Read this article in Hindi to learn about the various risks to human health due to chemicals in food.
रसायनों से प्रदूषित भोजन लोक-स्वास्थ्य की एक प्रमुख समस्या है । यह प्रदूषण हवा, पानी और मिट्टी के प्रदूषण से पैदा होता है । विषैली धातुएँ, पी सी बी और डायक्सिन का या रोगनाशकों, पशुओं की दवाओं और दूसरे खेतिहर रसायनों जैसे विभिन्न रसायनों का समवेत उपयोग मनुष्य के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालता है । खाद्य पदार्थों के विनिर्माण और प्रसंस्करण के दौरान उनमें मिलाए जानेवाले पदार्थ और प्रदूषक भी मानव के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं ।
भोजन से फैलनेवाले रोग:
भोजन से फैलनेवाले कुछ परिचित रोग हाल में बहुत आम हो गए हैं । मसलन सैल्मोनेलोसिस (Salmonellosis) का पता तो अनेक दशकों से रहा है पर पिछले 25 वर्षों में यह काफी फैला है । पश्चिमी गोलार्ध और यूरोप में salmonella serotype enteritidis (SE) एक प्रमुख प्रकार (strain) बन चुका है । इसके फैलाव के विषय में पता चला है कि इसके फैलने का संबंध बड़ी सीमा तक मुर्गों या अंडों के भक्षण से है ।
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हैजा वर्षों से एशिया और अफ्रीका के एक बड़े भाग को तबाह करता रहा है । पर लगभग एक सदी के बाद दक्षिण अमरीकी महाद्वीप में यह 1991 में पहली बार फिर से फैला । यह एक क्षेत्र में दशकों बाद एक सुज्ञात संक्रामक रोग के फिर से होने का उदाहरण है । हैजा अकसर जल से फैलता है, पर अनेक खाद्य पदार्थ भी इस संक्रमण को फैलाते हैं । लातीनी अमरीका में मछलियाँ और कच्चे या अल्पसंस्करित समुद्री खाद्य पदार्थ हैजा के प्रसार के महत्त्वपूर्ण कारण हैं ।
एक, विशेष प्रकार की Escherichia coli (E. coli) के संक्रमण का पहला वर्णन 1982 में किया गया था । बाद में यह तेजी से खूनी दस्त और गुर्दे की भयानक असफलता का प्रमुख कारण बनकर उभरा । यह छूत कभी-कभी घातक होती है, खासकर बच्चों के लिए ।
आम तौर पर गौमांस से होनेवाली छूत के फैलने की खबरें आस्ट्रेलिया, कनाडा, जापान, अमरीका, विभिन्न यूरोपीय देशों और दक्षिणी अफ्रीका से आती रही हैं । अल्फा-अल्फा के अंकुर, फलों के अपास्चरित रस, शिकार (जंगली जानवरों) के गोश्त और पनीर तथा लस्सी भी इस छूत के कारण रहे हैं । 1996 में जापान में E. coli के प्रसार से 6300 विद्यालयगामी बच्चे प्रभावित हुए और 2 की मौत हुई ।
लिस्टेरिया मोनोसाइटोजींस (Listeria monocytogenes-Lm):
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इस दशा के प्रसार में भोजन की भूमिका को अभी हाल में मान्यता मिली है । गर्भवती स्त्रियों में Lm से होनेवाले संक्रमण गर्भपात और मुर्दा बच्चे के जन्म का कारण होता है । शिशुओं और कमजोर प्रतिरक्षावाले व्यक्तियों में इससे सेप्टीसेमिया (रक्त में विषैलापन) और मेनिंजाइटिस हो सकते हैं । इस रोग का संबंध अकसर नर्म पनीर और प्रसंस्करित मांस की वस्तुओं जैसे खाद्य पदार्थों के सेवन से होता है जिनको लंबे समय तक रेफ्रीजरेटर में रखा जाता है, क्योंकि कम तापमान पर Lm की वृद्धि होती है ।
लिस्टीरियोसिस के फैलने की खबरें आस्ट्रेलिया, स्वीटजरलैंड, फ्रांस और अमरीका समेत अनेक देशों से मिली हैं । लिस्टेरिया मोनोसाइटोजींस के फैलने की दो हाल की मिसालें 2000 में फ्रांस और 1999 में अमरीका की हैं । ये क्रमशः सूअर के दूषित मांस और हॉट डाग से फैली थीं ।
भोजन से फैलनेवाले कृमि (worms) दक्षिण-पूर्व एशिया और लातीनी अमरीका में बढ़ रहे हैं । इनका संबंध अस्वच्छ दशाओं में मछलियों और झींगों के गहन उत्पादन और साथ में ताजे जल की मछलियों और अन्य खाद्य पदार्थों को कच्चा या अल्पसंस्करित रूप में खाने से है । ये भोजन से फैलनेवाले कृमि जिगर की भयानक बीमारी फैलाते हैं और जिगर के कैंसर का कारण बन सकते हैं । अनुमान है कि इससे दुनियाभर में 4 करोड़ लोग प्रभावित होते हैं ।
बोवाइन स्पंजीफार्म एंसेफेलोपैथी (Bovine Spongiform Encephalopathy-BSE) मवेशियों का एक घातक, संक्रामक और स्नायुओं को नष्ट करनेवाला रोग है । इसका पता सबसे पहले ग्रेट ब्रिटेन में 1985 में चला । इस रोग का कारण भेड़ों से जुड़े एक कीट को पाया गया जो मवेशियों के प्रसंस्करित मांस और उनकी हड्डियों से मवेशियों के लिए बनाए जानेवाले खाद्य पदार्थों को प्रदूषित करता था ।
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इस कीट के पुनर्चालन से एक आम महामारी फैली जिसने केवल ग्रेट ब्रिटेन में 1,80,000 मवेशियों को बीमार किया । यह कीट मवेशियों के दिमाग और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है और उनमें स्पंज जैसे परिवर्तन पैदा होते हैं जो सूक्ष्मदर्शी से देखे जा सकते हैं । लगभग 19 देशों से इस रोग की खबर मिली है और अब यह यूरोपीय संघ ही तक सीमित नहीं है । जापान में मवेशियों के एक झुंड में भी BSE के होने की खबर मिली है ।
मनुष्यों की आबादी में BSE के प्रभाव (संभवतः मवेशियों से प्राप्त और प्रदूषित खाद्य पदार्थों के कारण) का गहरा संबंध 1996 में एक नए संक्रामक रोग के आरंभ से था । मनुष्यों में फैलनेवाले इस स्पंजीफार्म एंसेफेलोपैथी को variant Creutzfeldto Jacob Disease (CJD) कहते हैं । जनवरी 2002 में 119 लोग इस रोग से प्रभावित हुए जिनमें अधिकांश तो ग्रेट ब्रिटेन के थे पर पाँच मामलों की खबर फ्रांस से भी मिली ।