भूमंडलीकरण । “Globalization” in Hindi Language!
भूमंडलीकरण:
वर्तमान युग वैज्ञानिक युग है । इस युग में विश्व की राजनीति नए सिरे से संचालित होने लगी है । विश्व से शीत युद्ध खत्म हो गया है, सोवियत संघ के विघटन से गुटीय राजनीति भी समाप्त हो गई है ।
परस्पर निर्भरता के सिद्धांत के कारण सभी राष्ट्र एक-दूसरे के साथ आर्थिक संबंध जोड़ने लग गए हैं । विश्व के किसी भी क्षेत्र में कोई घटना घटती है, तो उसकी जानकारी सेकेंड में सारे विश्व को मिल जाती है और उसका विश्वव्यापी प्रभाव नजर आने लगता है और सभी राष्ट्र उस प्रभाव को समाप्त करने के लिए दौड़ पड़ते हैं ।
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इसका श्रेय कम्प्यूटर, दूरसंचार और उपग्रह प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आई क्रांति को दिया जा सकता है । अब इंटरनेट सुविधाओं के माध्यम से सूचनाओं का आदान-प्रदान बहुत आसान हो गया है । आजकल विश्व-भर के बहुत से व्यक्ति सरकारी या निजी राष्ट्रीय या विदेशी संस्थान इन सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं ।
उदाहरण के तौर पर इंटरनेट के माध्यम सें विश्व के दो या अधिक स्थानों पर तत्काल पत्रों का आदान-प्रदान हो सकता है । इसी प्रकार, कंपनियाँ भी सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों की मदद से विश्व भर में माल की बिक्री और खरीद का व्यापार कर रही हैं ।
बैंकों में चेक बुक के बिना रुपयों का एक खाते से दूसरे खाते में अंतरित करना संभव हो गया है । इंटरनेट सेवाओं के उपयोग द्वारा ग्राहक अपने घर बैठे-बैठे ही माल का ऑर्डर भेज सकते हैं, माल प्राप्त कर सकते हैं और उसका भुगतान कर सकते हैं । इसे इलैक्ट्रॉनिक वाणिज्य कहते हैं ।
कंपनियाँ बहुत तेजी से अपने उत्पादन केंद्रों को विश्व के एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा रही हैं । माइक्रोसॉफ्ट, सैमसुग और सिटी बैंक जैसी कंपनियाँ (जिनका उत्पादन, विक्रय और कर्मीदल कई देशों में स्थित हैं) के नाम भारत जैसे देश के ग्रामीण क्षेत्रों में भी खूब परिचित हो गए हैं ।
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बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ अपने कार्य को तेजी से एक देश से दूसरे देशों में स्थानांतरित करके पैसा लगाकर खूब धन कमा रही हैं । बैंक, कार्यालय, परिवहन, सेवाएँ, कंपनियाँ लाभ न कमाने वाले संगठन शैक्षिक संस्थाएँ अंतर्राष्ट्रीय संगठन और पर्सनल कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर का प्रयोग करके अपनी बेवसाइट खोलकर और उसमें सूचनाओं को डालकर प्रिंट करके कोई भी व्यक्ति उन्हें इंटरनेट के द्वारा फ्लॉपी डिस्क पर उतारकर उपयोग कर सकता है ।
उपग्रह चैनल विश्व के सभी देशों में सीधे घर-घर अपने कार्यक्रम प्रसारित कर रहे हैं । समाचारों का प्रसारण भी तत्काल किया जा रहा है और टेलीविजन पर युद्धों के समाचार सीधे दिखाए जा रहे हैं ।
सुविकसित और अत्यधिक प्रतियोगी कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर उद्योग की शक्ति से तकनीकी और कुशल कर्मीदल की उपलब्धता से और इसके अत्यधिक विशाल मध्यमवर्गीय बाजार की संभावनाओं से भारत भूमंडलीकरण के इस युग में लाभान्वित होने की आशा कर सकता है ।
सन् 1991 से भारत ने अपनी आर्थिक नीति की दिशा परिवर्तित कर दी है और नई आर्थिक नीति में निजीकरण विदेशी पूँजी निवेश के नियमों को उदार बनाकर, सरकारी क्षेत्र की कंपनियों के विनिवेश के रूप में नए महत्वपूर्ण तत्त्व जोड़ दिए हैं । अब बाजार में ग्राहकों के सामने मोटरकारों से लेकर खाद्य सामग्री तक चुनने के लिए ढेर सारे विकल्प है ।
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भारत का निर्यात (विशेष रूप से सेवा के क्षेत्र में) बहुत बढ़ गया है, देश में पूँजी निवेश में तेजी आई है और हमारे विदेशी मुद्रा भडार की स्थिति बहुत ही सुविधाजनक है । कुल मिलाकर भूमंडलीकरण के दौरान भारत विश्व की सर्वाधिक तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनकर उभरा है ।
भारत भूमंडलीकरण के लाभकारी पक्षों के प्रति उत्साहित है लेकिन वह इसके हानिकारक प्रभावों से चिंतित भी है । भूमंडलीकरण के आलोचकों के विचार में विश्व के भूमंडलीकरण का ही दूसरा नाम विश्व का अमेरिकीकरण है ।
एक प्रकार से अमेरिकी कंपनियों, मुद्रा, चैनलों और हथियारों ने विश्व पर आधिपत्य जमा लिया है । भूमंडलीकरण के राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परिणाम चिंताजनक हैं । बहुराष्ट्रीय निगमों, बड़े-बड़े संचार माध्यमों और गैर-सरकारी संगठनों की गतिविधियों में भूमंडलीकरण की प्रक्रिया जिस रूप में अभिव्यक्त हुई है, उसने राज्यों की सरचना के प्रमुसत्तात्मक विशेषाधिकार को हानि पहुँचाई है ।
उदाहरणार्थ, विभिन्न सरकारी पर-रियो के बाद सिएटल और डरबन में एक सम्मेलन के बाद दूसरे सम्मेलन में बहुत अधिक दबाव पड़ा । शरणार्थियों और प्रवासियों की उपस्थिति उत्तर के साथ-साथ दक्षिण में भी एक प्रकार के राजनीतिक विप्लव का कारण थी ।
आतंक और हिंसा फैलाने के लिए प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग भूमंडलीकृत विश्व का एक महत्वपूर्ण राजनीतिक प्रभाव है । विभिन्न देशों में परस्पर और देश के भीतर अमीर और गरीब के बीच आय का अंतर बहुत अधिक बढ़ गया है ।
भूमंडलीकरण के नकारात्मक प्रभावों को समाप्त करने और मानवता के सभी भागों में इसके लाभों को प्राप्त कराने के लिए संयुक्त राष्ट्र के क्षेत्रीय संगठन और गुट-निरपेक्ष आंदोलन अन्य देशों के साथ कार्य कर रहा है । इसी संदर्भ में कुछ उत्साहवर्धक प्रगति भी हुई है जिसमें समूह-8 के देशों ने यह निर्णय किया है कि कुछ सर्वाधिक ऋणग्रस्त और गरीब देशों के ऋणों को रह कर दिया जाए ।
संयुक्त राष्ट्र के अर्द्ध सहस्राब्दि शिखर सम्मेलन में इस विषय में सर्वसम्मति थी कि गरीबी घटाने, बच्चों की शिक्षा, एड्स आदि के क्षेत्र में 2015 तक कुछ सामाजिक-आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कार्य किया जाए ताकि सभी सकारात्मक क्रियाकलापों के केंद्र में मानव को रखा जा सके ।