Read this article in Hindi language to learn about the importance of keeping a household account.
योग्य व कुशल गृहिणी का कर्तव्य है कि वह अपने घर की अर्थव्यवस्था को उचित प्रकार से संचालित करे । कुशल गृहिणी पारिवारिक बजट पहले से ही तैयार कर लेती है, परन्तु पारिवारिक बजट तैयार कर लेने मात्र से ही काम नहीं चल पाता है ।
उसे घर में प्रतिदिन, प्रति सप्ताह व प्रति मास व्यय होने वाली धनराशि का लेखा-जोखा रखना पड़ता है । यह विधि गृह व्यवस्था पर नियन्त्रण करने में बहुत सहायक होती है । इसके साथ-साथ इससे अपव्यय पर अंकुश लगाया जा सकता है तथा आवश्यक व्यय के लिए पर्याप्त धनराशि की व्यवस्था होती रहती है व आय-व्यय में उचित संतुलन बना रहता है ।
इससे पारिवारिक आय का पूर्ण सदुपयोग भी किया जा सकता है । धन के व्यय का हिसाब-किताब या लेखा-जोखा को रखने के लिये तालिका बनाई जा सकती है । सभी चीजें लिखकर रखनी चाहिये, यदि हम परिवार के पूरे व्यय को मानसिक स्तर पर रखें तो यह प्रक्रिया अत्यन्त कठिन होगी । हम इसे बार-बार देख सकते तथा इसमें अंकुश या सुधार नहीं ला सकते ।
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अत: यहाँ तात्पर्य है कि पूरे आय-व्यय का लेखा-जोखा रखना उचित है, वह भी डायरी में लिखकर । लेखा-जोखा रखने से परिवार में भी अपने आय-व्यय को उचित रूप देने में आसानी होती है तथा साथ साथ परिवार के सभी सदस्यों की कुल आय का लाभ मिल भी सकता है ।
घरेलू लेखा-जोखा की परिभाषा (Definition of Household Accounts):
एक घरेलू लेखा-जोखा परिवार द्वारा एक दिन या एक महीने में किये जाने वाले व्यय का लिखित विवरण है । इसमें परिवार द्वारा अर्जित की गई धनराशि व विभिन्न वस्तुओं पर किया गया खर्च लिखा जाता है । इसके साथ-साथ परिवार की आवश्यक सामग्री का विवरण भी प्रस्तुत करता है ।
(A household account is a record of expenditure actually incurred by the family in the course of a day or a month. It will include the income earned by the family, the expenditure incurred, and the amount spent on each item of expenditure.)
घरेलू लेखा-जोखा रखने से लाभ (Advantages of Keeping of Household Account):
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i. इससे ज्ञात होता है कि धन कहाँ जाता है ?
ii. इसके द्वारा बजट में शामिल प्रत्येक मद पर होने वाले खर्च की जाँच कर सकते हैं ।
iii. इस बात की भी जाँच कर सकते हैं कि प्रत्येक मद सन्तुलित मात्रा में खर्च हो रहा है या नहीं ।
iv. इससे परिवार को इस बात की योजना बनाने में आसानी होती है कि भविष्य में किन-किन मदों पर कितना व्यय होगा ।
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v. लेखा-जोखा रखने से हमें ज्ञात हो जाता है कि कहीं हम अपनी आय से अधिक व्यय तो नहीं कर रहे हैं मुख्यतया कीमती भोज्य पदार्थों पर । अत: कीमती भोज्य पदार्थों को कम मात्रा में ग्रहण करना चाहिये या अपनी आय को अधिक कार्य करके बढ़ाना चाहिये ।