्ठ पर सबसे ऊपर छापी जाती है । पहले पृष्ठ का शेष भाग अन्यत्र छापा जाता है । अखबार का दूसरा पन्ना ज्यादा महत्त्वपूर्ण नहीं होता उसमें प्राय: वर्गीकृत विज्ञापन छापे जाते हैं । रेडियो, टेलीविजन के दैनिक कार्यक्रम, एक-आध छोटी-मोटी खबर इसी पृष्ठ पर छपती हैं ।
तृतीय पृष्ठ पर ज्यादातर स्थानीय समाचार तथा कुछ बड़े विज्ञापन छापे जाते हैं । चौथा पृष्ठ भी प्राय: खबरों तथा बाजार भावों के लिए होता है । पांचवें पृष्ठ में सांस्कृतिक गतिविधियां और कुछ खबरें भी छापी जाती हैं । आधे/चौथाई पृष्ठ वाले विज्ञापन और कुछ समाचार भी इस पृष्ठ पर ही छपते हैं ।
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अखबार का बीचोबीच का भाग काफी महत्त्व का होता है । इसमें ज्वलन्त विषयों से सम्बन्धित सम्पादकीय किसी अच्छे पत्रकार का सामयिक विषयों पर लेख, ताकि सनद रहे जैसे रोचक प्रसंग भी इसी बीच के पृष्ठ पर छापे जाते हैं । बीच के पृष्ठ के दाहिनी ओर भी महत्त्वपूर्ण लेख, सूचनाएँ एवं विज्ञापन दिए जाते हैं ।
अगले पृष्ठों पर स्वास्थ्य, महिला मण्डल, बालबाड़ी जैसे स्तंभ होते हैं । अंतिम पृष्ठ से पहले खेल समाचार, जिन्सों तथा सोना चांदी एवं जेवरातों के भाव आदि होते हैं । कुछ अखबार बहुत चर्चित कम्पनियों के शेयर भाव भी अपने पाठकों के लिए छापते हैं । अंतिम पृष्ठ पर पहले पृष्ठ का शेष भाग तथा कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण खबरें तथा आलेख आदि छपते हैं ।
इस प्रकार पूरे अखबार को सुनिर्धारित स्तंभों के साथ छाप कर पाठकों को सौंपा जाता है । अखबार में बीच में दो चार कॉलम पाठकों की प्रतिक्रिया के लिए भी रखे जाते हैं । नवभारत टाइम्स में पहले पाठकों के विचारों को ‘नजर अपनी अपनी’ के अन्तर्गत छापा जाता था ।
अखबार का सम्पादकीय एवं मुख पृष्ठ काफी अच्छा होना चाहिए । कुछ पाठक तो सम्पादकीय तथा मोटी खबरें पढ़ने के लिए ही अखबार खरीदते हैं । कुछ अखबार ऐसे होते हैं जिनमें रिक्तियों, खाली स्थानों की खबरें काफी विस्तार से छापी जाती हैं ।
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ऐसे अखबार संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, इम्पलयामेन्ट एक्सचेंज रोजगार समाचारों की जानकारी को काफी महत्त्व देते हैं । तात्पर्य यह है कि 8-10 पेज के अखबार में न जाने क्या-क्या भरा होता है । अखबार कई प्रकार के होते हैं: दैनिक, त्रिदिवसीय, साप्ताहिक, पाक्षिक तथा मासिक ।
कैलीफोर्निया में प्रकाशित हिन्दुइज्म टुडे मासिक समाचार पत्र है जो विश्व भर में हिन्दुओं की गतिविधियों का मासिक लेखा-जोखा छापता है । आमतौर से दैनिक समाचार पत्र ही ज्यादा लोकप्रिय होते हैं । कुछ साप्ताहिक अखबार होते हैं जो पूरे सप्ताह की गतिविधियों का लेखा-जोखा छापते हैं । अखबार के बाद पत्रिकाओं का भी अपना एक विशिष्ट महत्त्व है ।
पत्रिकाएँ ज्यादातर विषय प्रधान तथा अपने एक सुनिश्चित उद्देश्य को लेकर निकाली जाती है । कुछ पत्रिकाएँ केवल नवीन कथाकारों की कहानियाँ ही छापती हैं । सारिका, माया आदि में पहले कहानियाँ छपा करती थीं । कल्याण, अखण्डज्योति जैसी पत्रिकाएँ धार्मिक विषयों से सम्बन्धित लेख, कविताएँ तथा अनुभव छापती हैं । कई पत्रिकाएँ ज्योतिष जैसे विषयों की जानकारी के लिए ही छापी जाती है ।
‘आरोग्य’ जैसी मासिक पत्रिका में योग तथा प्राकृतिक उपचार विषयक सामग्री होती है । पत्रिकाओं की स्थिति अखबारों से थोड़ा भिन्न होती है किन्तु जो पत्रिकाएँ राजनीति से जुड़ी होती हैं उन्हें अकसर परेशान होना पड़ता है ।
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माया तथा मनोहर कहानियाँ जैसे पत्रिकाएं हलचल मचाने वाली पत्रिकाएँ हैं । कोई-न-कोई शगुफा छोड़ना इनका काम है । अतएव ऐसी पत्रिकाओं को अपने दृष्टिकोण में सुधार लाना चाहिए । वर्तमान युग में अखबार (समाचार पत्र) एवं पत्रिकाओं का महत्त्व निरंतर बढ़ता जा रहा है ।
प्राय: प्रत्येक पढ़ा-लिखा व्यक्ति अखबार पढ़ने के लिए उत्सुक अवश्य होता है । इसलिए अखबार तथा पत्रिकाओं के मालिकों एवं सम्पादकों को चाहिए कि वे अपने दायित्व को समझें तथा समाज की सहज उन्नति के लिए सदा सचेत रहकर ऐसी खबरें छापें जो सही और समन्वयवादी हों ।