Read this article in Hindi language to learn about the fourteen main responsibilities of a consumer.
उपभोक्ताओं को यदि कुछ विशेष अधिकार प्राप्त हैं तो उनके कुछ उत्तरदायित्व या कर्तव्य भी हैं जिनका उन्हें पालन करना आवश्यक है । उपभोक्ता को हमेशा जिम्मेदारीपूर्ण व्यवहार करना चाहिए तथा कोशिश करके अच्छी खरीददारी की आदतें डालनी चाहिये ।
ये विधियाँ निम्न प्रकार हैं:
(1) सही कीमत, अच्छी गुणवत्ता व मानक चिह्न वाले उत्पाद खरीदने चाहिये । उपभोक्ता को इसके लिये बाजार का सर्वेक्षण करना चाहिये तथा दो-तीन दुकानों व सरकारी दुकान से भी वस्तु की कीमत का पता लगाना चाहिये ।
ADVERTISEMENTS:
उसी के आधार पर ही सही गुणवत्ता व कीमत का अनुमान लगाया जा सकता है । हमेशा अच्छी गुणवत्ता वाले तथा मानक चिह्न वाले उत्पाद ही खरीदने चाहिये चाहे अधिक प्रचलित उत्पाद कितना ही अच्छा क्यों न हो । अत: इससे बाजार में मानकीकृत व अच्छी गुणवत्ता की वस्तुयें अधिक आयेंगी तथा कम गुणवत्ता वाले वस्तुओं में कमी आयेगी ।
(2) विक्रेता द्वारा की जानी वाली धोखाधड़ी से बचने के लिये उपभोक्ता को खरीददारी करने से पहले नाप-तौल के उपकरणों की जाँच भली-भांति कर लेनी चाहिए । ग्राहक का दायित्व है कि वह तराजू बाँट तथा कपड़ा नापने वाले गज को ठीक प्रकार से जाँच-परख लें, कहीं विक्रेता कम वस्तु या कम कपड़ा तो नहीं दे रहा है ।
कपड़ा खरीदते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिये कि कहीं विक्रेता कपड़े को अधिक खींचकर नाप तो नहीं रहा है । पैकिंग सहित तौली गई वस्तु कभी भी नहीं खरीदनी चाहिये अन्यथा वस्तु कम मिलेगी । अत: उपभोक्ता को खरीददारी करते समय अपना पूरा ध्यान विक्रेता द्वारा किये जा रहे नाप-तौल पर रखना चाहिये ।
(3) उपभोक्ता का उत्तरदायित्व है कि वह विज्ञापन व मुफ्त सामान बेचने वाले विक्रेताओं के झाँसे में न आये । ये विक्रेता की उत्पादक बेचने की चाल होती है । अत: उपभोक्ता को केवल विज्ञापन देखकर ही
ADVERTISEMENTS:
खरीददारी नहीं करनी चाहिये ।
(4) खरीददारी करते समय उपभोक्ता को सर्वप्रथम वस्तु पर लगे लेबल को अच्छी तरह ध्यान से पढ़ना चाहिये । अत: उपभोक्ता का कर्तव्य है कि वस्तु खरीदने से पहले उसकी सही व पूरी जानकारी प्राप्त करें ।
(5) वस्तु का बिल, रसीद, गारण्टी विक्रेता से जरूर ही लें अधिकांशत: विक्रेता विक्रय कर से बचने के लिये बिल या रसीद नहीं देते, परन्तु यदि उपयोग के बाद वस्तु खराब निकली तो उपभोक्ता कुछ भी नहीं कर सकता ।
इन सभी चीजों को सावधानीपूर्वक सम्भालकर रखना चाहिये । अत: यह स्पष्ट रूप से उपभोक्ता का दायित्व है कि वह खरीददारी करते समय विक्रेता से बिल, रसीद, गारण्टी कार्ड आदि अवश्य ही ले लें ताकि भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर उपभोक्ता संरक्षण संगठन में अपनी शिकायत कर सकें ।
ADVERTISEMENTS:
(6) उपभोक्ता का दायित्व है कि वह भ्रम फैलाने वाली घोषणाओं में न आयें । आजकल बाजार में अपना उत्पादक बेचने की होड़ लगी हुई है तथा वस्तुओं के साथ उपहार, एक शर्ट के साथ एक मुफ्त, दो साबुन लेने पर एक मुफ्त, चाय में 10% अतिरिक्त चाय आदि ।
अधिकांशतया उपभोक्ता इन सभी घोषणा से आकर्षित हो जाते हैं तथा यह भी सोचते हैं कि एक चीज मुफ्त मिल रही है, परन्तु ऐसा नहीं है । विक्रेता चीजों के दाम पहले से बढ़ाकर रखते हैं तथा वे उससे वास्तविक मूल्य प्राप्त कर लेते हैं । अत: यहाँ स्पष्ट है कि उपभोक्ता को मुफ्त मिलने वाली वस्तु के लालच में आकर अनाप-शनाप चीजें नहीं खरीदनी चाहिये ।
(7) पहचान की या विश्वसनीय दुकानों से ही खरीददारी करनी चाहिये । उपभोक्ता का यह भी उत्तरदायित्व है कि वह अपनी पहचान या विश्वसनीय दुकानों सरकारी दुकान, कोऑपरेटिव स्टोर, सुपर बाजार, सरकारी भण्डार से ही खरीददारी करें । इस प्रकार वे उचित दामों पर अच्छी वस्तुयें प्राप्त कर सकेंगे । अत: स्पष्ट होता है कि इस प्रकार की बकानों से सामान खरीदने पर उपभोक्ता किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी से बचा रहेगा ।
(8) देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह काला बाजार से कोई भी वस्तु न खरीदे । इसके साथ-साथ विदेशों से तस्करी करके लाई हुई वस्तुओं को कभी भी नहीं खरीदना चाहिये । उपभोक्ता को अपने घर में अधिक मात्रा में चीजें एकत्रित करके नहीं रखनी चाहिए इससे उनका धन अधिक व्यय होगा तथा हो सकता है कि वे चीजें दूसरों को जरूरत के समय उपलब्ध न हो पाये ।
(9) विक्रेता व उत्पादक द्वारा दिये गये निर्देशों का पालन करना । उत्पादक अपने उत्पाद पर उनको प्रयोग करने के निर्देश लिखते हैं । अत: उपभोक्ता को प्रयोग करने व रख-रखाव के निर्देशों का पालन करना चाहिये ।
(10) सेल्समैन की वाक् कुशलता, आकर्षक लेबल एवं पैकिंग जो ग्राहकों को केवल धोखा देने के लिये की जाती है इससे वे भ्रम में न आएँ ।
(11) कई बार उत्पादक उपभोक्ता को फ्री घर सामान पहुंचाने व निश्चित समय में उत्पाद को बदलने व किस्तों पर समान उपलब्ध कराने की सुविधाएँ प्रदान करते हैं, उपभोक्ता कभी भी इन सुविधाओं का दुरुपयोग न करें ।
(12) उपभोक्ता शिक्षा का उपयोग करें । धोखाधड़ी की घटनाओं की जानकारी दें तथा अन्य उपभोक्ताओं को भी ऐसा करने के लिये सलाह दें । कानून निर्माताओं के साथ सहयोग करना चाहिए जिससे दोषी व्यापारी को सजा मिल सके ।
(13) उपभोक्ता को किसी भी उत्पाद की बर्बादी नहीं करनी चाहिये । अपने पास के संसाधनों का संरक्षण करने का प्रयास करना चाहिये ताकि वे काफी समय तक बचे रहें ।
(14) उपभोक्ता को अपने अधिकारों का ज्ञान होना चाहिये । आज के युग में उपभोक्ता धोखा खाने से तभी बच सकते हैं जब उन्हें अपने अधिकारों का ज्ञान हो तथा वे उसके प्रति जागरूक हों क्योंकि विक्रेता अधिक से अधिक धन कमाने की पूरी कोशिश करता है । उपभोक्ता को यदि किसी भी प्रकार का धोखा हो तो उसे इसके विरुद्ध तुरन्त शिकायत करनी चाहिए ।