भारत जैसे गणंतत्र का प्रधानमंत्री होना गौरव की बात है । विशाल भारत की जनता के मतों से प्रधानमंत्री का पद प्राप्त होता है । सबसे बड़े गणतंत्र माने जाने वाले भारत की जनता अपने मताधिकार का उपयोग करके अपनी पसंद के उम्मीदवार का प्रधानमंत्री के रूप में चयन करती है ।
भारत में सर्वोच्च सम्मान तो राष्ट्रपति को प्राप्त होता है, परन्तु देश की बागडोर प्रधानमंत्री के हाथों में होती है । यहाँ देश को विकास के पथ पर आगे ले जाने की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री की होती है । हमारे देश की शासन-व्यवस्था में अनेक प्रकार की कमियाँ रही हैं ।
अनेक प्रधानमंत्रियों के शासन-काल में कई प्रकार की कमियाँ देखकर अकसर मैं सोचता हूँ कि यदि मैं देश का प्रधानमंत्री होता तो शासन-व्यवस्था में कई प्रकार के सुधार करने का प्रयत्न करता । किसी भी देश की जनता को खुशहाल बनाने के लिए देश का विकास आवश्यक है ।
इसके लिए नयी-नयी परियोजनाएँ, नये-नये उद्योग-धंधे स्थापित किए जाते हैं । परन्तु औद्योगिक उन्नति के साथ यदि किसी देश की जनता में परस्पर वैमनस्य का भाव हो तो देश का विकास रुक जाता है । भारत को एक धर्मनिरपेक्ष देश माना जाता है । यहाँ विभिन्न सम्प्रदाय के लोग एक साथ रहते हैं और सभी भारतीय नागरिकों को एक समान अधिकार प्राप्त हैं ।
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परन्तु कुछ सम्प्रदायों में यहाँ परस्पर वैमनस्य का भाव है, जो कभी-कभार उग्र रूप धारण कर लेता है और साम्प्रदायिक गों की ज्वाला में अनेक बेगुनाहों के घर जलकर राख हो जाते । मैं यदि प्रधानमंत्री होता तो इस देश की साम्प्रदायिकता की मस्या को समाप्त करने का दृढ़ निश्चय करता । हमारे देश में बार साम्प्रदायिक दंगे हुए हैं ।
धर्म के नाम पर यहाँ लोग रने-मारने पर उतारु हो जाते हैं । मैं यदि देश का प्रधानमंत्री ता तो देश की जनता को बताता कि धर्म का अर्थ सपूर्ण नव-जाति से प्रेम करना है, किसी को मारना नहीं । हमारे देश कुछ लोग धर्म और धार्मिक आयोजन के नाम पर दंगे करते देश के विकास में बाधक ऐसी परिस्थितियों से निबटने के लिए मैं धर्म के आडम्बर पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने का आदेश ।
किसी भी देश के विकास के लिए शिक्षा आवश्यक है । मैं यदि का प्रधानमंत्री होता तो देश में किसी को निरक्षर नहीं रहने । अपने शासन काल में मैं प्रत्येक राज्य के शहर-गाँव में शिक्षा की समुचित व्यवस्था करवाता और देश के बच्चे-बच्चे को शिक्षा के लिए प्रेरित करने का भरसक प्रयत्न करता ।
इसके अतिरिक्त शिक्षा को अधिक उपयोगी बनाने के लिए मैं विद्वानों की एक समिति गठित करता, जिसका कार्य ऐसी शिक्षा पद्धति तैयार करना होता, जिससे बोझ के स्थान पर शिक्षा रोचक लगे और अधिक रोजगारोन्मुख हो ।
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मेरे शासन-काल में शिक्षा केवल रोजगार की सीढ़ी मात्र नहीं होती, बल्कि इसके द्वारा नयी पीढ़ी का नैतिक एवं राष्ट्रीय चरित्र-निर्माण करने का भी यथासम्भव प्रयत्न किया जाता । किसी भी देश के विकास में युवा पीढ़ी का योगदान बहुत महत्त्वपूर्ण होता है । लेकिन हमारे देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण युवा पीढ़ी निराशा एवं हीनभावना से ग्रस्त है ।
मैं यदि देश का प्रधानमंत्री होता तो भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए शासन-व्यवस्था में कठोर निर्णय लेता । मेरे, शासन-काल में प्रत्येक योग्य उम्मीदवार को कार्य करने का अवसर दिया जाता । इसके साथ निकम्मे और अयोग्य व्यक्तियों को कार्य-मुक्त कर दिया जाता ।
देश के विकास में बाधा बनने वाले व्यक्तियों के प्रति कठोर कार्रवाई आवश्यक है । हमारे देश में सामाजिक स्तर पर कई प्रकार के अन्तर पनप रहे हैं, जिससे लोगों में ईर्ष्या एवं द्वेष का भाव उत्पन्न हो रहा है । मैं यदि देश का प्रधानमंत्री होता तो प्रत्येक नागरिक के लिए एक समान कानून की व्यवस्था करता ।
धर्म अथवा जाति के घधार पर में किसी को जून-अधिक सुविधाएं देकर लोगों में मनस्य का भाव अमन नहीं होने देता । धर्म अथवा जाति के पान पर मैं कमजोर आर्थिक स्थिति के लोगों को अधिक महत्त्व देता, जिन्हें आर्थिक सहयोग की अधिक आवश्यकता होती है ।
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किन नौकरियों में मैं केवल उम्मीदवार की योग्यता पर ध्यान ने का आदेश देता । मेरे विचार में योग्यता के आधार पर ही पद या जाना चाहिए, ताकि पद की गरिमा बनी रहे और वह देश विकास में सहायक सिद्ध हो सके ।
मैं यदि देश का प्रधानमंत्री होता तो मेरे शासन-काल में केवल देश के विकास पर बल दिया जाता । देश के विकास में बाधा ।ने वालों के लिए यहाँ कोई स्थान नहीं होता । देश के लिए ग्स्या उत्पन्न करने वालों को सख्ती से कुचला जाता ।