Read this article in Hindi to learn about the role of an individual in conservation of natural resources.
अभी बहुत हाल तक मानवजाति ऐसा व्यवहार करती रही है मानो वह पृथ्वी के पारितंत्रों का और प्राकृतिक संसाधनों का, जैसे मिट्टी, जल, वनों और चरागाहों तथा खनिज पदार्थों और जीवाश्म ईंधनों का जब तक चाहे, दोहन करती रहेगी । लेकिन पिछले कुछ दशकों में यह बात स्पष्ट हो गई है कि विश्व का पारितंत्र उपयोग के एक सीमित स्तर का बोझ ही उठा सकता है । संसाधनों का अति-उपयोग या दुरुपयोग होता रहा तो जैविक प्रणालियाँ उनकी भरपाई नहीं कर सकेंगी ।
उपयोग का बढ़ता दबाव एक नाजुक बिंदु पर उनके प्राकृतिक संतुलन को भंग कर देता है । अतीत में जिन जैविक संसाधनों को ‘नवीकरणीय’ की श्रेणी में रखा जाता था, जैसे सागरों, वनों, चरागाहों और नमभूमियों से मिलने वाले जैविक संसाधनों को, उनका भी अति-उपयोग के कारण ह्रास हो रहा है और हो सकता है वे हमेशा के लिए समाप्त हो जाएँ । कोई भी प्राकृतिक संसाधन असीम नहीं है । अनवीकरणीय संसाधनों का अगर हम आज जितना ही आगे भी गहन उपयोग करते रहे तो वे तेजी से समाप्त हो जाएँगे ।
सभी प्रकार के प्राकृतिक संसाधनों को तेजी से समाप्ति की ओर ले जाने वाले दो सबसे हानिकारक कारण हैं समाज के समृद्ध वर्गों का बढ़ता ‘उपभोक्तावाद’ और जनसंख्या की तीव्र वृद्धि । ये दोनों कारण उन चयनों के परिणाम हैं जो हम व्यक्ति-रूप में करते हैं ।
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व्यक्ति-रूप में हमें तय करना होगा कि:
i. हम अपने बच्चों के लिए क्या छोड़े ? (हम अल्पकालिक लाभों के बारे में सोचते हैं या दीर्घकालिक लाभों के?) ।
ii. क्या मेरा भौतिक लाभ किसी और की हानि है ?
विकसित दुनिया में संग्रहवृत्ति आम तौर पर अधिकांश जनता की जीवनशैली बन गई है । जनसंख्या की वृद्धि और उसके कारण संसाधनों की कमी विकासशील देशों की जनता पर सबसे बुरा प्रभाव डालती है । हमारे जैसे राष्ट्र में, जो तेजी से विकास कर रहा है और जनसंख्या विस्फोट से त्रस्त है, ये दोनों ही कारण पर्यावरण की हानि के लिए जिम्मेदार हैं । हमें अपने आप से पूछना होगा कि कहीं हम ऐसे नाजुक बिंदु पर तो नहीं आ पहुँचे हैं जहाँ आर्थिक ‘विकास’ जनजीवन को लाभ पहुँचाता है तो उससे अधिक प्रतिकूल प्रभाव भी डालता है ।
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आप बिजली बचाने के लिए क्या-क्या कर सकते हैं?
i. जब भी कमरे से बाहर जाइए, बल्बों और पंखों को बंद कर दीजिए ।
ii. बल्बों की बजाय ट्यूबलाइटों और ऊर्जारक्षक बल्बों का प्रयोग कीजिए । 40 वाट की ट्यूबलाइट 100 वाट के बल्ब जितनी ही रोशनी देता है ।
iii. बल्बों और ट्यूबों को साफ रखिए । उन पर धूल जमने से रोशनी में 20-30 प्रतिशत की कमी आती है ।
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iv. अपना मनपसंद कार्यक्रम समाप्त होते ही टेलीविजन या रेडियो बंद कर दीजिए ।
v. प्रेशर कुकर भोजन पकाने के लिए आवश्यक ऊर्जा में 75 प्रतिशत तक की बचत करता है । यह भोजन भी जल्द पकाता है ।
vi. भोजन पकाते समय बर्तन को ढँककर रखने से भोजन पकने में कम समय लगता है और ऊर्जा की बचत होती है ।