Read this article in Hindi language to learn about the two main kinds of household accounts. The accounts are: 1. Daily Accounts 2. Cash Book.
घरेलू लेखा-जोखा मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं:
(1) दैनिक लेखा-जोखा (Daily Accounts):
इसके लिये कोई भी डायरी या रजिस्टर लिया जा सकता है । इस रिकॉर्ड में खरीदी गई वस्तु तथा उसकी कीमत का ब्यौरा लिखा जा सकता है ।
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व्यय की मुख्य मदें (Main Items) ये निम्न प्रकार से हैं:
(i) भोजन (Food): सभी प्रकार के खाद्य पदार्थ, पेय पदार्थ, गैस, ईंधन आदि ।
(ii) वस्त्र (Clothes): पहनने के कपड़े, तौलिया, चादर, रजाई, जूते आदि ।
(iii) आवास (Residence): किराये का घर या अपने घर का हाउस टैक्स देना, फर्नीचर, पर्दे, सजावट का सामान तथा घर से सम्बरइ-धत अन्य सामान इत्यादि ।
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(iv) स्वास्थ्य (Health): साबुन, तेल, डॉक्टर का शुल्क, दवाइयाँ धोबी, प्रेस आदि ।
(v) शिक्षा (Education): स्कूल की फीस, स्टेशनरी आदि ।
(vi) मनोरंजन (Amusement): मित्रों का स्वागत, उपहार भेजना, यातायात खर्च, सिनेमा, पत्र-व्यवहार, मोबाइल का खर्च टेलीविजन पर खर्च आदि ।
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घरेलू लेखा-जोखा लिखने की विधियाँ:
घरेलू लेखा-जोखा लिखने की विभिन्न विधियाँ निम्न प्रकार हैं:
(a) शीट सिस्टम (Sheet System):
यह अत्यन्त साधारण विधि है । इसमें एक-दो या कई शीट्स का उपयोग लेखा-जोखा लिखने में किया जाता है । शीट को रसोईघर में दरवाजे या सेल्फ पर पेन्सिल के साथ टाँग देना चाहिये तथा इसमें रोजमर्रा का गंखा-जोखा लिखना चाहिये ।
(b) नोटबुकसिस्टम (Note Book System):
यह अत्यन्त आरामदायक विधि है । नोट बुक बाउंड (Bound) या खुली हुई पन्नों की हो सकती है । यह विधि उन परिवारों के लिये अत्यन्त सुविधाजनक होती है जहाँ परिवार के बच्चे लेखा-जोखा लिखने वे सहायता करते हैं ।
इस किताब में अग्र बिन्दु होने चाहिये:
a. कुल आय का कॉलम,
b. दिनांक का कॉलम,
c. मुख्य मदें,
d. प्रतिदिन के खर्च ।
सभी रिकॉर्डिंग साफ-सुथरी होनी चाहिये ताकि किसी भी प्रकार का भ्रम (Confusion) न हो । कैलेन्डर व डायरी भी लेखा-जोखा लिखने में सहायक होती है ।
(c) लिफाफा सिस्टम (Envelop System):
इस विधि में बजट के प्रत्येक मद के लिये अलग-अलग लिफाफे रखे जाते हैं । बजट में निश्चित की गई धनराशि हर मद के लिफाफे पर लिखी जानी चाहिये । ये विधि उन परिवारों के लिये सुविधाजनक होगी जहाँ आय प्रति सप्ताह आती हो ।
एक अन्य विधि में एक बड़ा लिफाफा लिया जाता है जिसमें प्रतिदिन के बिल, स्लिप्स, टिकट आदि रखे जाते है । सुविधाजनक समय पर इनका लेखा-जोखा किया जा सकता है । लिफाफे के बाहरी हिस्से पर खर्च का ब्यौरा लिखना अच्छा होगा ।
(d) कार्ड फाइल सिस्टम (Card File System):
प्रत्येक बजट मदों के लिये अलग-अलग कार्ड रखने चाहिये; जैसे: आय-बजट (अनुमानित) का निर्धारण तथा प्रत्येक बजट मदों पर खर्च का ब्यौरा लिखना आवश्यक है ।
प्रत्येक दिन के अनुसार प्रत्येक मद पर हुए खर्च को लिखना चाहिये । कई कार्ड एक साथ फाइल में रखे जा सकते हैं । लेखा-जोखा रखने की नियमित आदत डालनी चाहिये तथा ऐसी सुविधाजनक विधि का उपयोग करना चाहिये जिसे आसानी से कार्यान्वित किया जा सके । डायरी का एक पेज प्रतिदिन का व्यय लिखने के लिये लिया जा सकता है ।
(2) रोकड़ बही (Cash Book):
यह एक प्रकार की बही है । इसे किसी भी डायरी, रजिस्टर या बाजार में मिलने वाली बही में बना सकता है ।
इसमें एक पेज पर दो भाग बने होते है:
(i) बायीं ओर आय पक्ष (Credit Side) तथा
(ii) दायीं ओर व्यय पक्ष (Debit Side) ।
उसी के अनुसार साप्ताहिक और मासिक तथा वार्षिक व्यय भी अलग-अलग लिखा जा सकता है ।
रोकड़ बही अग्र प्रकार से लिखी जाती है:
उपर्युक्त तालिका में प्रतिदिन का लेखा-जोखा लिखा जाता है । इसके साथ-साथ इसमें दोहरे योग से हिसाब में गणना करने पर गलतियाँ कम होती हैं । इस प्रकार का हिसाब रखने से ज्ञात होगा कि महीने में प्रथम सप्ताह में व्यय अधिक होता है क्योंकि घरेलू नौकरानी, जमादार, केबिल का बिल, दूध का बिल, चौकीदार आदि का खर्च आता है । इसी सप्ताह में घर का पूरा राशन भी खरीदा जाता है परन्तु खर्च तो पूरे मास तक चलता रहता है ।
i. रोकड़ बही में बजट सन्तुलित रहता है ।
ii. दैनिक खर्चों पर नियन्त्रण रहता है ।
iii. इससे यह लाभ होता है कि गृहिणी एक अच्छी धनराशि की बचत कर लेती है ।
रोकड़ बही का लेखा-जोखा:
आय पक्ष (Credit Side):
इस कॉलम में आय प्राप्त करने के सभी साधनों; जैसे: वेतन, ब्याज, धन के रूप में उपहार, किराया, बैंक से निकाली गई धनराशि, किराये से प्राप्त धन आदि का ब्यौरा लिखा जाता है । यदि हम किसी को उधार देते हैं तथा वह उस मास में वापस करता है तो उसे भी अंकित करना आवश्यक होता है क्योंकि वह भी हमारी आय में आता है । आय पक्ष लिखते समय सभी आय के पहले तिथि डालनी आवश्यक होती है ।
व्यय पक्ष (Debit Side):
इस कॉलम में व्यय पर होने वाले धन को लिखा जाता है; जैसे: मकान का किराया, बिजली व पानी का बिल, बच्चों की स्कूल फीस, नौकर, अखबार का बिल, पेट्रोल, गैस पर होने वाला व्यय, बैंक में जमा कराया गया धन, किसी व्यक्ति को यदि उधार दिया गया है आदि की रकम को लिखा जाना आवश्यक है ।
इन सबके पश्चात् अंत में आय व व्यय दोनों की धनराशि का कुल जोड़ करना चाहिये । यदि किसी भी प्रकार की बचत हुई है तो उसे भी व्यय पक्ष में जोड़ देते हैं । इस प्रकार दोनों पक्षों का अन्तिम धनराशि का कुल योग समान होगा ।
रोकड़ बही लिखने से लाभ: गृहिणी को इससे निम्न लाभ होता है:
i. गृहिणी को इस बात का ज्ञान होता है कि कितना रुपया आया व कहाँ से आया तथा उनको किन-किन मदों पर व्यय किया गया ।
ii. बही-खाते से ज्ञात होता है कि किस मद पर धन अधिक खर्च हो रहा है तथा किस पर कम ।
iii. कभी-कभी कुछ आवश्यक वस्तुओं की खरीददारी नहीं हो पाती इसका ज्ञान भी हो जाता है ।
iv. इस प्रकार जिस मद पर अधिक खर्च होता है उस पर कटौती करके आवश्यक वस्तुएँ खरीदी जा सकती हैं ।
प्रत्येक परिवार के लिये वार्षिक आय-व्यय व बचत का पूरा हिसाब रखना अत्यन्त अनिवार्य है । किसी महीने में खर्च कम या किसी महीने में खर्च अधिक होता है । कुछ महीनों में मकान का टैक्स, बीमा की किश्त तथा अन्य खर्च होने के कारण व्यय अधिक हो जाता है ।
कुछ वर्ष तक आय-व्यय का रिकॉर्ड रखने से परिवार में होने वाले व्यय का पूरा ढाँचा तैयार हो जाता है । आधुनिक युग में कम्प्यूटर का उपयोग हिसाब लिखने के लिये किया जाता है । कम्प्यूटर में अनेक प्रकार के सॉफ्टवेयर तैयार रहते हैं जिनका उपयोग बड़े-बड़े औद्योगिक संस्थानों, बैंकों व अन्य कम्पनियों में किया जाता है । प्रत्येक कम्पनी में उनका अलग लेखा विभाग (Account Dept.) होता है । जहाँ कम्पनी का मासिक व वार्षिक आय-व्यय का पूरा हिसाब रहता है ।